तेहरान:
ईरान पर परमाणु हथियार विकसित करने के पश्चिमी देशों के आरोपों के बीच यहां के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामनेई ने गुरुवार को जोर देकर कहा कि उनका देश परमाणु हथियार बनाना नहीं चाहता, लेकिन शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल का 'अपना हक' नहीं छोड़ेगा।
उन्होंने दुनिया के ऐसे देशों (पश्चिमी देश) की आलोचना भी की, जो परमाणु प्रौद्योगिकी को अपने आप तक सीमित रखना चाहते हैं।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन के 16वें शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए खामनेई अमेरिका पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि अमेरिका दुनिया पर धौंस जमाने के लिए संयुक्त राष्ट्र का दुरुपयोग कर रहा है।
उन्होंने कहा, "इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान परमाणु एवं रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल का विरोध करता है और इसे अक्षम्य पाप के रूप में देखता है। हमने मध्य-पूर्व को परमाणु हथियार मुक्त बनाने का नारा दिया है और हम इसके प्रति प्रतिबद्ध हैं।"
खामनेई ने कहा, "लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ईरान शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल का अपना हक छोड़ देगा। अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार, नागरिक परमाणु प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल दुनिया के सभी देशों के लिए सही है। हर किसी को अपने देश के लिए विभिन्न उद्देश्यों के संदर्भ में इस सुरक्षित ऊर्जा के इस्तेमाल का अधिकार मिलना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि कुछ पश्चिमी देशों के पास परमाणु हथियार हैं, लेकिन वे परमाणु ईंधन उत्पादित करने की क्षमता को अपने आप तक सीमित कर लेना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, "इसकी सबसे बड़ी बिडम्बना अमेरिकी प्रशासन है, जिसके पास व्यापक विनाश के सबसे अधिक और सर्वाधिक घातक परमाणु तथा अन्य हथियार हैं, वह एकमात्र देश है जो इनके इस्तेमाल को लेकर प्रतिबद्ध है। लेकिन आज वही परमाणु प्रसार के खिलाफ झंडा उठाए हुए है।"
खामनेई ने अमेरिका पर अपना हित साधने के लिए संयुक्त राष्ट्र के इस्तेमाल का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की संरचना पूरी तरह अतार्किक, अनुचित तथा अलोकतांत्रिक है। यह तनाशाही का स्पष्ट रूप है, जो बेहद पुराना तथा बेकार हो चुका है और इसके समापन की अवधि गुजर चुकी है।"
उन्होंने कहा, "अमेरिका तथा इसके सहयोगी 'मानव अधिकारों' की रक्षा के नाम पर पश्चिम के हितों की रक्षा करते हैं। वे 'लोकतंत्र' के नाम पर दूसरे देशों में सैन्य हस्तक्षेप करते हैं और 'आतंकवाद से लड़ने' के नाम पर विभिन्न देशों के गांवों तथा शहरों में बम व हथियारों से निरीह लोगों को निशाना बनाते हैं।"
उन्होंने दुनिया के ऐसे देशों (पश्चिमी देश) की आलोचना भी की, जो परमाणु प्रौद्योगिकी को अपने आप तक सीमित रखना चाहते हैं।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन के 16वें शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए खामनेई अमेरिका पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि अमेरिका दुनिया पर धौंस जमाने के लिए संयुक्त राष्ट्र का दुरुपयोग कर रहा है।
उन्होंने कहा, "इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान परमाणु एवं रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल का विरोध करता है और इसे अक्षम्य पाप के रूप में देखता है। हमने मध्य-पूर्व को परमाणु हथियार मुक्त बनाने का नारा दिया है और हम इसके प्रति प्रतिबद्ध हैं।"
खामनेई ने कहा, "लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ईरान शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल का अपना हक छोड़ देगा। अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार, नागरिक परमाणु प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल दुनिया के सभी देशों के लिए सही है। हर किसी को अपने देश के लिए विभिन्न उद्देश्यों के संदर्भ में इस सुरक्षित ऊर्जा के इस्तेमाल का अधिकार मिलना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि कुछ पश्चिमी देशों के पास परमाणु हथियार हैं, लेकिन वे परमाणु ईंधन उत्पादित करने की क्षमता को अपने आप तक सीमित कर लेना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, "इसकी सबसे बड़ी बिडम्बना अमेरिकी प्रशासन है, जिसके पास व्यापक विनाश के सबसे अधिक और सर्वाधिक घातक परमाणु तथा अन्य हथियार हैं, वह एकमात्र देश है जो इनके इस्तेमाल को लेकर प्रतिबद्ध है। लेकिन आज वही परमाणु प्रसार के खिलाफ झंडा उठाए हुए है।"
खामनेई ने अमेरिका पर अपना हित साधने के लिए संयुक्त राष्ट्र के इस्तेमाल का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की संरचना पूरी तरह अतार्किक, अनुचित तथा अलोकतांत्रिक है। यह तनाशाही का स्पष्ट रूप है, जो बेहद पुराना तथा बेकार हो चुका है और इसके समापन की अवधि गुजर चुकी है।"
उन्होंने कहा, "अमेरिका तथा इसके सहयोगी 'मानव अधिकारों' की रक्षा के नाम पर पश्चिम के हितों की रक्षा करते हैं। वे 'लोकतंत्र' के नाम पर दूसरे देशों में सैन्य हस्तक्षेप करते हैं और 'आतंकवाद से लड़ने' के नाम पर विभिन्न देशों के गांवों तथा शहरों में बम व हथियारों से निरीह लोगों को निशाना बनाते हैं।"
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