पीएम नरेंद्र मोदी का फाइल फोटो
हांगझोउ (चीन):
चीन के सरकारी मीडिया ने रविवार को कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वियतनाम यात्रा का लक्ष्य चीन पर संयुक्त रूप से दबाव बनाना और देश के साथ उनकी सौदेबाजी बढ़ाना है.
चीनी सरकारी मीडिया ने रविवार को यह टिप्पणी की. सरकार संचालित ग्लोबल टाइम्स वेबसाइट के एक आलेख में कहा गया है कि दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर बीजिंग-हनोई संबंध पिछले कुछ बरसों से सहज नहीं रहे हैं. चीन के बारे में वियनतनामियों के मन में नकारात्मक भावनाएं भी बढ़ रही हैं.
इसने कहा है कि इसके मद्देनजर मोदी की वियतनाम यात्रा बगैर किसी शक के कई रणनीतिक अर्थ देती है जिससे यह माना जा सकता है कि नई दिल्ली और हनोई बीजिंग पर संयुक्त रूप से दबाव बढ़ा सकते हैं.
इसने कहा है कि इसके पीछे मूल कारण भारत और वियतनाम का हित है. नई दिल्ली और हनोई, दोनों ही देश चीन के साथ अपनी बातचीत में अपनी सौदेबाजी की स्थिति को बढ़ाना चाहते हैं. लेकिन उनमें से कोई भी बीजिंग के साथ सीधी तकरार नहीं चाहता.
इसने कहा कि इस संभावना से पूरी तरह से इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन यह कोई अहम भूमिका नहीं निभाएगा.
इसने कहा है कि जब कभी चीन पर सीधे दबाव बनाने की बारी आती है तब भारत हमेशा ही सतर्कता बरतता है. इस सिलसिले में अमेरिका ने एशिया-प्रशांत की अपनी रणनीति को संतुलित करने के लिए भारत को अपनी ओर खींचे जाने का कोई प्रयत्न नहीं छोड़ा है लेकिन भारत ने इसके प्रति सिर्फ अनिच्छा दिखाई है और वाशिंगटन का सक्रियता से जवाब नहीं दिया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
चीनी सरकारी मीडिया ने रविवार को यह टिप्पणी की. सरकार संचालित ग्लोबल टाइम्स वेबसाइट के एक आलेख में कहा गया है कि दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर बीजिंग-हनोई संबंध पिछले कुछ बरसों से सहज नहीं रहे हैं. चीन के बारे में वियनतनामियों के मन में नकारात्मक भावनाएं भी बढ़ रही हैं.
इसने कहा है कि इसके मद्देनजर मोदी की वियतनाम यात्रा बगैर किसी शक के कई रणनीतिक अर्थ देती है जिससे यह माना जा सकता है कि नई दिल्ली और हनोई बीजिंग पर संयुक्त रूप से दबाव बढ़ा सकते हैं.
इसने कहा है कि इसके पीछे मूल कारण भारत और वियतनाम का हित है. नई दिल्ली और हनोई, दोनों ही देश चीन के साथ अपनी बातचीत में अपनी सौदेबाजी की स्थिति को बढ़ाना चाहते हैं. लेकिन उनमें से कोई भी बीजिंग के साथ सीधी तकरार नहीं चाहता.
इसने कहा कि इस संभावना से पूरी तरह से इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन यह कोई अहम भूमिका नहीं निभाएगा.
इसने कहा है कि जब कभी चीन पर सीधे दबाव बनाने की बारी आती है तब भारत हमेशा ही सतर्कता बरतता है. इस सिलसिले में अमेरिका ने एशिया-प्रशांत की अपनी रणनीति को संतुलित करने के लिए भारत को अपनी ओर खींचे जाने का कोई प्रयत्न नहीं छोड़ा है लेकिन भारत ने इसके प्रति सिर्फ अनिच्छा दिखाई है और वाशिंगटन का सक्रियता से जवाब नहीं दिया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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