ताइवान में लाखों लोग ऑफलाइन हो गए हैं. बैंक बंद कर दिए गए हैं. यहां तक कि दुनिया की सबसे एडवांस सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री भी इस वक्त ठप हो गई है. ताइवान के अधिकारियों और साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट का कहना है कि अगर चीन हमले करता है तो वह न सिर्फ सुरक्षा बलों और रक्षा बुनियादी ढांचे तक सीमित रहेगा, बल्कि ताइवान प्रभावी रूप से बाकी दुनिया से अलग कर देगा.
ताइवान खुद को संप्रभु मानता है, जबकि चीन उसे खुद का हिस्सा मानता है. यह झगड़ा 73 साल से चला आ रहा है. चीन के साथ ताइवान का पहला संपर्क 1683 में हुआ, जब ताइवान क्विंग राजवंश के अधीन था. अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया, तो दुनियाभर की मोबाइल और ऑटो इंडस्ट्री में चिप का संकट खड़ा हो जाएगा. दरअसल, दुनिया के 90 प्रतिशत एडवांस सेमी कंडक्टर ताइवान में ही बनाए जाते हैं. पिछले साल ताइवान ने 118 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट सिर्फ सेमी कंडक्टर कैटेगरी में किया था. TSMC यानी ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी दुनिया की सभी बड़ी कंपनियों जैसे एप्पल, एएमडी, एनवीडिया, एआरएम को चिप की सप्लाई करती है.
ताइवान के इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल डिफेंस एंड सिक्योरिटी रिसर्च के साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर क्रिस्टल टू ने कहा, "ताइवान को गुप्त हमलावरों से लगातार खतरे का सामना करना पड़ रहा है. ये हमलावर ताइवान के इंफ्रास्ट्रक्टर के अंदर दाखिल होने के लिए कंप्यूटर नेटवर्क तक पहुंच हासिल कर लेते हैं." क्रिस्टल टू ने न्यूज एजेंसी AFP को बताया कि वे संघर्ष के समय ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं. वो टेलीकम्युनिकेशन, एनर्जी और फाइनेंस स्ट्रक्चर को टारगेट करते हुए साइबर अटैक करते हैं.
ताइवान में हाल के दिनों में साइबर अटैक के मामलों में खासी बढ़ोतरी हुई है. चीन ने ताइवान के राष्ट्रपति और संसदीय चुनावों को वहां के 23 मिलियन लोगों के लिए युद्ध और शांति के बीच एक विकल्प के रूप में वर्णित किया है. ताइवान के अधिकारियों ने कहा है कि सरकारी एजेंसियों को रोजाना अनुमानित रूप से 5 मिलियन साइबर हमलों का सामना करना पड़ता है. साइबर सुरक्षा फर्म फोर्टिनेट ने 2023 की पहली छमाही में साइबर हमलों में 80 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की. साइबर अटैक के मामलों में ताइवान एशिया प्रशांत में नंबर एक पोजिशन पर है.
क्रिस्टल टू ने कहा, "ताइवान की ओर साइबर ऑपरेशन वास्तव में कभी नहीं रुकता." उन्होंने बताया, "ताइवानी इंफ्रास्ट्रक्टर के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली कुछ टैक्टिज की पहचान चीन के प्रायोजित समूहों के इस्तेमाल की जाने वाली टेक्नोलॉजी के रूप में की गई है.
पिछले साल, माइक्रोसॉफ्ट ने फ्लैक्स टाइफून नाम के एक ग्रुप से साइबर अटैक के खतरे की आशंका जताई थी. फ्लैक्स टाइफून चीन से ऑपरेट होता है और ताइवान को टारगेट करता है. अमेरिकी टेक जाइंट कंपनी ने कहा कि फ्लैक्स टाइफून का इरादा लंबे समय तक अलग-अलग ताइवानी संगठनों तक अपनी पहुंच बनाना है, ताकि वो इनकी जासूसी कर सके. सेमीकंडक्टर हब पर भी खतरा
ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के अध्यक्ष मार्क लियू ने CNN को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि चीन अगर ताइवान पर आक्रमण करता है, तो इससे कंपनी के प्लांट तबाह हो जाएंगे. उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि इस तरह के युद्ध का कोई विजेता नहीं होगा.
मार्क लियू ने कहा कि चीन-ताइवान के इस क्रॉस-स्ट्रेट संघर्ष से ना सिर्फ़ ताइवान की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी बल्कि इसका असर सेमीकंडक्टर्स के निर्माण से कहीं आगे तक दिखाई पड़ेगा. इससे भू-राजनीतिक परिदृश्य बदल जाएगा.
ताइवान के उप डिजिटल मंत्री हुआई-जेन ली ने हाल ही में एक इंटरव्यू में AFP को बताया, "चूंकि ताइवान एक द्वीप है. ये बाहरी दुनिया के साथ सभी तरह के कम्युनिकेशन के लिए समुद्र के नीचे केबलों पर निर्भर हैं. सबसे बुरी स्थिति यह है कि हमारे सभी समुद्री केबल काट दिए गए हैं." उन्होंने कहा, "पूरे ताइवान में 700 स्थानों पर सैटेलाइट रिसीवर लगाए जाएंगे, ताकि ये पता लगाया जा सके कि संकट के समय हम कम्युनिकेशन सिस्टम को स्विच कर सकते हैं या नहीं."
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