इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन हमास (Hamas) के बीच 7 अक्टूबर से जंग (Israel-Hamas War) चल रही है. बीच में 6 दिन का सीजफायर समझौता (Israel-Hamas Ceasefire Truce) हुआ था. 24 से 29 नवंबर तक हुए सीजफायर के दौरान हमास ने कुछ बंधकों को रिहा किया. इसके बदले में इजरायल ने भी फिलिस्तीनी कैदियों को आजाद किया. सीजफायर खत्म होते ही इजरायल ने गाजा पट्टी (Gaza Strip) पर हवाई और जमीनी हमले तेज कर दिए हैं. हमास-इजरायल युद्ध के बीच गाजा के लोगों को जीवन जीने की मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज होना पड़ रहा है. 2.4 मिलियन लोगों में से लगभग 80 प्रतिशत लोग विस्थापित हो गए हैं. गाजा में महिलाओं की स्थिति तो हर दिन बदतर होती जा रही है. उन्हें कपड़े बदलने और नहाने में पहले जितनी प्राइवेसी नहीं मिल पा रही है. खासकर पीरिएड्स के दिनों में महिलाओं और लड़कियों को खासी तकलीफों से गुजरना पड़ता है. इससे उनकी हेल्थ पर असर हो रहा है.
समाचार एजेंसी AFP की रिपोर्ट के मुताबिक, जंग के बीच गाजा में महिलाओं को माहवारी यानी पीरिएड्स के दौरान इस्तेमाल होने वाली सैनिटरी नैपकिन भी नहीं मिल पा रही है. इसके अलावा भीड़भाड़ में रहने की वजह से उन्हें अपनी साफ-सफाई का ख्याल रखने में भी काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. इन सभी स्थितियों का सामना करते हुए महिलाएं और लड़कियां पीरिएड्स के दौरान डायपर या कॉटन के कपड़े का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं. इससे इंफेक्शन का खतरा बना रहता है. वहीं, कुछ महिलाएं तो पीरिएड्स को टालने के लिए दवाओं का इस्तेमाल कर रही हैं. हेल्थ एक्सपर्ट ऐसे हालातों पर चिंता जता रहे हैं.
गाजा की नाकेबंदी के कारण नहीं हो रही सामानों की सप्लाई
दरअसल, इसके पीछे गाजा में साफ-सफाई, पानी की कमी और बाकी दवाइयों का ना होना बड़ा कारण है. गाजा की नाकेबंदी के कारण कोई भी सामान वहां नहीं पहुंच रहा है. गाजा में इन महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन, मेंस्टुरल कप और पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्याओं से बचाने वाली दवाइयां भी नहीं मिल पा रही हैं. इन मुश्किलों से जूझ रहीं महिलाएं डॉक्टरों की सलाह लेने भी नहीं जा पा रही हैं. क्योंकि जंग की वजह से अस्पतालों में पहले से ही लोड है. ज्यादातर अस्पतालों में हेल्थ सिस्टम चरमरा गई है.
टॉयलेट की बदबू में घुटने लगता है दम
हला अताया को जंग के बीच उत्तरी गाजा में अपना घर-बार छोड़ना पड़ा. अब वो अपने तीन बच्चों के साथ संयुक्त राष्ट्र की ओर से संचालित एक स्कूल में शरणार्थी के तौर पर रह रही हैं. यहां उन्हें सैकड़ों लोगों के साथ टॉयलेट शेयर करना पड़ता है. यहां पीने के पानी के लिए मारामारी लगी रहती है. ऐसे में नहाने के पानी के बारे में सोचना बड़ी बात लगती है. टॉयलेट में साफ-सफाई नहीं होती. बदबू से दम घुटने लगता है.
हमास को खत्म करने के लिए इजरायल ने निकाली नई तरकीब, गाजा के सुरंगों में लाएगा 'सैलाब'
खुले टॉयलेट में तब्दील हो गई सड़कें
मिस्र की सीमा से सटे राफा की सड़कें खुले टॉयलेट में तब्दील हो गई हैं. कूड़े के ढेर ने शहर को ढक दिया है. राफा अब एक बड़ा शरणार्थी शिविर बन गया है. यहां ज्यादातर गाजावासियों को क्षेत्र छोड़ने से रोक दिया गया है. लिहाजा लोग यहीं फंस गए हैं. उनके पास न खाना है और न पानी.
स्कीन रैशेज और इंफेक्शन का बढ़ता खतरा
गाजा सिटी से विस्थापित 18 वर्षीय समर शल्हौब कहती हैं, "हम आदि मानव के काल (पाषाण युग) में वापस चले गए हैं. वहां कोई सुरक्षा नहीं है. कोई खाना-पानी नहीं है. कोई साफ-सफाई नहीं होती. मैं शर्मिंदा हूं, मैं अपमानित महसूस करती हूं." सैनिटरी पैड नहीं उपलब्ध होने पर शल्हौब पीरिएड्स के दौरान फटे पुराने कपड़ों का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं. इससे उन्हें स्कीन रैशेज और इंफेक्शन की शिकायत होती है.
गर्भनिरोधक गोलियों की बिक्री चार गुना बढ़ी
डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (MSF) की मैरी-ऑरे पेरेउट रिवियल ने कहा, "गर्भनिरोधक गोलियों की बिक्री चार गुना बढ़ गई है. क्योंकि महिलाएं पीरिएड्स को कंट्रोल करना चाहती हैं." एक NGO ने कहा, "वहां कुछ भी नहीं है. कपड़े बदलने के लिए कोई प्राइवेसी नहीं है. पीरिएड्स के दौरान खुद को साफ रखने के लिए साबुन नहीं है."
गाजा में तत्काल युद्धविराम वाला UN का प्रस्ताव नहीं हुआ पास, अमेरिका के वीटो की वजह से खारिज
एक अन्य NGO एक्शन अगेंस्ट हंगर ने कहा कि कई महिलाओं के कपड़ों पर पीरिएड्स के खून के धब्बे थे. वे ऐसे डायपर या कॉटन के कपड़ों का लगातार इस्तेमाल करने को मजबूर थीं. इससे इंफेक्शन का खतरा था."
डायपर को काटकर करना पड़ रहा इस्तेमाल
विस्थापित गाजावासियों के लिए स्कूल का एक क्लासरूम बेडरूम में तब्दील हो चुका है. एक क्लास में सैकड़ों लोग रह रहे हैं. इनमें उम्म सैफ भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि उनकी पांच बेटियां अपने पीरिएड्स के समय बच्चों के डायपर पैम्पर्स का इस्तेमाल करती हैं.
वहीं, गाजा की रहने वाली सलमा कहती हैं, "मैं इस युद्ध के दौरान अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों का अनुभव कर रही हूं. अवसाद (डिप्रेशन) की वजह से इस महीने मुझे दो बार पीरिएड्स से गुजरना पड़ा." वहीं, 55 साल की समीरा अल सादी बेहद निराश हैं. उनकी 15 साल की बेटी को पहली बार पीरिएड्स हुआ है. वह परेशान हैं कि उनकी बेटी को सैनिटरी पैड और पानी जैसी बुनियादी जरूरतें नहीं मिलने पर वह परेशान हो जाएगी.
अमेरिका के UN में गाजा युद्धविराम का प्रस्ताव रोकने के बाद हमास पर इजरायली हमले तेज, 6 लोगों की मौत
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं