फाइल फोटो
काठमांडू:
विनाशकारी भूकंप से तबाह हुए नेपाल ने अब भारत सहित 34 देशों से अपने राहत एवं बचाव दल वापल बुलाने को कहा है। इसके साथ ही जापान, तुर्की, यूक्रेन, यूके और नीदरलैंड के बचाव दलों से यहां से जाना शुरू कर दिया है।
नेपाल के सेना प्रमुख जनरल गौरव एसजेबी राणा ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि आपदा राहत के फ्रेमवर्क में नियमों के तहत ऐसे ही वापसी होती है। इसी के अनुसार सभी 34 देशों से उनकी टीमें वापस बुलाने को कहा गया है, अब नेपाल सरकार धीरे-धीरे उनकी जगह लेगी।
वहीं सूचना मंत्री मिनेंद्र रिजाल ने बताया कि काठमांडू और इसके आसपास के इलाकों में बड़ा बचाव कार्य पूरा हो गया है और बाकी का काम स्थानीय कार्यकर्ताओं के जरिये किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हालांकि गांवों और दूर दराज के पर्वतीय इलाकों में काम बाकी है जो स्थानीय पुलिस एवं सेना के साथ विदेशी सहायता स्वयंसेवियों के जरिए किया जा सकेगा।
इधर विदेश मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि अब यहां लोगों को जिंदा बचाने के बजाए राहत कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, ऐसे में नेपाल सरकार ने इन देशों से अपना बचाव दल वापस बुला लेने को कहा है। विदेशी एजेंसियों की कार्यप्रणाली से नेपाल सरकार की नाराजगी की अटकलों को दिल्ली के अलावा काठमांडू में बैठे अधिकारियों ने सिरे से खारिज किया है।
मंत्रालय ने कहा, 'नेपाल ने 34 देशों से उनके सभी बचाव दलों को वापस बुलाने को कहा है। अब उन्हें मलबा हटाने वाले उपकरणों की जरूरत है। उन्होंने भारत से इसमें मदद मांगी है और एक सैन्य इंजीनियरिंग दल वहां जा रहा है।'
नेपाल में राहत कार्यों में जुटी विदेशी एजेंसियों में सबसे ज्यादा भारत की राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीमें हैं। बीती 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप के बाद एनडीआरएफ की 16 टीमें वहां राहत कार्यों में जुटी हैं, जिनमें प्रत्येक में करीब 50 कर्मी है।
एनडीआरएफ के डायरेक्टर जनरल ओपी सिंह ने कहा है कि फिलहाल नेपाल सरकार ने सिर्फ रेस्क्यू टीमों को हटाने को कहा है, जबकि राहत और पुनर्वास के में लगीं एनडीआरएफ की टीमों फिलहाल नेपाल में काम करती रहेंगी।
हिमालय की गोद में बसे इस देश में आए 7.9 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप में अब तक 7,200 लोगों की जान जा चुकी है।
नेपाल के सेना प्रमुख जनरल गौरव एसजेबी राणा ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि आपदा राहत के फ्रेमवर्क में नियमों के तहत ऐसे ही वापसी होती है। इसी के अनुसार सभी 34 देशों से उनकी टीमें वापस बुलाने को कहा गया है, अब नेपाल सरकार धीरे-धीरे उनकी जगह लेगी।
वहीं सूचना मंत्री मिनेंद्र रिजाल ने बताया कि काठमांडू और इसके आसपास के इलाकों में बड़ा बचाव कार्य पूरा हो गया है और बाकी का काम स्थानीय कार्यकर्ताओं के जरिये किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हालांकि गांवों और दूर दराज के पर्वतीय इलाकों में काम बाकी है जो स्थानीय पुलिस एवं सेना के साथ विदेशी सहायता स्वयंसेवियों के जरिए किया जा सकेगा।
इधर विदेश मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि अब यहां लोगों को जिंदा बचाने के बजाए राहत कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, ऐसे में नेपाल सरकार ने इन देशों से अपना बचाव दल वापस बुला लेने को कहा है। विदेशी एजेंसियों की कार्यप्रणाली से नेपाल सरकार की नाराजगी की अटकलों को दिल्ली के अलावा काठमांडू में बैठे अधिकारियों ने सिरे से खारिज किया है।
मंत्रालय ने कहा, 'नेपाल ने 34 देशों से उनके सभी बचाव दलों को वापस बुलाने को कहा है। अब उन्हें मलबा हटाने वाले उपकरणों की जरूरत है। उन्होंने भारत से इसमें मदद मांगी है और एक सैन्य इंजीनियरिंग दल वहां जा रहा है।'
नेपाल में राहत कार्यों में जुटी विदेशी एजेंसियों में सबसे ज्यादा भारत की राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीमें हैं। बीती 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप के बाद एनडीआरएफ की 16 टीमें वहां राहत कार्यों में जुटी हैं, जिनमें प्रत्येक में करीब 50 कर्मी है।
एनडीआरएफ के डायरेक्टर जनरल ओपी सिंह ने कहा है कि फिलहाल नेपाल सरकार ने सिर्फ रेस्क्यू टीमों को हटाने को कहा है, जबकि राहत और पुनर्वास के में लगीं एनडीआरएफ की टीमों फिलहाल नेपाल में काम करती रहेंगी।
हिमालय की गोद में बसे इस देश में आए 7.9 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप में अब तक 7,200 लोगों की जान जा चुकी है।
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