Israel Attack on Iran: अमेरिका की बात क्यों नहीं सुन रहा इजरायल
Israel Attacks Iran's military & nuclear sites: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार, 12 जून को इजराइल से अपील की कि वह ईरान पर हमला नहीं करे. उन्होंने एक बार फिर घोषणा की कि उनका लक्ष्य शांति स्थापित करना है. लेकिन कुछ ही घंटों बाद ही ट्रंप के सबसे करीबी अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों में से एक, इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ "प्रीमेप्टिव" हमला बताते हुए एक प्रमुख सैन्य अभियान शुरू कर दिया और इस तरह ट्रंप की सलाह की बिना किसी हिचक के अवहेलना कर दी. इस अटैक को इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लायन नाम दिया है.
ट्रंप ने दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद "शांति पुरुष" होने का ऊंचा लक्ष्य बनाया था लेकिन ईरान पर इजरायल का हमला उनके लक्ष्य को लगा सबसे लेटेस्ट झटका है.
ईरान पर इजरायल का हमला और अमेरिका का कहना- मेरा हाथ नहीं
ट्रंप के समर्थन से हमास के साथ युद्धविराम को आगे बढ़ाने पर बातचीत में रुकावट आने के बाद से इजरायल ने गाजा में एक और बड़े पैमाने पर आक्रमण फिर से शुरू किया है. ट्रंप के मित्र और दूत स्टीव विटकॉफ ने यूक्रेन, गाजा और ईरान- तीनों संकटों में वार्ता की है. वो रविवार को ओमान में ईरानी अधिकारियों से फिर मिलने वाले थे.
इजरायल के हमले के बाद विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने एक बयान में स्पष्ट किया कि अमेरिका ईरान पर हमला करने में शामिल नहीं है और तेहरान को क्षेत्र में अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई नहीं करने की चेतावनी दी.
रुबियो के अनुसार इजरायल ने बताया है कि उसने "आत्मरक्षा" के लिए हमला किया है. लेकिन उन्होंने स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया कि क्या अमेरिका उसके इस फैसले से सहमत था. हमले से कुछ घंटे पहले ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि वह ईरान के साथ "राजनयिक समाधान के लिए प्रतिबद्ध" हैं.
उन्होंने कहा, "ये हमले ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बाधित, विलंबित और खराब करने के लिए हैं. मुझे लगता है कि सवाल यह है कि भविष्य में अमेरिका और इजरायल एक साथ मिलकर काम करेंगे या नहीं."
अमेरिका से नहीं बैठ रही इजरायल की पटरी?
स्ट्रोल ने कहा कि इजरायल और ट्रंप के बीच दरार पैदा हो रही है. पिछले महीने पूर्व इस्लामी गुरिल्ला अहमद अल-शरा के सत्ता में आने के बाद ट्रंप सीरिया पर प्रतिबंध हटाने पर सहमत हुए थे और इजरायल इससे सहमत नहीं था. ट्रंप ने खाड़ी देश के अपने दौरे पर नए सीरियाई नेता से हाथ मिलाया था. पिछले महीने कतर में, ट्रंप ने अमीर से मुलाकात के बाद कहा था कि उनका मानना है कि ईरान के साथ एक समझौता होने वाला है और इस क्षेत्र पर कोई "परमाणु धूल" (nuclear dust) नहीं होगी.
ख्याल रहे कि बढ़ती असहमतियों के बावजूद, इजरायल को ट्रंप के दक्षिणपंथी वोटबैंक में मजबूत समर्थन प्राप्त है. हाल के दिनों में ट्रंप प्रशासन ने फिर से इजरायल का समर्थन करने के लिए अकेला रुख अपना लिया है, अमेरिका ने गाजा युद्धविराम प्रस्ताव के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में एकमात्र वोट डाला और सुदूर दक्षिणपंथी इजरायली मंत्रियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए ब्रिटेन सहित शीर्ष सहयोगी देशों की आलोचना की.
उन्होंने कहा, "इजरायल को अपनी विदेश नीति चुनने का अधिकार है. साथ ही, उस नीति की कीमत उठाने की जिम्मेदारी भी उसकी है."
लेकिन ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के सांसद तुरंत इजराइल के पक्ष में आ गए. सीनेटर टॉम कॉटन ने कहा कि अमेरिका को "हर तरह से इजरायल का समर्थन करना चाहिए" और अगर ईरान अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाता है तो उसे उखाड़ फेंकना चाहिए.
ट्रंप के डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी, जो ज्यादातर ईरान पर उनकी कूटनीति का समर्थन करते थे, वे नई अमेरिका-ईरान वार्ता के बीच पर इजरायल की कार्रवाई से हैरान हैं. सीनेट सशस्त्र बल समिति के शीर्ष डेमोक्रेट जैक रीड ने कहा, "इजरायल का ईरान पर हवाई हमले शुरू करने का खतरनाक निर्णय एक लापरवाह वृद्धि है जो क्षेत्रीय हिंसा को भड़काने का जोखिम है."
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