वाशिंगटन:
अगले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से पहले ईरान के नए राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिका के साथ 'रचनात्मक बातचीत' का आह्वान किया है। वहीं, व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने ईरानी समकक्ष से मिलने को इच्छुक हैं।
'द वाशिंगटन पोस्ट' के एक विशेष ऑप-एड में रूहानी ने लिखा है, संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लेने के लिए मैं निकलने वाला हूं, मैं अपने समकक्षों से इस मौके का इस्तेमाल करने का आग्रह करता हूं। उन्होंने कहा है, मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि मेरी अवाम ने मुझे जनादेश दिया है और रचनात्मक वार्ता में हिस्सा लेने के लिए मेरी सरकार के प्रयास पर सही तरीके से प्रतिक्रिया दी जाए।
ईरानी राष्ट्रपति ने कहा, मैं सबसे अनुरोध करता हूं कि वे व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें और साहस के साथ मुझे अपनी राय से अवगत कराएं... भले ही वह उनके राष्ट्रीय हित में न हो, लेकिन उनकी विरासत के, हमारे बच्चों के और आने वाली पीढ़ियों के हित में हो। उन्होंने कहा कि इस बदली हुई दुनिया में अंतरराष्ट्रीय राजनीति एक बहुपक्षीय परिदृश्य है, जहां सहयोग और प्रतिस्पर्धा अक्सर एक ही समय में मिलते हैं। खूनखराबे का दौर जा चुका है।
रूहानी ने उम्मीद जताई कि वैश्विक नेता अवसर का उपयोग करेंगे। रूहानी ने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि एकपक्षवाद की वजह से अक्सर रचनात्मक पक्ष दब जाते हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और चरमपंथ जैसे जिन मुद्दों का हम सामना कर रहे हैं, उनका हल एकपक्षीय पहल से नहीं निकल सकता। दोनों देशों के बीच वर्ष 1979 में हुई उस इस्लामी क्रांति के बाद से कूटनीतिक रिश्ते नहीं हैं, जिसमें पश्चिम समर्थित शाह प्रशासन को देशव्यापी विरोध के बाद अपदस्थ कर दिया गया था।
इससे पहले व्हाइट हाउस ने कहा कि न्यूयॉर्क में ओबामा और रूहानी के बीच वार्ता हो सकती है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जे कार्नी ने संवाददाताओं से कहा था, मैं यही कहूंगा कि यह संभव है। लेकिन, यह हमेशा से संभव रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने रूहानी की इन हालिया टिप्पणियों का स्वागत किया है, जिसमें ईरानी राष्ट्रपति ने कहा था कि उनका देश परमाणु हथियार विकसित नहीं करेगा। एनबीसी समाचार चैनल पर प्रसारित एक साक्षात्कार में रूहानी ने कहा था कि किसी भी हालात में हम परमाणु हथियारों सहित सामूहिक विनाश के कोई हथियार नहीं चाहते और न ही भविष्य में ऐसा चाहेंगे।
'द वाशिंगटन पोस्ट' के एक विशेष ऑप-एड में रूहानी ने लिखा है, संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लेने के लिए मैं निकलने वाला हूं, मैं अपने समकक्षों से इस मौके का इस्तेमाल करने का आग्रह करता हूं। उन्होंने कहा है, मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि मेरी अवाम ने मुझे जनादेश दिया है और रचनात्मक वार्ता में हिस्सा लेने के लिए मेरी सरकार के प्रयास पर सही तरीके से प्रतिक्रिया दी जाए।
ईरानी राष्ट्रपति ने कहा, मैं सबसे अनुरोध करता हूं कि वे व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें और साहस के साथ मुझे अपनी राय से अवगत कराएं... भले ही वह उनके राष्ट्रीय हित में न हो, लेकिन उनकी विरासत के, हमारे बच्चों के और आने वाली पीढ़ियों के हित में हो। उन्होंने कहा कि इस बदली हुई दुनिया में अंतरराष्ट्रीय राजनीति एक बहुपक्षीय परिदृश्य है, जहां सहयोग और प्रतिस्पर्धा अक्सर एक ही समय में मिलते हैं। खूनखराबे का दौर जा चुका है।
रूहानी ने उम्मीद जताई कि वैश्विक नेता अवसर का उपयोग करेंगे। रूहानी ने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि एकपक्षवाद की वजह से अक्सर रचनात्मक पक्ष दब जाते हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और चरमपंथ जैसे जिन मुद्दों का हम सामना कर रहे हैं, उनका हल एकपक्षीय पहल से नहीं निकल सकता। दोनों देशों के बीच वर्ष 1979 में हुई उस इस्लामी क्रांति के बाद से कूटनीतिक रिश्ते नहीं हैं, जिसमें पश्चिम समर्थित शाह प्रशासन को देशव्यापी विरोध के बाद अपदस्थ कर दिया गया था।
इससे पहले व्हाइट हाउस ने कहा कि न्यूयॉर्क में ओबामा और रूहानी के बीच वार्ता हो सकती है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जे कार्नी ने संवाददाताओं से कहा था, मैं यही कहूंगा कि यह संभव है। लेकिन, यह हमेशा से संभव रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने रूहानी की इन हालिया टिप्पणियों का स्वागत किया है, जिसमें ईरानी राष्ट्रपति ने कहा था कि उनका देश परमाणु हथियार विकसित नहीं करेगा। एनबीसी समाचार चैनल पर प्रसारित एक साक्षात्कार में रूहानी ने कहा था कि किसी भी हालात में हम परमाणु हथियारों सहित सामूहिक विनाश के कोई हथियार नहीं चाहते और न ही भविष्य में ऐसा चाहेंगे।
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