प्रतीकात्मक तस्वीर...
लॉस एंजिलिस:
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि पिछले साल आए 7.8 तीव्रता से भी शक्तिशाली और विध्वंसक भूकंप काठमांडू और हिमालयन फ्रंटल फॉल्ट को दहला सकता है.
वैज्ञानिकों ने वर्ष 2015 में नेपाल में आए गोरखा भूकंप के बाद क्षेत्रीय अध्ययन एवं विश्लेषण किया था. उस भूकंप में 9,000 लोग मारे गए थे और क्षेत्र में छह लाख ढांचे नष्ट हो गए थे.
अमेरिका के नेवाडा विश्वविद्यालय के स्टीव वेस्नोस्की 20 साल से हिमालयन फ्रंटल फॉल्ट का अध्ययन कर रहे हैं.
स्टीव ने कहा कि उन्होंने बीते साल में काठमांडो के आसपास भूकंप के अवशेषों के कई अध्ययन किए, खुदाई की, मिट्टियों और भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों का अध्ययन किया, जो 2000 साल से भी पुराने प्रतीत होते हैं.
उन्होंने कहा, 'ऐतिहासिक रिकॉर्डों के साथ, यह प्रतीत होता है कि ये संवेदनशील फॉल्ट गोरखा भूकंप से भी ज्यादा बड़ा भूकंप ला सकते हैं'. बीते साल आए भूकंप और उसके बाद आए झटकों को पहले से भी अधिक भीषण भूकंप की चेतावनी के रूप में देखा जा सकता है, जो क्षेत्र को कहीं ज्यादा विध्वंसक प्रभावों के साथ दहला सकता है.
इस दल के निष्कर्ष दिखाते हैं कि त्रिवेणी स्थल भीषण भूकंप से पहले होने वाले तनाव के जमाव की ओर या तो बढ़ रहा है या फिर उसके अंतिम चरणों में है. यह जमीन में 15 से 30 फुट उंची दरारें डाल सकता है.
स्टीव ने कहा, 'हमारे आकलन दिखाते हैं कि हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट फॉल्ट का यह क्षेत्र त्रिवेणी से बागमति तक लगभग 200 किलोमीटर का है और उसमें भी साथ के साथ दरार पैदा कर सकता है. काठमांडू के पास आने वाला अगला भीषण भूकंप गोरखा भूकंप से भी अधिक क्षेत्र में दरार पैदा कर सकता है'. यह अध्ययन अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
वैज्ञानिकों ने वर्ष 2015 में नेपाल में आए गोरखा भूकंप के बाद क्षेत्रीय अध्ययन एवं विश्लेषण किया था. उस भूकंप में 9,000 लोग मारे गए थे और क्षेत्र में छह लाख ढांचे नष्ट हो गए थे.
अमेरिका के नेवाडा विश्वविद्यालय के स्टीव वेस्नोस्की 20 साल से हिमालयन फ्रंटल फॉल्ट का अध्ययन कर रहे हैं.
स्टीव ने कहा कि उन्होंने बीते साल में काठमांडो के आसपास भूकंप के अवशेषों के कई अध्ययन किए, खुदाई की, मिट्टियों और भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों का अध्ययन किया, जो 2000 साल से भी पुराने प्रतीत होते हैं.
उन्होंने कहा, 'ऐतिहासिक रिकॉर्डों के साथ, यह प्रतीत होता है कि ये संवेदनशील फॉल्ट गोरखा भूकंप से भी ज्यादा बड़ा भूकंप ला सकते हैं'. बीते साल आए भूकंप और उसके बाद आए झटकों को पहले से भी अधिक भीषण भूकंप की चेतावनी के रूप में देखा जा सकता है, जो क्षेत्र को कहीं ज्यादा विध्वंसक प्रभावों के साथ दहला सकता है.
इस दल के निष्कर्ष दिखाते हैं कि त्रिवेणी स्थल भीषण भूकंप से पहले होने वाले तनाव के जमाव की ओर या तो बढ़ रहा है या फिर उसके अंतिम चरणों में है. यह जमीन में 15 से 30 फुट उंची दरारें डाल सकता है.
स्टीव ने कहा, 'हमारे आकलन दिखाते हैं कि हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट फॉल्ट का यह क्षेत्र त्रिवेणी से बागमति तक लगभग 200 किलोमीटर का है और उसमें भी साथ के साथ दरार पैदा कर सकता है. काठमांडू के पास आने वाला अगला भीषण भूकंप गोरखा भूकंप से भी अधिक क्षेत्र में दरार पैदा कर सकता है'. यह अध्ययन अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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