भारत-अमेरिका संबंधों में C-17 की है ये ख़ास जगह, पूर्व पेंटागन अधिकारी ने बताया

"मेरा मानना है कि अमेरिका (US) और भारत (India) के बीच रक्षा क्षेत्र में संबंध काफी विश्वसनीय बन गए हैं, जिसकी शुरुआत सी-17 (C-17) से हुई थी, जो इस रिश्ते का प्रतीक बन गया है. देखिए भारत कैसे मानवीय सहायता तथा आपदा राहत अभियानों के लिए अपने सी- (मालवाहक जाहज) का इस्तेमाल कर रहा है."- पेंटागन की पूर्व शीर्ष अधिकारी

भारत-अमेरिका संबंधों में C-17 की है ये ख़ास जगह,  पूर्व पेंटागन अधिकारी ने बताया

India-US के रक्षा संबंध हुए हैं पहले से मजबूत : पूर्व पेंटागन अधिकारी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

वॉशिंगटन :

अमेरिका (US) के रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन की पूर्व शीर्ष अधिकारी एवं अब ‘बोइंग' की वरिष्ठ अधिकारी हैदी ग्रांट ने कहा कि ‘‘ मेरा मानना है कि अमेरिका और भारत के बीच रक्षा क्षेत्र में संबंध काफी विश्वसनीय बन गए हैं, जिसकी शुरुआत सी-17 से हुई थी, जो इस रिश्ते का प्रतीक बन गया है. देखिए भारत कैसे मानवीय सहायता तथा आपदा राहत अभियानों के लिए अपने सी- (मालवाहक जाहज) का इस्तेमाल कर रहा है. जिस तरह से वह चिनूक, अपाचे, पी-8आई का इस्तेमाल कर रहा है, उससे भारतीय वायु सेना, भारत के रक्षा मंत्रालय की विश्व स्तर पर और भारत की जनता के बीच उसकी प्रतिष्ठा बढ़ी है.''

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आगे आगे कहा, "दुनिया के सबसे बड़े एवं सबसे पुराने लोकतंत्रों भारत और अमेरिका के बीच संबंध (India-US Relations) कई वर्षों में काफी विश्वस्नीय बन गए हैं. ‘बोइंग बिजनेस डेवल्पमेंट, डिफेंस, स्पेस, सिक्योरिटी एंड ग्लोबल सर्विसेज' की अध्यक्ष हैदी ग्रांट ने बुधवार को ‘पीटीआई-भाषा' से कहा कि भारत के हवाई क्षेत्र के बुनियादी ढांचे, रक्षा क्षमताओं, विनिर्माण, इंजीनियरिंग एवं सेवाओं, कौशल विकास तथा नवाचार में बोइंग का निवेश आने वाले वर्षों में बढ़ता रहेगा."

हैदी ग्रांट ने बताया, ‘‘ 2010 में, जब मैं पेंटागन में वायु सेना के अंतरराष्ट्रीय मामलों की सचिव थी, भारत-अमेरिका रक्षा संबंध तब बढ़ने शुरू ही हुए थे और अब देखिए कि हम कहा पहुंच गए हैं. जब मुझसे पूछा जाता है कि पेंटागन में अपने कार्यकाल के दौरान मुझे किस बात पर सबसे अधिक गर्व है, तो मैं कहती हूं कि मुझे भारत के साथ अपने संबंधों पर गर्व है.''

ग्रांट नवंबर 2021 में बोइंग में शामिल हुईं थी. इससे पहले अमेरिकी रक्षा मंत्रालय में उन्होंने 32 साल तक अपनी सेवाएं दीं.

उन्होंने रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (डीएससीए) के निदेशक के रूप में कार्य किया, जो रक्षा लेख, सैन्य प्रशिक्षण और अन्य रक्षा-संबंधी सेवाओं से जुड़े सभी डीओडी सुरक्षा सहयोग कार्यक्रमों के लिए जिम्मेदार हैं. वहां, उन्होंने 150 से अधिक देशों के साथ 600 अरब डॉलर से अधिक लागत वाले 15000 से अधिक सैन्य बिक्री समझौतों को अंजाम देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

ग्रांट ने डीएससीए में अपनी सेवाओं को याद करते हुए कहा कि सबसे अधिक समय उन्होंने भारत के साथ ही बिताया.

ग्रांट ने पिछले रविवार को ‘बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी' के मुख्य कार्यकारी अधिकारी टेड कोल्बर्ट के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी.

उन्होंने कहा, ‘‘ आखिरी बार मैंने 2020 में टू प्लस टू मंत्री स्तरीय वार्ता के दौरान तत्कालीन विदेश मंत्री मार्क एस्पर के साथ भारत में सिंह से मुलाकात की थी.''

ग्रांट ने कहा, ‘‘ हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों, अमेरिका और भारत के बीच मजबूत एवं बढ़ते संबंधों के लिए राजनीतिक एवं उद्योग संरेखण तथा द्विदलीय समर्थन का स्वागत करते हैं. बोइंग में इस मौलिक, परिवर्तनकारी बदलाव का हिस्सा बनना हमारे लिए काफी रोमांचक है और हम भारत के रक्षा हवाई क्षेत्र, रक्षा क्षेत्र और औद्योगिक आधार के निर्माण में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.''

भारत की रक्षा जरूरतों पर एक सवाल के जवाब में, ग्रांट ने कहा कि विभिन्न देशों से विभिन्न प्रकार के उपकरणों को चलाना मुश्किल है.

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उन्होंने कहा, ‘‘ इसमें काफी खर्चा आता है और तार्किक रूप से बुनियादी ढांचों और निरंतरता आदि का प्रबंधन करना चुनौतीपूर्ण है. इसके लिए एक संतुलन कायम करने की जरूरत है और अमेरिका उन क्षेत्रों को भरने या उनमें से कुछ क्षमताओं को बदलने के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है.''