
- पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल रंग में दिखाई देता है, जिसे ब्लड मून कहा जाता है जो प्राकृतिक घटना है.
- पृथ्वी के वायुमंडल में बिखरती नीली, हरी किरणों के कारण लाल रंग की रोशनी चांद तक पहुंचती है और वह लाल दिखता है.
- ब्लड मून का रंग लाल के अलावा गुलाबी या गहरा लाल भी हो सकता है जो वातावरण में धूल और गैस पर निर्भर करता है.
आसमान में चांद और सितारों से जुड़ी घटनाओं के बारे में हर जानकारी रखने वालों के लिए रविवार का दिन काफी अहम है. इस दिन पूर्ण चंद्रग्रहण जिसे ब्लड मून के तौर पर भी कहा जा रहा है, नजर आने वाला है. इसे आकाश में कभी-कभी एक अद्भुत और रहस्यमयी नजारा माना जाता है. ब्लड मून यानी वह पल जब चंद्रमा सामान्य सफेद या सुनहरा नहीं बल्कि गहरा लाल रंग का नजर आता है. यह नजारा जहां कुछ लोगों को खूबसूरत दिखता है तो कुछ को बेहद डरावना. जहां विज्ञान में इसे एक प्राकृतिक घटना माना जाता है तो कुछ देशों में इसके पीछे कई तरह की कहानियां भी प्रचलित हैं. वहीं कुछ देशों में इसे कयामत से जोड़कर भी देखा जाता है. कई मान्यताओं और लोककथाओं में ब्लड मून का रिश्ता अक्सर रहस्य, अनहोनी और अंधविश्वास से जोड़ा गया है.
विज्ञान क्या कहता है?
ब्लड मून दरअसल पूर्ण चंद्रग्रहण का नतीजा है. जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है तो सूर्य की सीधी रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती. उस समय पृथ्वी का वायुमंडल एक फिल्टर की तरह काम करता है. नीली और हरी रंग की किरणें जहां वायुमंडल में बिखर जाती हैं तो लाल रंग की रोशनी मुड़कर चंद्रमा तक पहुंचती है. यही वजहै कि ग्रहण के समय चंद्रमा लाल नजर आ जा है. यह एकदम किसी तांबे की प्लेट का दिखता है. साल 2014 और 2015 में लगातार चार ब्लड मून दिखाई दिए थे, जिसे 'टेट्राड ब्लड मून' कहा गया. उस समय दुनिया भर में चर्चाओं का दौर चला कि यह किसी बड़े बदलाव का संकेत है. हालांकि वैज्ञानिकों ने इसे केवल एक दुर्लभ खगोलीय संयोग बताया.
हमेशा लाल नहीं होता रंग
लेकिन एक फैक्ट ऐसा भी है जिसके बारे में लोगों को बहुत ही कम मालूम है. ब्लड मून का रंग हमेशा लाल नहीं होता है. कभी यह हल्का गुलाबी होता है तो कभी एकदम खून की गहरा लाल. इसका रंग गुलाबी होगा या फिर एकदम लाल, यह सबकुछ पृथ्वी पर मौजूद धूल और गैस के कणों पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए, अगर किसी साल में बड़े पैमाने पर ज्वालामुखी विस्फोट हुआ हो या जंगल की आग से वातावरण में धुआं फैला हो तो ब्लड मून और ज्यादा लाल नजर आती है. साल 1883 में जब क्राकाटोआ ज्वालामुखी में ब्लास्ट हुआ था तो उस समय ब्लड मून इतना गहरा लाल था कि लोगों ने इसे 'कयामत का इशारा' मान लिया था.
ब्लड मून की रहस्यमयी कहानियां
ब्लड मून के बारे में कई दिलचस्प कहानियां प्रचलित हैं. जैस पुरानी स्कैंडिनेवियन मान्यता के अनुसार जब दो राक्षस जैसे नजर आने वाले भेड़िए जिनका नाम स्कोल और हाती है, वो चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं तो चांद का रंग एकदम खूनी लाल हो जाता है. लोग मानते थे कि अगर उन्होंने चांद को निगल लिया तो फिर संसार का अंत हो जाएगा. इसलिए वे शोर मचाते, ढोल बजाते और आग जलाकर भेड़ियों को डराने की कोशिश करते थे.
वहीं मध्य अमेरिका की माया सभ्यता में विश्वास था कि ब्लड मून के दौरान एक विशाल चीता चांद पर हमला करता है और उसका खून पी जाता है. ऐसे में लोग कई तरह के धार्मिंक अनुष्ठान करते हैं कि उन्हें चंद्रमा को कैसे बचाना है.
वहीं भारत में चंद्रग्रहण और खासतौर पर ब्लड मून को बेहद अशुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दौरान कई तरह की निगेटिव एनर्जी एक्टिव हो जाती हैं. जहां गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने की मनाही होती है तो वहीं बाकी लोग स्नान, मंत्रोच्चार और पूजा-पाठ करते हैं.
कोलबंस की खास ट्रिक
इन कहानियों के अलावा ब्लड मून का इतिहास से भी गहरा नाता है. कई इतिहासकारों के अनुसार 1504 में, प्रसिद्ध यात्री क्रिस्टोफर कोलंबस ने जमैका में फंसे हुए अपने जहाज को बचाने के लिए ब्लड मून का इस्तेमाल किया. जब स्थानीय लोगों ने उन्हें खाना-पानी देने से मना कर दिया, तो उन्होंने उन्हें डराया कि 'अगर तुम मेरी मदद नहीं करोगे तो चंद्रमा गायब हो जाएगा और लाल खून से भर जाएगा.' संयोग से उसी दिन ब्लड मून नजर आया और लोग कोलंबस को किसी भगवान का अवतार मानने लगे.
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