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ईरान-इजरायल जंग: 160 भारतीय नागरिकों का पहला जत्था अम्मान से रवाना, आज लौटेंगे स्वदेश

ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष के मद्देनजर भारत ने वहां से भारतीयों को वापस लाने के लिए पिछले सप्ताह ऑपरेशन सिंधु शुरू किया था.

ईरान-इजरायल जंग: 160 भारतीय नागरिकों का पहला जत्था अम्मान से रवाना, आज लौटेंगे स्वदेश
  • इजरायल में फंसे 160 भारतीय नागरिकों का पहला जत्था अम्मान से भारत के लिए रवाना हुआ.
  • भारतीय दूतावासों ने इजरायली हवाई क्षेत्र बंद होने के बावजूद निकासी के प्रयास किए हैं.
  • भारत 24 घंटे काम करने वाला नियंत्रण कक्ष स्थापित कर निकासी की निगरानी कर रहा है.
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अम्मान (इजरायल):

ईरान और इजरायल जंग के बीच इजरायल में फंसे 160 भारतीय नागरिकों का पहला जत्था अम्मान से भारत के लिए रवाना हो गया है. ये सभी आज स्वदेश लौटेंगे. सोमवार को अम्मान से दिल्ली के लिए उड़ान भरने के समय विमान में सभी यात्री 'भारत माता की जय' के नारे लगा रहे थे.

इजरायल और जॉर्डन स्थित भारत के दूतावासों ने इजरायली हवाई क्षेत्र बंद होने और वाणिज्यिक उड़ानें निलंबित होने के बावजूद संयुक्त कोशिश कर रविवार को ‘ऑपरेशन सिंधु' के तहत 160 भारतीय नागरिकों के पहले जत्थे को बाहर निकाला था.

विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों की सुरक्षित स्वदेश वापसी के लिए अम्मान से नई दिल्ली तक विशेष उड़ानों की व्यवस्था की. आने वाले दिनों में मिस्र से भी कुछ उड़ानें संचालित करने की योजना है, क्योंकि इजराइल के दक्षिण में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं.

सूत्रों ने बताया कि पहले जत्थे में निकाले जाने वाले भारतीय नागरिक रविवार को तेल अवीव और हाइफा में निर्धारित स्थानों पर एकत्र हुए और फिर उन्हें सड़क मार्ग से यहां से लगभग 120 किलोमीटर दूर इजराइल-जॉर्डन सीमा पर शेख हुसैन ब्रिज ले जाया गया. उन्होंने बताया कि इजराइल-जॉर्डन सीमा पर आव्रजन और सीमा संबंधी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद, समूह 120 किलोमीटर दूर अम्मान हवाई अड्डे के लिए रवाना हुआ.

हिब्रू विश्वविद्यालय के शोधकर्ता अरविंद शुक्ला उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें इजराइल से निकाला गया. उन्होंने कठिन परिस्थितियों में दूतावास द्वारा सहज और सुनियोजित प्रक्रिया की प्रशंसा की. शुक्ला ने कहा कि दूतावास ने हमारी यात्रा को सुविधाजनक बनाने में बहुत मदद की और हमारी अच्छी तरह से देखभाल की गई.

भारतीय मिशन ने इजरायल से लोगों के पहले जत्थे को निकाला, क्योंकि यहां रहने वाले भारतीय नागरिक लगातार सायरन की आवाजों से जूझ रहे थे. इजरायल में भारतीय नागरिक ईरान से आने वाली मिसाइलों और ड्रोन से बचने के लिए अक्सर बंकरों और सुरक्षित कमरों में शरण ले रहे थे.

ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष के मद्देनजर भारत ने वहां से भारतीयों को वापस लाने के लिए पिछले सप्ताह ऑपरेशन सिंधु शुरू किया था. सूत्र ने बताया कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तेल अवीव स्थित भारतीय दूतावास ने पिछले सप्ताह निकासी प्रयासों के सभी पहलुओं पर निगरानी रखने के लिए 24 घंटे काम करने वाला नियंत्रण कक्ष स्थापित किया.

उन्होंने बताया कि नियंत्रण कक्ष ने भारतीय नागरिकों को एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण कराने का निर्देश दिया और पूरे इजरायल में भारतीय नागरिकों का एक विस्तृत डेटाबेस तैयार किया.

सूत्र ने कहा, "चिकित्सा आपात स्थितियों, छोटे बच्चों, महिलाओं और छात्रों की उपस्थिति के आधार पर निकासी की प्राथमिकताएं निर्धारित की गईं. दूतावास के अधिकारियों ने लोगों से फोन और ईमेल के जरिये पंजीकरण कराने वालों से संपर्क किया और यात्रा और विशेष उड़ानों में उनके लिए निर्धारित सीट आदि की जानकारी दी."

उन्होंने बताया कि सरकार के उच्चतम स्तर पर जमीनी स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के बारे में सक्रिय रूप से वास्तविक समय पर अद्यतन जानकारी प्राप्त कर रहे हैं.

भारतीय मिशन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "यह अभियान विदेशों में अपने नागरिकों की सुरक्षा और कल्याण के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है. ऑपरेशन सिंधु, अंतरराष्ट्रीय संकटों में विश्वसनीय 'प्रथम प्रतिक्रियादाता' के रूप में भारत के उभरने का एक और प्रमाण है."

तेल अवीव स्थित भारतीय दूतावास ने कहा कि इजरायल और जॉर्डन की सरकारों ने भारतीय नागरिकों की सुरक्षित और व्यवस्थित आवाजाही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण सहयोग किया. इसमें कहा गया है कि जॉर्डन स्थित भारतीय दूतावास ने इजरायल से निकाले गए लोगों की अगवानी की और अम्मान हवाई अड्डे तक उनकी आगे की यात्रा को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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