
मॉरीशस के कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों ने बुधवार को मॉरीशस के लिए एक नये संसद भवन के निर्माण के लिए मदद को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई घोषणा की सराहना की. पीएम मोदी ने इसे “लोकतंत्र की जननी की ओर से मॉरीशस को उपहार” बताया. पोर्ट लुईस में मॉरीशस संसद भवन का वर्तमान अग्रभाग 200 वर्ष से अधिक पुराना है. घोषणा के बारे में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत क्रियान्वयन के संबंध में मॉरीशस के अधिकारियों से प्रस्ताव मिलने की प्रतीक्षा कर रहा है.
मिस्री ने कहा कि इस तरह की परियोजनाओं को शुरू करने के लिए एक तय प्रक्रिया है. हम निश्चित रूप से परियोजना के दायरे पर मॉरीशस के अधिकारियों से प्रस्ताव मिलने की प्रतीक्षा करेंगे और फिर हम डिजाइन, परामर्श, विकास, निर्माण आदि के संदर्भ में क्रियान्वयन की विधि तय करेंगे. इस घोषणा की मॉरीशस के नेताओं ने व्यापक प्रशंसा की है, जो इसे ‘नेशनल असेंबली में सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए संवैधानिक संशोधनों की खबरों के बीच एक बहुत जरूरी निर्णय के रूप में देखते हैं. मॉरीशस की नेशनल असेंबली की पूर्व अध्यक्ष माया हनुमानजी ने इसे देश की आवश्यकताओं का समर्थन करने वाला निर्णय बताया.
हनुमानजी पहले भारत में मॉरीशस की उच्चायुक्त भी रह चुकी हैं. उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छा निर्णय है, खास तौर पर इस तथ्य को देखते हुए कि नई सरकार ने कहा है कि वह संविधान की समीक्षा करेगी. संविधान की समीक्षा का मतलब यह हो सकता है कि हमें संसद में अतिरिक्त सीट की आवश्यकता होगी और सदस्यों के लिए अधिक बैठने की जगह होना हमेशा अच्छा होता है.'
मॉरीशस के सबसे युवा सांसद नीतीश बीजन ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि भारत के पास बुनियादी ढांचे के निर्माण और इमारतों के निर्माण में क्षमता और अनुभव है, और हमें उम्मीद है कि मॉरीशस में निश्चित रूप से एक नई संसद होगी, जैसा कि पीएम मोदी जी ने घोषणा की है. इसे पाकर हमें बहुत खुशी होगी और हम बहुत खुश हैं. सभी मॉरीशसवासी इस पर गर्व करते हैं. शिक्षा मंत्री महेंद गंगप्रसाद ने दोनों देशों के बीच स्थायी साझेदारी की ओर ध्यान आकर्षित किया तथा मोदी के दृष्टिकोण की सराहना करते हुए पूर्व भारतीय नेताओं का उल्लेख किया.
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