प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, इंटर सर्विसिस इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने बीते एक से डेढ़ साल में भारत में अपने एजेंटों से संपर्क के लिए दिल्ली में बिकने वाले सिमकार्ड का इस्तेमाल किया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि आईएसआई ने प्रीपेड टेलीफोन सिमकार्ड का इस्तेमाल अटारी-वाघा सीमा के पास से अपने जम्मू एवं कश्मीर स्थित एजेंटों से संपर्क के लिए किया था। राज्य में इस नंबर से फोन काल और व्हाट्सएप संदेश पाने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
सिमकार्ड पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मीनगर की रोहिणी जेम्स नामक एक महिला के नाम पर जारी किया गया था। एक उच्चपदस्थ पुलिस सूत्र ने कहा, "लक्ष्मीनगर के पते पर इस नाम की कोई महिला न कभी रहती थी और न आज रह रही है।" दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को इस बारे में जानकारी नवंबर 2015 में देशव्यापी जासूसी रैकेट का पर्दाफाश करने के दौरान मिली।
कफायतुल्ला खान नामक व्यक्ति को 26 नवंबर को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर आईएसआई के जासूसी रैकेट का पर्दाफाश करने वाले अपराध शाखा के एक अधिकारी ने कहा कि सिमकार्ड एक अग्रणी सेलुलर सेवा प्रदाता का है। संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध शाखा) रविंद्र यादव ने कहा, "आईएसआई के एक एजेंट ने दिल्ली के नंबर का इस्तेमाल भारत-पाकिस्तान सीमा के पास से भारत में अपने एजेंटों से संपर्क के लिए किया। यह नंबर एक फर्जी पहचान पत्र के आधार पर जारी किया गया था।"
एक अन्य अफसर ने कहा, "यह एक प्रीपेड नंबर था और इसका इस्तेमाल व्हाट्सएप के जरिए संदेश भेजने के लिए किया गया। इसका इस्तेमाल अटारी सीमा के पास से भारतीय टॉवरों के जरिए किया गया। ऐसे में इंटरनेशनल रोमिंग चार्ज नहीं देना पड़ा।" दिल्ली पुलिस ने नवंबर-दिसंबर के बीच आईएसआई के छह एजेंटों को पकड़ा था। इनमें वायुसैनिक रंजीत केके, लाइब्रेरी सहायक कफायतुल्ला खान, सीमा सुरक्षा बल का हेड कांस्टेबल अब्दुल रशीद, सेना का अवकाशप्राप्त हवलदार मुनव्वर अहमद मीर, सैनिक फरीद खान और सरकारी शिक्षक साबर शामिल हैं।
अधिकारी ने कहा कि कफायतुल्ला, मीर और साबर आईएसआई के सूत्रधार के संपर्क में थे, जो सिमकार्ड का इस्तेमाल कर रहा था। इस सूत्रधार की पहचान फैजल के रूप में हुई है। अधिकारी ने कहा, "फैजल की वास्तविक पहचान अभी होनी बाकी है। हम उस व्यक्ति की तलाश कर रहे हैं, जिसने फैजल को सिमकार्ड बेचा था।" 30 दिसंबर को पुलिस ने फर्जी पहचान पत्र के आधार पर दिल्ली में कई सिमकार्ड बेचने के आरोप में अंकुश खंडेलवाल को गिरफ्तार किया था। उसके पास से कुल 205 प्री-एक्टिवेटेड सिमकार्ड मिले थे।
अधिकारी ने बताया कि पश्चिमी दिल्ली के शकूरपुर में पुलिस ने चार जनवरी को मोहित गुप्ता (33) को गिरफ्तार किया था। उस पर बिना आवास के पते के फर्जी पहचान पत्र बनाने का आरोप है।मोहित इन फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर सिमकार्ड एक्टिवेट कराता था और इन्हें 500 से 700 रुपये में बेच देता था। खरीदार से किसी तरह का पहचान दस्तावेज लिए बगैर वह सिम बेच देता था। अधिकारी ने कहा, "मोहित ने उन लोगों के भी पहचान पत्र बनाए, जिनके पास दिल्ली के पते का प्रमाण-पत्र नहीं था।"
सिमकार्ड पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मीनगर की रोहिणी जेम्स नामक एक महिला के नाम पर जारी किया गया था। एक उच्चपदस्थ पुलिस सूत्र ने कहा, "लक्ष्मीनगर के पते पर इस नाम की कोई महिला न कभी रहती थी और न आज रह रही है।" दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को इस बारे में जानकारी नवंबर 2015 में देशव्यापी जासूसी रैकेट का पर्दाफाश करने के दौरान मिली।
कफायतुल्ला खान नामक व्यक्ति को 26 नवंबर को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर आईएसआई के जासूसी रैकेट का पर्दाफाश करने वाले अपराध शाखा के एक अधिकारी ने कहा कि सिमकार्ड एक अग्रणी सेलुलर सेवा प्रदाता का है। संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध शाखा) रविंद्र यादव ने कहा, "आईएसआई के एक एजेंट ने दिल्ली के नंबर का इस्तेमाल भारत-पाकिस्तान सीमा के पास से भारत में अपने एजेंटों से संपर्क के लिए किया। यह नंबर एक फर्जी पहचान पत्र के आधार पर जारी किया गया था।"
एक अन्य अफसर ने कहा, "यह एक प्रीपेड नंबर था और इसका इस्तेमाल व्हाट्सएप के जरिए संदेश भेजने के लिए किया गया। इसका इस्तेमाल अटारी सीमा के पास से भारतीय टॉवरों के जरिए किया गया। ऐसे में इंटरनेशनल रोमिंग चार्ज नहीं देना पड़ा।" दिल्ली पुलिस ने नवंबर-दिसंबर के बीच आईएसआई के छह एजेंटों को पकड़ा था। इनमें वायुसैनिक रंजीत केके, लाइब्रेरी सहायक कफायतुल्ला खान, सीमा सुरक्षा बल का हेड कांस्टेबल अब्दुल रशीद, सेना का अवकाशप्राप्त हवलदार मुनव्वर अहमद मीर, सैनिक फरीद खान और सरकारी शिक्षक साबर शामिल हैं।
अधिकारी ने कहा कि कफायतुल्ला, मीर और साबर आईएसआई के सूत्रधार के संपर्क में थे, जो सिमकार्ड का इस्तेमाल कर रहा था। इस सूत्रधार की पहचान फैजल के रूप में हुई है। अधिकारी ने कहा, "फैजल की वास्तविक पहचान अभी होनी बाकी है। हम उस व्यक्ति की तलाश कर रहे हैं, जिसने फैजल को सिमकार्ड बेचा था।" 30 दिसंबर को पुलिस ने फर्जी पहचान पत्र के आधार पर दिल्ली में कई सिमकार्ड बेचने के आरोप में अंकुश खंडेलवाल को गिरफ्तार किया था। उसके पास से कुल 205 प्री-एक्टिवेटेड सिमकार्ड मिले थे।
अधिकारी ने बताया कि पश्चिमी दिल्ली के शकूरपुर में पुलिस ने चार जनवरी को मोहित गुप्ता (33) को गिरफ्तार किया था। उस पर बिना आवास के पते के फर्जी पहचान पत्र बनाने का आरोप है।मोहित इन फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर सिमकार्ड एक्टिवेट कराता था और इन्हें 500 से 700 रुपये में बेच देता था। खरीदार से किसी तरह का पहचान दस्तावेज लिए बगैर वह सिम बेच देता था। अधिकारी ने कहा, "मोहित ने उन लोगों के भी पहचान पत्र बनाए, जिनके पास दिल्ली के पते का प्रमाण-पत्र नहीं था।"