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This Article is From Jan 12, 2024

अरब सागर में इंडियन नेवी का एक्शन, क्या चीन समेत दुनिया को दिखाया दमखम?

मौजूदा दौर में जब लाल सागर में समुद्री जहाजों के अपहरण बढ़ रहे हैं और अमेरिकी नौसेना हूती विद्रोहियों से जूझने में लगी है, तब अरब सागर में भारतीय नौसेना के ऑपरेशन की अहमियत काफी बढ़ गई है.

अरब सागर में इंडियन नेवी का एक्शन, क्या चीन समेत दुनिया को दिखाया दमखम?
सोमालिया के समुद्री लुटेरों ने अरब सागर में लाइबेरिया के फ्लैग वाले लीला नोर्फोक जहाज को हाईजैक कर लिया था.
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
भारत ने अरब सागर से अदन की खाड़ी तक तैनात किए वॉरशिप
1990 के बाद सोमालिया में बढ़े समुद्री लुटेरे
समुद्री लुटेरों से जहाजों को बचाएंगे मरीन कमांडोज
नई दिल्ली:

अरब सागर (Arabian Sea)में कारोबारी जहाजों पर समुद्री लुटेरों के हमले बढ़ते जा रहे हैं. भारत ने इन जहाजों को समुद्री लुटेरों (Pirates)से बचाने और उनके ड्रोन हमले (Drone Attack) रोकने के लिए सोमालिया के तट के पास, अरब सागर और अदन की खाड़ी में डिस्ट्रॉयर्स, फ्रिगेट्स और पेट्रोलिंग बोट समेत 6-10 वॉरशिप तैनात किए हैं. इन वॉरशिप (Warships) पर मौजूद मरीन कमांडोज (Indian Navy commandos)सोमालिया के समुद्री लुटेरों से जहाजों को बचाएंगे.

इन वॉरशिप की ड्रोन फुटेज भी सामने आई है. विश्लेषकों का कहना है कि इन ड्रोन फुटेज में अरब सागर में एक हमले के बाद भारतीय नौसेना के कमांडोज को समुद्री डाकुओं का पीछा करते देखा जा सकता है. ये घटना नई दिल्ली की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं के मद्देनजर समुद्री बल के एक महत्वपूर्ण विस्तार को दिखाता है. 

समुद्री लुटेरों के एक मर्चेंट बल्क कैरियर के अपहरण की कोशिश के बाद अरब सागर में इस महीने भारतीय नौसेना के कमांडो को  तैनात किया गया था. यहां चीन पहले से ही अपनी पहुंच बढ़ा चुका है. नई दिल्ली स्थित सोसाइटी फॉर पॉलिसी स्टडीज थिंक टैंक के चीफ उदय भास्कर ने कहा, "भू-राजनीतिक संदर्भ और नौसैनिक संपत्तियों के आक्रामक इस्तेमाल को देखते हुए भारत की ये पहल काफी अहम है."

बीते कुछ सालों में चीन ने अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (OBOR)के हिस्से के रूप में हिंद महासागर के आसपास के देशों के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर की डील पर बातचीत की है. इनमें श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश और जिबूती शामिल हैं. चीन ने जिबूती में साल 2017 में अपना पहला विदेशी सैन्य ठिकाना खोला था. इससे भारतीय अधिकारियों की चिंता बढ़ गई थी.

फिलीपींस में डी ला सैले यूनिवर्सिटी के डॉन मैकलेन गिल ने कहा, "जैसे-जैसे भारत अंतरराष्ट्रीय महान शक्ति बनने की ओर कदम बढ़ा रहा है, वह खुद को एक इंटिग्रेटेड और जिम्मेदार पावर के रूप में भी पेश कर रहा है."

गिल ने न्यूज एजेंसी AFP को बताया कि अरब सागर में भारत की नौसैनिक तैनाती उसकी एक जिम्मेदार सुरक्षा और विकास भागीदार के रूप में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाने की इच्छा का हिस्सा है.

बहुत सक्रिय कार्रवाई
वैसे समुद्री डाकुओं के खिलाफ भारतीय युद्ध अभियान कोई नई बात नहीं है. 2008 से सोमालिया में समुद्री डकैती बढ़ने के बाद से नौसेना को लगातार तैनात किया गया है. भारत के तट से लेकर अदन की खाड़ी तक समुद्री डाकुओं की "मदरशिप" पर बमबारी की गई. दर्जनों बंदूकधारियों को पकड़ लिया गया.

बीते साल दिसंबर में अरब सागर से लेकर अदन की खाड़ी तक भारतीय नौसेना की ओर से कई तैनाती की गई.
इसमें तीन गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर्स और P-8I टोही एयरक्राफ्ट शामिल हैं. ऐसा इसलिए किया गया, ताकि शिपिंग हमलों की एक सीरीज के बाद सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत के नवीनतम स्व-निर्मित युद्धपोत की लॉन्चिंग पर कहा था कि शिपिंग को समुद्र से आकाश की ऊंचाइयों तक संरक्षित किया जाएगा.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की यह प्रतिक्रिया 23 दिसंबर को भारत के तट से 370 किलोमीटर दूर एमवी केम प्लूटो टैंकर पर ड्रोन हमले के बाद आई. अमेरिका ने इसके लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया था. हालांकि, ईरान ने अमेरिका के दावे को सिरे से खारिज कर दिया था.

हाल ही में यमन में ईरान समर्थित हूती समूह ने फिलिस्तीनी समूह हमास के खिलाफ इजरायल के युद्ध के जवाब में लाल सागर में इजरायल से जुड़े जहाजों को निशाना बनाया था. भारत का ईरान के साथ घनिष्ठ व्यापारिक संबंध है, लिहाजा भारत हूती से लड़ने वाली अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना में शामिल नहीं हुआ है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को कहा कि अमेरिकी और ब्रिटिश सेना ने लाल सागर में शिपिंग जहाजों पर हाल के हमलों के बाद रक्षात्मक कार्रवाई की. इसके तहत यमन में हूती के ठिकानों के खिलाफ एयर स्ट्राइक शुरू किए गए थे.

संयुक्त राज्य अमेरिका और इसके 9 सहयोगियों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि उनके एयर स्ट्राइक का मकसद महत्वपूर्ण शिपिंग लेन को स्थिर करना और वहां व्यापार के मुक्त प्रवाह की रक्षा करना था.

हालांकि, अंतरराष्ट्रीय नौसैनिक बलों को उत्तर की ओर लाल सागर की ओर मोड़ने से समुद्री डाकुओं के इसका फायदा उठाने की आशंका पैदा हो गई है. दिसंबर में 2017 के बाद से सोमाली समुद्री डकैती का पहला मामला दर्ज किया गया है.

नई दिल्ली स्थित विकासशील देशों के लिए रिसर्च और इंफॉर्मेंशन सिस्टम की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर ज्यादा शिपिंग को दक्षिण अफ्रीका के जरिए फिर से जाना पड़ा, तो भारत को इस साल निर्यात में 30 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है. 

इस बीच भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल हरि कुमार ने बुधवार को मीडिया से कहा, "समुद्री लुटेरे हिंद महासागर क्षेत्र में प्रवेश न कर सकें, ये सुनिश्चित करने के लिए सरकार बहुत सक्रिय कार्रवाई कर रही है."

जब समुद्र में भारतीय नौसेना ने दिखाई ताकत
5 जनवरी को सोमालिया के समुद्री लुटेरों ने अरब सागर में लाइबेरिया के फ्लैग वाले लीला नोर्फोक (MV Lila Norfolk) जहाज को हाईजैक कर लिया था. भारतीय नौसेना ने बताया कि जहाज ने ब्रिटेन के मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशन्स (UKMTO) पोर्टल पर एक मैसेज भेजा था. इसमें कहा गया था कि 4 जनवरी की शाम को 5-6 समुद्री लुटेरे हथियारों के साथ जहाज पर उतरे थे.

जानकारी मिलते ही भारतीय नौसेना ने हाईजैक किए गए जहाज को छुड़ाने के लिए वॉरशिप INS चेन्नई और मैरिटाइम पैट्रोलिंग एयरक्राफ्ट P8I को रवाना किया गया था. इसके बाद इसमें सवार 15 भारतीयों समेत सभी 21 क्रू मेंबर्स को सुरक्षित निकाल लिया गया.

नई दिल्ली स्थित सोसाइटी फॉर पॉलिसी स्टडीज थिंक टैंक के चीफ और रिटायर्ड नौसेना अधिकारी उदय भास्कर ने कहा, "इससे पता चला कि भारत जरुरत पड़ने पर शॉर्ट नोटिस पर हिंद महासागर क्षेत्र में एक विश्वसनीय नौसैनिक मौजूदगी दर्द कर सकता है. ऐसा होने पर समुद्री लुटेरों को चूहों की तरह भागना होगा."

वहीं, गिल ने कहा, "भारत ने ऐसे समय में अरब सागर में अपनी सेना का विस्तार किया है, जब प्रतिद्वंद्वी एशियाई शक्ति चीन अरब दुनिया में ज्यादा एक्टिव हो रही है."

नौसेना के पूर्व प्रवक्ता डीके शर्मा ने जोर देकर कहा कि अरब सागर में नौसेना की तैनाती का मकसद दुनिया को ये मैसेज देना था कि भारत वैश्विक समुदाय में शांति बनाए रखने में विश्वास रखता है. हमारी यह कहने की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है कि हिंद महासागर भारत का महासागर है." उन्होंने कहा, "बेशक चीन इसे जैसा चाहे देख सकता है."

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