एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि इराक के नजफ प्रांत में सैकड़ों भारतीय कामगारों का पासपोर्ट उनके मालिकों ने देने से इनकार कर दिया है, जिस वजह से वे वहां फंसे हुए हैं।
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, सुरक्षा बलों और सशस्त्र बलों के बीच लड़ाई तेज हो रही है और यह पूरे इराक की जनता को प्रभावित कर रही है, वहां फंसे भारतीय कामगारों को खतरों का सामना करना पड़ सकता है।
संस्था के मुताबिक इसने कुछ भारतीय कामगारों से फोन पर बात की है, जिनका कहना है कि उन्हें पांच महीने से वेतन नहीं दिया गया और उनका पासपोर्ट भी रख लिया गया है।
एमनेस्टी के मुताबिक, एक कामगार ने कहा, हिंसा भड़कने से हम डरे हुए हैं और इसलिए खुद को कंपनी परिसर के दायरे में समेट लिया है। बिना पासपोर्ट के हम देश नहीं छोड़ सकते, और हर गुजरता दिन हमें और असुरक्षित महसूस कराता है। हम सिर्फ घर वापस जाना चाहते हैं।
कामगारों ने एमनेस्टी को यह भी बताया कि उन्होंने बगदाद स्थित भारतीय दूतावास को अपनी चिंता से अवगत कराया है, जिन्होंने उनसे मोबाइल संदेश के जरिये पासपोर्ट का ब्योरा भेजने की मांग की है। उन्होंने 19 जून को ब्योरा भेजा था और अब जवाब का इंतजार कर रहे हैं। एक अन्य कामगार ने एमनेस्टी से कहा कि उनके एजेंटों ने उनसे कहा है कि वे सुरक्षित हैं और खतरा महसूस करने पर उन्हें सुरक्षित स्थान पर भेज दिया जाएगा।
इधर, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ने भारत सरकार के फंसे हुए कामगारों को सुरक्षित निकालने के कदम का स्वागत किया है और उन प्रवासी कामगारों पर विशेष ध्यान देने की अपील की है, जिनका पासपोर्ट संभवत: उनके मालिकों को सौंप दिया गया है। एमनेस्टी ने सभी हथियारबंद संगठन से बिना शर्त सभी बंधकों को रिहा करने और नागरिकों पर हमला बंद करने की अपील की है।
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