पाकिस्तान ने कहा है कि जाधव ने दो बार अपने अपराधों को स्वीकार किया है
इस्लामाबाद:
भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की मौत की सजा पर अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) द्वारा रोक लगाए जाने के बाद पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने गुरुवार को कहा कि इस्लामाबाद राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायक्षेत्र को नहीं स्वीकार करता. विदेश कार्यालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने भारत पर बरसते हुए कहा कि वह जाधव का मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ले जाकर ‘अपना असली चेहरा छिपाने की कोशिश’ कर रहा है. जाधव (46 साल) को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने मार्च में मौत की सजा सुनायी थी. इस फैसले पर रोक का अनुरोध करते हुए भारत ने आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था.
हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने जाधव की मौत की सजा पर रोक लगा दी और पाकिस्तान को निर्देश दिया कि वह यह सुनिश्चित करने के लिये ‘सभी आवश्यक कदम उठाये’ कि उसके (अंतरराष्ट्रीय न्यायालय) द्वारा अंतिम फैसला सुनाये जाने तक जाधव को फांसी न दी जाये. पाकिस्तान के लिए यह फैसला अप्रत्याशित है क्योंकि वह आश्वस्त था कि आईसीजे न्याय क्षेत्र के आधार पर मामले को खारिज कर देगा.
फैसला आने के बाद पाकिस्तान टेलीविजन से बातचीत करते हुए जकारिया ने कहा कि जाधव का मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ले जाकर भारत ‘अपना असली चेहरा छिपाने की कोशिश’ कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘भारत को दुनिया के समक्ष बेनकाब किया जाएगा.’ उन्होंने कहा कि जाधव ने एक बार नहीं दो बार अपने अपराधों को स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पहले ही आईसीजे को सूचित कर चुका है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में उसके न्यायक्षेत्र को स्वीकार नहीं करता.
दुनिया टीवी के अनुसार जकारिया ने कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में हम आईसीजे के न्यायक्षेत्र को स्वीकार नहीं करते.’ हालांकि उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारतीय ‘जासूस’ के खिलाफ ठोस सबूत पेश करेगा. इसके पहले जकारिया ने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत जाधव के मामले को मानवीय मुद्दे के रूप में पेश कर रहा है ताकि आतंकवाद को हवा देने की अपनी भूमिका से वह विश्व का ध्यान भटका सके.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का रुख स्पष्ट है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है. उन्होंने कहा कि आईसीजे में पाकिस्तान का जवाब वियना संधि की धारा 36 (2) के अनुरूप है कि पाकिस्तान इस मामले में आईसीजे के न्यायक्षेत्र को मान्यता नहीं देता.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने जाधव की मौत की सजा पर रोक लगा दी और पाकिस्तान को निर्देश दिया कि वह यह सुनिश्चित करने के लिये ‘सभी आवश्यक कदम उठाये’ कि उसके (अंतरराष्ट्रीय न्यायालय) द्वारा अंतिम फैसला सुनाये जाने तक जाधव को फांसी न दी जाये. पाकिस्तान के लिए यह फैसला अप्रत्याशित है क्योंकि वह आश्वस्त था कि आईसीजे न्याय क्षेत्र के आधार पर मामले को खारिज कर देगा.
फैसला आने के बाद पाकिस्तान टेलीविजन से बातचीत करते हुए जकारिया ने कहा कि जाधव का मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ले जाकर भारत ‘अपना असली चेहरा छिपाने की कोशिश’ कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘भारत को दुनिया के समक्ष बेनकाब किया जाएगा.’ उन्होंने कहा कि जाधव ने एक बार नहीं दो बार अपने अपराधों को स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पहले ही आईसीजे को सूचित कर चुका है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में उसके न्यायक्षेत्र को स्वीकार नहीं करता.
दुनिया टीवी के अनुसार जकारिया ने कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में हम आईसीजे के न्यायक्षेत्र को स्वीकार नहीं करते.’ हालांकि उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारतीय ‘जासूस’ के खिलाफ ठोस सबूत पेश करेगा. इसके पहले जकारिया ने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत जाधव के मामले को मानवीय मुद्दे के रूप में पेश कर रहा है ताकि आतंकवाद को हवा देने की अपनी भूमिका से वह विश्व का ध्यान भटका सके.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का रुख स्पष्ट है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है. उन्होंने कहा कि आईसीजे में पाकिस्तान का जवाब वियना संधि की धारा 36 (2) के अनुरूप है कि पाकिस्तान इस मामले में आईसीजे के न्यायक्षेत्र को मान्यता नहीं देता.
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