टोकियो:
जापान में भूकंप और सुनामी के बाद एटमी रिसाव की आशंका बढ़ती जा रही है। रविवार को फुकुशिमा एटमी संयंत्र के एक और रिएक्टर से रिसाव का खतरा पैदा हो गया। पहले भूकंप और फिर सुनामी ने जापान पर दोहरा वार किया और अब परमाणु रिसाव के ख़तरे से जापान जूझ रहा है। शनिवार को फ़ुकुशीमा विद्युत केंद्र में झमाका हुआ था और अब वहां दूसरे धमाके का ख़तरा मंडरा रहा है। टोक्यो इलेक्ट्रिक पॉवर कंपनी ने कहा है कि प्लांट के इर्द-गिर्द रेडिएशन का स्तर काफ़ी बढ़ गया है। आस पास के इलाक़े से एक लाख सत्तर हज़ार लोगों को हटा लिया गया है। लोगों में घबराहट बढ़ गई है और स्वास्थ्य जांच केंद्रों पर भीड़ है। जापान के 39 वर्षीय एक अध्यापक ताकिहितो अकीमोटो का कहना है कि जिस जगह वह काम करते थे वहां पर विकीरण का असर होगा इसलिए वह यहां आए हैं ताकि आगे क्या करना है इसके बारे में योजना बना सकें। उधर, रिऐक्टर 3 को ठंडा करने की भरपूर कोशिशें हो रही हैं। लेकिन इसी रिऐक्टर में धमाका होने का सबसे बड़ा ख़तरा है। डर है कि अगर यहां पर धमाका हुआ तो पर्यावरण और लोगों की सेहत को बहुत नुक़सान हो सकता है क्योंकि इस रिऐक्टर में प्लूटोनियम और यूरेनियम दोनों इस्तेमाल होते हैं जबकि एक दिन पहले जिस रिऐक्टर में धमाका हुआ था उसमें सिर्फ़ यूरेनियम इस्तेमाल किया गया था। एनडीटीवी के सीनियर एडिटर विष्ण सोम जापान पहुंच चुके हैं और उन्होंने आंखों देखा हाल बताया। पहली महत्वपूर्ण जानकारी में उन्होंने बताया कि बिजली घरों में हादसा ना हो इसके लिए समुद्री पानी छोड़ा जा रहा है। विष्णु के अनुसार इस वक्त जापान में राहत और बचाव के अलावा सबसे बड़ी चुनौती है फुकुशिमा के परमाणु बिजली घरों से जुड़ी है। यहां दो बहुत बड़े परमाणु संयंत्र हैं और जिनमें बिजली बनाने के कई रिएक्टर हैं। चुनौती ये है कि चर्नोबिल की हालात यहां पैदा ना हो जाएं। जानकारों की नज़रें यहीं लगी हुई हैं। फुकुशिमा रिएक्टरों में बिजली घरों को ठंडा करने के लिए जो कूलेंट मौजूद थे वो बंद हो चुके हैं। तापपान जितना होना चाहिए उससे कहीं ज्यादा है, दबाव बढ़ गया है। एक बड़ा विस्फ़ोट हो चुका है। रेडियोएक्टिव किरणें बाहर आ रही हैं। नुकसान कुछ हद तक हैं लेकिन 20 किमी का इलाका ख़ाली करवा लिया गया है। तेज़ी से काम करने के लिए समुद्र का पानी एक रिएक्टर में फेंका जा रहा है और दुनिया भर की निगाहें यहीं लगी हुई हैं।