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This Article is From Sep 24, 2011

यूएन सदस्यता पर भारत ने फिलीस्तीन को दिया समर्थन

संयुक्त राष्ट्र: दबावों के बावजूद अपने रुख पर कायम रहते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र में सदस्यता पाने के फिलीस्तीन के दावे समर्थन किया और ईरान के साथ अपने सम्बंधों के लिए प्रतिबद्धता दोहराई। इन दोनों ही मसलों पर उसकी राय अमेरिका से बिल्कुल अलग है।  अमेरिकी विरोध के बावजूद भारत ने फिलीस्तीन के अनुरोध का समर्थन फिलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास द्वारा शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपने देश की सदस्यता की दावेदारी किए जाने के चंद घंटे बाद व्यक्त किया। भारतीय विदेश सचिव रंजन मथाई ने शुक्रवार को इस बात के संकेत दिए कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने सम्बोधन के दौरान फिलीस्तीन की इस मांग का समर्थन कर सकते हैं। मथाई ने प्रधानमंत्री के भाषण के प्रति पूर्वावलोकन करने से इंकार करने के बावजूद उन्होंने कहा, "फिलीस्तीन के बारे में हमारा रुख स्पष्ट है। यह सर्वविदित है कि हमने 1988 में ही फिलीस्तीन को अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी थी। यदि हम अपना रुख दोहराते हैं तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए।" उन्होंने बताया कि अब्बास की इस ऐतिहासिक दावेदारी के कुछ घंटे बाद हुई मनमोहन सिंह व ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद की मुलाकात में दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र में फिलीस्तीन की सदस्यता के लिए उसकी ओर से किए जा रहे प्रयासों का समर्थन दोहराया। इसी तरह, संयुक्त राष्ट्र महासभा में ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के आक्रामक भाषण के एक दिन बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ईरान के साथ करीबी सम्बंधों के लिए प्रतिबद्धता दोहराते हुए उनसे भेंट की। महासभा में अहमदीनेजाद के भाषण के दौरान अमेरिका की अगुवाई वाले पश्चिमी देशों के प्रतिनिधि बाहर चले गए थे। भारत के विदेश सचिव रंजन मथाई ने शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया, "यह मुलाकात पूर्व निर्धारित थी और यह मुख्य रूप से द्विपक्षीय सम्बंधों पर केंद्रित थी।" संवाददाताओं ने मथाई से जानना चाहा था कि भारत द्वारा फिलीस्तीन का समर्थन करने और अहमदीनेजाद से मुलाकात करने का अमेरिका के साथ उसके रिश्तों पर असर पड़ेगा। मथाई ने कहा कि अहमदीनेजाद से मुलाकात, फिलीस्तीन का समर्थन करने तथा अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात न करने का अर्थ भारत और अमेरिका के रिश्तों में ठंडापन आने का संकेत नहीं है। अन्य भारतीय अधिकारियों की तरह मथाई ने भी मनमोहन सिंह और ओबामा की मुलाकात न हो पाने की वजह बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री, ओबामा के न्यूयार्क से रवाना हो जाने के बाद यहां पहुंचे हैं। लेकिन सोमवार को मनमोहन सिंह के स्वदेश रवाना हो जाने के बाद उसी दिन भारत और अमेरिका के विदेश मंत्रियों की वार्ता हो सकती है।

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