
भारत ने पहलगाम हमले का बदला देने के लिए ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के जरिए पूरी दुनिया को दिखा दिया कि आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. भारतीय सेना ने न सिर्फ पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी अड्डों को तबाह किया बल्कि पाक के मुरीद एयरबेस (Pakistan Murid Airbase) को भी धुआं-धुआं कर दिया. पहले तो पाकिस्तान इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं था. लेकिन सैटेलाइट तस्वीरों ने सबकुछ बयां कर दिया है. अब NDTV ने इसकी हाई-रिज़ॉल्यूशन वाली सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि मुरीद एयरबेस को भारी नुकसान पहुंचा है. तस्वीरें देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे भारतीय सेना ने पाक एयरफोर्स की अंडरग्राउंड सुविधा को निशाना बनाया है. क्यों कि अंडरग्राउंड सुविधा से महज 30 मीटर की दूरी पर 3 मीटर चौड़ा गड्ढा है और मानव रहित हवाई वाहन हैंगर से सटे एक ढांचे की छत को भी नुकसान पहुंचा है.
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पाक एयरबेस पर बड़ा गड्ढा
पहली हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीर में हमलों के बाद एयरबेस पर एक बड़ा गड्ढा दिखाई दे रहा है. इंटेल लैब से जुड़े भू-स्थानिक खुफिया रिसर्चर डेमियन साइमन ने कहा कि हमला मुरीद एयरबेस के भीतर सबसे सुरक्षित जगह पर दिखाई दे रहा है. गोला-बारूद की वजह से करीब 3 मीटर चौड़ा गड्ढा संभावित अंडर ग्राउंड सुविधा के दो एंट्री गेटों में से एक से सिर्फ़ 30 मीटर नॉर्थ में है. बता दें कि डेमियन साइमन को सैन्य और बुनियादी ढांचे के विकास की निगरानी के लिए सैटेलाइट इमेज के विश्लेषण के लिए जाना जाता है.
उन्होंने कहा कि यह परिसर दोहरी बाउंड्री, अपने खुद के वॉचटावर और एंट्री कंट्रोल से पूरी तरह सिक्योर है, इसका रणनीतिक महत्व भी है. एंट्री गेट से पता चलता है कि यह जगह विशेष उपकरणों के भंडारण या सैन्य कर्मियों के लिए एक कठोर परिचालन आश्रय हो सकती है, जो भारी बमबारी झेलने की क्षमता रखती है.

NDTV ने 16 अप्रैल की एक तस्वीर में पाकिस्तान के फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस मुरीद की बिल्डिंग को बिना किसी नुकसान के दिखाया गया है. जबकि 10 मई को हमले के बाद की दूसरी तस्वीर में बिल्डिंग को हुआ नुकसान साफ दिखाई दे रहा है. डेमियन साइमन ने कहा कि इस अंडरग्राउंड सुविधा में ढांचागत नुकसान साफ दिख रहा है. परिसर का यह हिस्सा एयरबेस के यूएवी कॉम्प्लेक्स के पास एक कमांड-एंड-कंट्रोल नोड के रूप में काम करता है. हमले के बाद छत का एक हिस्सा अंदर की तरफ गिर गया है और बाहरी दीवारें भी गिरी हुई दिख रही हैं. इस तरह के हमले से बिल्डिंग की ऊपरी मंजिलों में भी नुकसान हो सकता है.

बता दें कि पाकिस्तान का मुरीद एयरबेस जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा से करीब 150 किमी. दूर है, जो कि पाकिस्तान के चकवाल में स्थित है. इससे सरगोधा एयरबेस और रावलपिंडी में नूर खान एयरबेस को मदद मिलती है.

इन दोनों ही एयरबेस को 10 मई को भारतीय सेना ने निशाना बनाया था. इसके साथ ही 8 अन्य ठिकानों पर भी हमला किया था. भारत ने पाकिस्तान के काफी अंदर घुसकर हमले किए थे, लेकिन उनकी प्रतिक्रिया काफी नपी-तुली और संतुलित थी.
नूर खान एयरबेस की नई सैटेलाइट तस्वीरें
पाक सेना का नूर खान एयरबेस रावलपिंडी और इस्लामाबाद के बीच मौजूद है. यह पाक सेना के लिए रणनीतिक रूप से अहम है. क्यों कि पहली जगह पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय है, जबकि दूसरी जगह देश का राजनीतिक शक्ति का केंद्र है. साइमन का कहना है कि हमलों से करीब दो हफ्ते पहले 25 अप्रैल की सैटेलाइट इमेज में यह अंडरग्राउंड सुविधा और बिना नुकसान के ट्रक दिखाई दे रहे हैं.

10 मई की सैटेलाइट इमेज में दो ट्रेलर ट्रक दिखाई दे रहे हैं, माना जा रहा है कि ये कमांड और कंट्रोल सुविधाएं हैं, जिन्हें भारतीय हमले में नष्ट कर दिया गया. साइमन के मुताबिक, 17 मई की स्ट्राइक के बाद की सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने हमले वाली जगह के आसपास के इलाके को खाली करा लिया है.

सीजफायर के ऐलान के बाद 17 मई की तस्वीरें ,जो कि हमलों के एक हफ्ते बाद ली गई थी, उनमें एयरबेस पर पाकिस्तान का सफाई अभियान दिख रहा है. साइमन ने नुकसान को समझाते हुए कहा, "पहले, यहां सिर्फ दो विशेष प्रयोजन ट्रकों का नुकसान माना जा रहा था, लेकिन आस-पास के 7,000 वर्ग फुट के परिसर के ध्वस्त होने से पता चलता है कि भारत के हमले के गहरे परिणाम हुए हैं. ध्वस्त किए गए परिसर के ढांचे में बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचा है, पाकिस्तानी वायु सेना के लिए इसकी मरम्मत करना असंभव है.

पहले एनडीटीवी द्वारा एक्सेस की गई मैक्सार हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरों में पाकिस्तान के सरगोधा, नूर खान (चकलाला), भोलारी, जैकोबाबाद, सुक्कुर और रहीम यार खान में बड़ा नुकसान देखा गया था. जैकोबाबाद एयर बेस पर भारत के हमलों के बाद एक हैंगर को नुकसान पहुंचा था और सैटेलाइट तस्वीरों में मलबा भी दिखाई दिया था. बता दें कि हैंगर, एयरबेस पर विमानों की सुरक्षा के लिए बनाए गए ढांचे होते हैं, जो कि मुख्य रूप से उनके रखरखाव और मरम्मत के लिए बनाए जाते हैं.
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