
भारत और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में इस्लामिक स्टेट के पोस्टर और झंडे मिले हैं, जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस चरमपंथी समूह ने तालिबान और अल-कायदा के गढ़ माने जाने वाले इलाकों में आतंकियों को लुभाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं।
पाकिस्तान के तालिबानी आतंकियों का एक समूह जमात-उस अहरार ने आईएस के समर्थन की घोषणा पहले ही कर रखी है। जमात-उल अहरार के नेता एहसानुल्ला एहसान ने रॉयटर्स से कहा, 'आईएस (इस्लामिक स्टेट) इस्लामी प्रणाली और खिलाफत के निर्माण के लिए काम करने वाला एक इस्लामिक जिहादी संगठन है। हम उनकी आदर करते हैं। अगर वे हमसे मदद मांगेंगे तो हम इस पर विचार करेंगे।'
वहीं भारतीय कश्मीर और पाक अधिकृत कश्मीर में भी कई जगहों पर आईएस के समर्थन में पोस्टर और झंडे लगे मिले हैं। खुफिया एवं पुलिस सूत्रों का कहना है कि श्रीनगर के कुछ हिस्सों में सबसे पहले 27 जून को ये पोस्टर लगे मिले थे। इसके अलावा श्रीनगर की दीवारों पर कुछ नारे भी लिखे हुए थे।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पिछले दिनों भारत विरोधी प्रदर्शन में कुछ लोग आईएस का झंडा लिए हुए भी दिखे थे, लेकिन उन्हें अरेस्ट नहीं किया गया है।
इस्लामिक स्टेट भारत के अन्य हिस्सों में भी मुस्लिम युवाओं को ललचाने की कोशिश कर रहा है। जुलाई के महीने में आईएस का एक विडियो भी सामने आया था, जिसमें हिंदी, तमिल और उर्दु जैसी भारतीय भाषाओं के सबटाइटल में मुस्लिमों से जिहाद में शामिल होने की अपील की गई थी।
गौरतलब है कि मुंबई से आईएस में शामिल होने के लिए गए एक युवक की पिछले दिनों मौत हो गई थी। इसके अलावा कोलकाता में भी कुछ दिन पहले ऐसे स्टूडेंट्स को अरेस्ट किया था, जो आईएस में शामिल होने जा रहे थे।
सुरक्षा एजेंसियां इस बात को लेकर बेहद चिंतित हैं। उनका मानना है कि अभी हमें आईएस के समर्थक युवाओं के कुछ ही मामलों का पता चला है, क्योंकि वे सामने आ गए हैं। आशंका है कि बहुत सारे मुस्लिम युवक आईएस में शामिल होने के लिए गए हैं।
इसके अलावा देश में ऐसे लोगों की भी कम तादाद नहीं है, जो इस्लामिक स्टेट के प्रति हमदर्दी रखते हैं। दरअसल फेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब और अन्य सोशल मीडिया के द्वारा आईएस युवाओं को बरगला रहा है। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों के लिए ऐसे लोगों को ट्रेस कर पाना आसान काम नहीं है।