अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप...
वाशिंगटन:
भारतीय अमेरिकी सांसदों ने आव्रजन पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शासकीय आदेश को समर्थन देने के लिए रिपब्लिकन हिंदू कोएलिशन की निंदा की है और कहा है कि यह आदेश देश को पीछे की ओर ‘‘अंधकारमय दौर में’’ ले जाएगा. तीन बार कांग्रेस के सदस्य चुने गए अमी बेरी ने कहा, ‘‘कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ भारतीय अमेरिकी सदस्य होने के तौर पर मेरा मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप का शासकीय आदेश अमेरिकियों के तौर पर हमें प्रतिबिम्बित नहीं करता.’’ उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी से संबंधित भारतीय अमेरिकी संगठन की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘रिपब्लिकन हिंदू कोएलिशन (आरएचसी) के कदम आज भारतीय अमेरिकी समुदाय के विस्तार एवं विविधता को प्रतिबिम्बित नहीं करते.’’ बेरा ने तीन अन्य भारतीय अमेरिकी सांसदों के साथ मिलकर कोएलिशन के खिलाफ नाराजगी प्रकट की.
कोएलिशन के अध्यक्ष शलभ कुमार ने कल कहा था, ‘‘हम इस्लामी आतंकवाद से हमारे नागरिकों की रक्षा करने के इस निर्णायक कदम के लिए ट्रंप प्रशासन की सराहना करते हैं.’’ बेरा ने कहा कि भारतीय मूल के लोगों के लिए वर्ष 1965 से पहले अमेरिका में बसना बहुत मुश्किल था ‘‘और यह आदेश में हमें उसे अंधकारमय दौर में पीछे की ओर ले जाता है.’’ कांग्रेस की सदस्य प्रमिला जयपाल ने कहा कि कोएलिशन उनका प्रतिनिधित्व नहीं करता. उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय अमेरिकियों के तौर पर बहुलवाद, धर्म की स्वतंत्रता, बोलने की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक विविध समाज में हमारा बहुत भरोसा है.’’
प्रमिला ने कहा, ‘‘मैं उनके लिए कहूंगी, शर्मनाक. भारतीय अमेरिकी समुदाय को विभाजित करने की कोशिश करना शर्मनाक है. हिंदू होने के नाते मैं आपको बता सकती हूं कि यह समूह उस अधिक वृहद भारतीय अमेरिकी समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करता जो धार्मिक स्वतंत्रता एवं लोकतंत्र के प्रति हमारे मूल देशों की प्रतिबद्धता का सम्मान करता है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी समुदायों से इस शासकीय आदेश की निंदा और विरोध करने की अपील करती हूं.’’ कांग्रेस के सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने इस शासकीय आदेश को संविधान पर हमला बताया और कहा कि यह ‘‘अमेरिकियों को एकजुट नहीं, बल्कि केवल विभाजित करता है.’’ कांग्रेस के सदस्य रो खन्ना ने कहा, ‘‘हमें ऐसी नीतियों को नहीं रहने दे सकते जो हमारे मूलभूत आदर्शों एवं मूल्यों के अनुरूप नहीं है. मैंने संविधान पर हाथ रखकर शपथ ली थी और मैं हमेशा संवैधानिक सिद्धांतों के लिए खड़ा रहूंगा.’’ दक्षिण एवं मध्य एशिया के मामलों के लिए पूर्व सहायक विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल ने कहा, ‘‘यह शासकीय आदेश हमें सुरक्षित नहीं बनाता, यह हम में से सबसे कमजोर लोगों पर सबसे अधिक भार डालता है.’’
दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के ब्यूरो में पूर्व उप सहायक मंत्री मनप्रीत सिंह आनंद ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह शासकीय आदेश न केवल निष्प्रभावी रहेगा बल्कि इससे विपरीत परिणाम मिलेंगे.’’ एएपीआई विक्ट्री फंड के अध्यक्ष शेखर नरसिम्हन ने कहा, ‘‘यह दासता, नजरबंदी और मतदान अधिकार नहीं दिए जाने की तरह हमारे इतिहास पर कलंक है.’’
कोएलिशन के अध्यक्ष शलभ कुमार ने कल कहा था, ‘‘हम इस्लामी आतंकवाद से हमारे नागरिकों की रक्षा करने के इस निर्णायक कदम के लिए ट्रंप प्रशासन की सराहना करते हैं.’’ बेरा ने कहा कि भारतीय मूल के लोगों के लिए वर्ष 1965 से पहले अमेरिका में बसना बहुत मुश्किल था ‘‘और यह आदेश में हमें उसे अंधकारमय दौर में पीछे की ओर ले जाता है.’’ कांग्रेस की सदस्य प्रमिला जयपाल ने कहा कि कोएलिशन उनका प्रतिनिधित्व नहीं करता. उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय अमेरिकियों के तौर पर बहुलवाद, धर्म की स्वतंत्रता, बोलने की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक विविध समाज में हमारा बहुत भरोसा है.’’
प्रमिला ने कहा, ‘‘मैं उनके लिए कहूंगी, शर्मनाक. भारतीय अमेरिकी समुदाय को विभाजित करने की कोशिश करना शर्मनाक है. हिंदू होने के नाते मैं आपको बता सकती हूं कि यह समूह उस अधिक वृहद भारतीय अमेरिकी समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करता जो धार्मिक स्वतंत्रता एवं लोकतंत्र के प्रति हमारे मूल देशों की प्रतिबद्धता का सम्मान करता है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी समुदायों से इस शासकीय आदेश की निंदा और विरोध करने की अपील करती हूं.’’ कांग्रेस के सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने इस शासकीय आदेश को संविधान पर हमला बताया और कहा कि यह ‘‘अमेरिकियों को एकजुट नहीं, बल्कि केवल विभाजित करता है.’’ कांग्रेस के सदस्य रो खन्ना ने कहा, ‘‘हमें ऐसी नीतियों को नहीं रहने दे सकते जो हमारे मूलभूत आदर्शों एवं मूल्यों के अनुरूप नहीं है. मैंने संविधान पर हाथ रखकर शपथ ली थी और मैं हमेशा संवैधानिक सिद्धांतों के लिए खड़ा रहूंगा.’’ दक्षिण एवं मध्य एशिया के मामलों के लिए पूर्व सहायक विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल ने कहा, ‘‘यह शासकीय आदेश हमें सुरक्षित नहीं बनाता, यह हम में से सबसे कमजोर लोगों पर सबसे अधिक भार डालता है.’’
दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के ब्यूरो में पूर्व उप सहायक मंत्री मनप्रीत सिंह आनंद ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह शासकीय आदेश न केवल निष्प्रभावी रहेगा बल्कि इससे विपरीत परिणाम मिलेंगे.’’ एएपीआई विक्ट्री फंड के अध्यक्ष शेखर नरसिम्हन ने कहा, ‘‘यह दासता, नजरबंदी और मतदान अधिकार नहीं दिए जाने की तरह हमारे इतिहास पर कलंक है.’’
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