माले/नई दिल्ली/कोलंबो:
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को अदालती सुनवाई पूरी होने के बाद बुधवार को पुलिस हिरासत से आजाद कर दिया गया। उन्हें मंगलवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। नशीद की गिरफ्तारी के बाद मालदीव में उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए और हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए थे।
इस बीच भारत और अमेरिका ने मालदीव में उत्पन्न राजनीतिक संकट पर गहरी चिंता जताते हुए सभी पक्षों से धैर्य बरतने और हिंसा का रास्ता नहीं अख्तियार करने की अपील की है। दोनों देशों ने सितंबर में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव के निष्पक्ष और भरोसेमंद होने की उम्मीद जाहिर की है।
पूर्व राष्ट्रपति नशीद पर अपने कार्यकाल में मुख्य आपराधिक जज अब्दुल्ला मोहम्मद की गैरकानूनी रूप से गिरफ्तार करने और हिरासत में रखने का आरोप है। इसी मामले में हुल्हूमाले दंडाधिकारी द्वारा बुधवार को सुनवाई की तारीख तय करने और गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के बाद मंगलवार को पुलिस ने नशीद को गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें धूनिधू हवालात में रखा गया था।
मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रवक्ता हामिद अब्दुल गफूर ने सिन्हुआ को बताया कि नशीद के वकील ने अदालत से सितंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के बाद तक के लिए सुनवाई रोकने का आग्रह किया, लेकिन अदालत ने सिर्फ चार सप्ताह सुनवाई रोकने पर सहमति जाहिर की है।
गफूर ने कहा, "नशीद को घर भेजा गया है। कड़ी सुरक्षा के बीच उनकी सुनवाई एक घंटे तक चली। प्रोस्क्यूटर जनरल और नशीद के वकीलों के आगामी चुनाव के बाद तक सुनवाई रोकने का आग्रह किया, लेकिन अदालत ने सिर्फ चार सप्ताह सुनवाई रोकने पर सहमति दी है।"
गफूर ने कहा कि नशीद की पार्टी के सदस्य और उनके समर्थक पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं क्योंकि उन्हें मुहैया कराई गई सुरक्षा पर्याप्त नहीं है।
गफूर ने कहा, "इसी सरकार ने नशीद को सुरक्षा मुहैया कराई है और कल (मंगलवार को) उनके अंगरक्षकों को गालियां दी गई और पुलिस ने उन्हें पीछे खदेड़ दिया था। इसलिए हम निश्चित रूप से नशीद की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं क्योंकि उनकी जान को खतरा है।"
इस बीच राष्ट्रपति के प्रवक्ता इमाद मशूद ने बुधवार की सुनवाई के बाद सिन्हुआ को बताया कि नशीद आजाद व्यक्ति के रूप में अदालत से बाहर आए।
नशीद ने इससे पहले दो गिरफ्तारी वारंटों को धता बताया था। गिरफ्तारी से बचने के लिए माले स्थित भारतीय उच्चायोग के कार्यालय में पिछले महीने उन्होंने राजनयिक शरण ली और वहां 11 दिनों तक रहे। इस प्रकरण के बाद दोनों देशों के बीच खटास भी पैदा हुई।
उधर नशीद की गिरफ्तारी के बाद हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए। दंगा पुलिस ने 24 घंटों के दौरान 80 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया।
इस बीच भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मालदीव में उत्पन्न राजनीतिक संकट पर बुधवार को चिंता जताई और कहा कि भारत स्थिति पर सतत निगाह रखेगा क्योंकि वह लोकतांत्रिक और समृद्ध मालदीव के पक्ष में है।
संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का उत्तर देने के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा, "हम वहां राजनीतिक अस्थिरता को लेकर चिंतित हैं। हम स्थिति पर लगातार निगरानी रखेंगे।" उन्होंने उम्मीद जताई कि मालदीव में सितंबर महीने में होने वाला राष्ट्रपति का चुनाव स्वतंत्र और विश्वसनीय होंगे।
उधर अमेरिका ने भी मालदीव में उत्पन्न राजनीतिक हलचल पर गहरी चिंता जताई है और सभी पार्टियों से धर्य रखने व हिंसा का रास्ता नहीं अपनाने की अपील की है।
कोलंबो स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में कहा है, "हम समझते हैं कि पुलिस इंटेग्रिटी आयोग और मानवाधिकार आयोग स्थिति पर नजर रख रहे हैं और मानवाधिकार आयोग ने नशीद से संपर्क करने देने की गुजारिश की है। हम सभी पक्षों से हिंसा त्यागने व शांति बरतने की अपील करते हैं और तनाव बढ़ाने वाले कारक अड़ियल रवैये को छोड़ने की अपील करते हैं।"
इस बीच भारत और अमेरिका ने मालदीव में उत्पन्न राजनीतिक संकट पर गहरी चिंता जताते हुए सभी पक्षों से धैर्य बरतने और हिंसा का रास्ता नहीं अख्तियार करने की अपील की है। दोनों देशों ने सितंबर में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव के निष्पक्ष और भरोसेमंद होने की उम्मीद जाहिर की है।
पूर्व राष्ट्रपति नशीद पर अपने कार्यकाल में मुख्य आपराधिक जज अब्दुल्ला मोहम्मद की गैरकानूनी रूप से गिरफ्तार करने और हिरासत में रखने का आरोप है। इसी मामले में हुल्हूमाले दंडाधिकारी द्वारा बुधवार को सुनवाई की तारीख तय करने और गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के बाद मंगलवार को पुलिस ने नशीद को गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें धूनिधू हवालात में रखा गया था।
मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रवक्ता हामिद अब्दुल गफूर ने सिन्हुआ को बताया कि नशीद के वकील ने अदालत से सितंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के बाद तक के लिए सुनवाई रोकने का आग्रह किया, लेकिन अदालत ने सिर्फ चार सप्ताह सुनवाई रोकने पर सहमति जाहिर की है।
गफूर ने कहा, "नशीद को घर भेजा गया है। कड़ी सुरक्षा के बीच उनकी सुनवाई एक घंटे तक चली। प्रोस्क्यूटर जनरल और नशीद के वकीलों के आगामी चुनाव के बाद तक सुनवाई रोकने का आग्रह किया, लेकिन अदालत ने सिर्फ चार सप्ताह सुनवाई रोकने पर सहमति दी है।"
गफूर ने कहा कि नशीद की पार्टी के सदस्य और उनके समर्थक पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं क्योंकि उन्हें मुहैया कराई गई सुरक्षा पर्याप्त नहीं है।
गफूर ने कहा, "इसी सरकार ने नशीद को सुरक्षा मुहैया कराई है और कल (मंगलवार को) उनके अंगरक्षकों को गालियां दी गई और पुलिस ने उन्हें पीछे खदेड़ दिया था। इसलिए हम निश्चित रूप से नशीद की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं क्योंकि उनकी जान को खतरा है।"
इस बीच राष्ट्रपति के प्रवक्ता इमाद मशूद ने बुधवार की सुनवाई के बाद सिन्हुआ को बताया कि नशीद आजाद व्यक्ति के रूप में अदालत से बाहर आए।
नशीद ने इससे पहले दो गिरफ्तारी वारंटों को धता बताया था। गिरफ्तारी से बचने के लिए माले स्थित भारतीय उच्चायोग के कार्यालय में पिछले महीने उन्होंने राजनयिक शरण ली और वहां 11 दिनों तक रहे। इस प्रकरण के बाद दोनों देशों के बीच खटास भी पैदा हुई।
उधर नशीद की गिरफ्तारी के बाद हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए। दंगा पुलिस ने 24 घंटों के दौरान 80 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया।
इस बीच भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मालदीव में उत्पन्न राजनीतिक संकट पर बुधवार को चिंता जताई और कहा कि भारत स्थिति पर सतत निगाह रखेगा क्योंकि वह लोकतांत्रिक और समृद्ध मालदीव के पक्ष में है।
संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का उत्तर देने के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा, "हम वहां राजनीतिक अस्थिरता को लेकर चिंतित हैं। हम स्थिति पर लगातार निगरानी रखेंगे।" उन्होंने उम्मीद जताई कि मालदीव में सितंबर महीने में होने वाला राष्ट्रपति का चुनाव स्वतंत्र और विश्वसनीय होंगे।
उधर अमेरिका ने भी मालदीव में उत्पन्न राजनीतिक हलचल पर गहरी चिंता जताई है और सभी पार्टियों से धर्य रखने व हिंसा का रास्ता नहीं अपनाने की अपील की है।
कोलंबो स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में कहा है, "हम समझते हैं कि पुलिस इंटेग्रिटी आयोग और मानवाधिकार आयोग स्थिति पर नजर रख रहे हैं और मानवाधिकार आयोग ने नशीद से संपर्क करने देने की गुजारिश की है। हम सभी पक्षों से हिंसा त्यागने व शांति बरतने की अपील करते हैं और तनाव बढ़ाने वाले कारक अड़ियल रवैये को छोड़ने की अपील करते हैं।"
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