ललित मोदी की फाइल तस्वीर
लंदन:
ललित मोदी ने यात्रा दस्तावेज के लिए ब्रिटेन के गृह विभाग के कार्यालय में राजकुमार चार्ल्स और उनके भाई एंड्रयू समेत ब्रिटेन शाही परिवार के नामों का सहारा लिया था। एक मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
'द संडे टाइम्स' की एक रिपोर्ट के अनुसार रानी एलिजाबेथ द्वितीय के दूसरे पुत्र एंड्रयू कुछ वर्षों से मोदी को जानते थे और पिछली जुलाई में मोदी से उनके लंदन स्थित आवास पर मिले थे। इसके कुछ दिनों बाद ही मोदी के यात्रा दस्तावेजों को स्वीकृति मिली थी।
बकिंघम पैलेस ने दोनों के बीच हुई बातचीत के बारे में कुछ कहने से मना किया, लेकिन साथ ही इस बात से भी स्पष्ट तौर पर इनकार किया कि एंड्रयू ने मोदी के पक्ष में ब्रिटिश सरकार से किसी तरह की लॉबिंग की थी।
आईपीएल 2010 में सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग के आरोपों के बीच ललित मोदी लंदन चले गए थे। उन्होंने हालांकि कुछ भी गलत करने से इनकार करते हुए कहा था कि भारत में उनके जीवन को खतरा है, इसी कारण से उन्हें ब्रिटेन आना पड़ा। 2014 में उन्होंने ब्रिटिश यात्रा दस्तावेजों के लिए आवेदन किया था, जिसे 'यात्रा प्रमाण पत्र' कहते हैं।
जून 2014 में कीथ वैज ने ब्रिटेन के वीजा और आव्रजन विभाग के महानिदेशक सारा रैपसन को मोदी के दस्तावेज को स्वीकार करने के लिए कहा था। पिछले साल 2 जुलाई को उन्होंने ललित मोदी के मामले को गृह विभाग के एक अन्य अधिकारी से साझा किया। उन्होंने लिखा, "मोदी ने सूचित किया है कि वह वेल्स के राजकुमार चार्ल्स से मिले थे और दो दिन पहले राजकुमार एंड्रयू से भी मिले थे। दोनों ने उन्हें मामला सुलझाने को कहा था, क्योंकि उन्होंने अपनी बहन की शादी और सेशेल्स के राष्ट्रपति के अलावा अन्य लोगों से बातचीत करने की बात बताई थी।"
वैज ने कहा कि उन्हें मोदी ने जो जानकारी दी थी उसके अनुरूप उन्होंने कदम उठाया था। पहली बार मोदी के यात्रा दस्तावेज के आवेदन को अगले दिन ही अस्वीकार कर दिया गया था। पिछले साल 21 जुलाई को एंड्रयू को मोदी के साथ देखा गया था और वैज ने 31 जुलाई को एक बार फिर सुषमा स्वराज के समर्थन का हवाला देते हुए रैपसन से बात की थी। अखबार ने दावा किया कि इसके 24 घंटों के भीतर ही उनको यात्रा दस्तावेज मिल गए थे। मोदी ने हालांकि इस पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
'द संडे टाइम्स' की एक रिपोर्ट के अनुसार रानी एलिजाबेथ द्वितीय के दूसरे पुत्र एंड्रयू कुछ वर्षों से मोदी को जानते थे और पिछली जुलाई में मोदी से उनके लंदन स्थित आवास पर मिले थे। इसके कुछ दिनों बाद ही मोदी के यात्रा दस्तावेजों को स्वीकृति मिली थी।
बकिंघम पैलेस ने दोनों के बीच हुई बातचीत के बारे में कुछ कहने से मना किया, लेकिन साथ ही इस बात से भी स्पष्ट तौर पर इनकार किया कि एंड्रयू ने मोदी के पक्ष में ब्रिटिश सरकार से किसी तरह की लॉबिंग की थी।
आईपीएल 2010 में सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग के आरोपों के बीच ललित मोदी लंदन चले गए थे। उन्होंने हालांकि कुछ भी गलत करने से इनकार करते हुए कहा था कि भारत में उनके जीवन को खतरा है, इसी कारण से उन्हें ब्रिटेन आना पड़ा। 2014 में उन्होंने ब्रिटिश यात्रा दस्तावेजों के लिए आवेदन किया था, जिसे 'यात्रा प्रमाण पत्र' कहते हैं।
जून 2014 में कीथ वैज ने ब्रिटेन के वीजा और आव्रजन विभाग के महानिदेशक सारा रैपसन को मोदी के दस्तावेज को स्वीकार करने के लिए कहा था। पिछले साल 2 जुलाई को उन्होंने ललित मोदी के मामले को गृह विभाग के एक अन्य अधिकारी से साझा किया। उन्होंने लिखा, "मोदी ने सूचित किया है कि वह वेल्स के राजकुमार चार्ल्स से मिले थे और दो दिन पहले राजकुमार एंड्रयू से भी मिले थे। दोनों ने उन्हें मामला सुलझाने को कहा था, क्योंकि उन्होंने अपनी बहन की शादी और सेशेल्स के राष्ट्रपति के अलावा अन्य लोगों से बातचीत करने की बात बताई थी।"
वैज ने कहा कि उन्हें मोदी ने जो जानकारी दी थी उसके अनुरूप उन्होंने कदम उठाया था। पहली बार मोदी के यात्रा दस्तावेज के आवेदन को अगले दिन ही अस्वीकार कर दिया गया था। पिछले साल 21 जुलाई को एंड्रयू को मोदी के साथ देखा गया था और वैज ने 31 जुलाई को एक बार फिर सुषमा स्वराज के समर्थन का हवाला देते हुए रैपसन से बात की थी। अखबार ने दावा किया कि इसके 24 घंटों के भीतर ही उनको यात्रा दस्तावेज मिल गए थे। मोदी ने हालांकि इस पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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