संयुक्त राष्ट्र:
आतंकवाद के बढ़ते खतरे से उपजी चुनौती को ‘भयावह’ करार देते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की है कि वह इस अभिशाप से निपटने के लिए और अधिक प्रयास करें। इसके साथ ही भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त न करने के लिए ‘वास्तविक एवं प्रभावी’ वैश्विक सहयोग जरूरी है।
कोई भी देश इस खतरे से सुरक्षित नहीं
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, जिस चुनौती का हम सब देश सामना कर रहे हैं, उसका स्तर भयावह है। कोई भी देश इस खतरे से सुरक्षित नहीं है, क्योंकि दुनियाभर में आतंकी हमले लगातार देखने को मिल रहे हैं। इनमें से कइयों के तार प्रभावित देश की सीमा के पार जुड़े होते हैं।
आतंकवाद को मिलकर हराना होगा
संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद रोधी केंद्र (यूएनसीसीटी) के परामर्श बोर्ड की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कोई देश चाहे कितना ही अमीर और ताकतवर क्यों न हो, वह आतंकवाद की इस समस्या को अकेले हराने में समर्थ नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि पिछले कई दशकों से आतंकवाद से पीड़ित रहने के कारण, भारत न सिर्फ इस अभिशाप की प्रकृति से वाकिफ है, बल्कि वह आतंकवाद से निपटने के लिए संयुक्त अंतरराष्ट्रीय प्रयास की बेहद अहम जरूरत से भी वाकिफ है।
उन्होंने कहा, इस चुनौती से निपटने के लिए वास्तविक और प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग बेहद जरूरी है और यह हमारे साझा हित में है। उन्होंने कहा कि हालांकि संयुक्त राष्ट्र ऐसे अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए एक ‘उपयोगी मंच’ उपलब्ध करा रहा है, लेकिन इस वैश्विक संस्था को इस दिशा में ‘और अधिक काम करने की जरूरत है।’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
कोई भी देश इस खतरे से सुरक्षित नहीं
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, जिस चुनौती का हम सब देश सामना कर रहे हैं, उसका स्तर भयावह है। कोई भी देश इस खतरे से सुरक्षित नहीं है, क्योंकि दुनियाभर में आतंकी हमले लगातार देखने को मिल रहे हैं। इनमें से कइयों के तार प्रभावित देश की सीमा के पार जुड़े होते हैं।
आतंकवाद को मिलकर हराना होगा
संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद रोधी केंद्र (यूएनसीसीटी) के परामर्श बोर्ड की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कोई देश चाहे कितना ही अमीर और ताकतवर क्यों न हो, वह आतंकवाद की इस समस्या को अकेले हराने में समर्थ नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि पिछले कई दशकों से आतंकवाद से पीड़ित रहने के कारण, भारत न सिर्फ इस अभिशाप की प्रकृति से वाकिफ है, बल्कि वह आतंकवाद से निपटने के लिए संयुक्त अंतरराष्ट्रीय प्रयास की बेहद अहम जरूरत से भी वाकिफ है।
उन्होंने कहा, इस चुनौती से निपटने के लिए वास्तविक और प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग बेहद जरूरी है और यह हमारे साझा हित में है। उन्होंने कहा कि हालांकि संयुक्त राष्ट्र ऐसे अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए एक ‘उपयोगी मंच’ उपलब्ध करा रहा है, लेकिन इस वैश्विक संस्था को इस दिशा में ‘और अधिक काम करने की जरूरत है।’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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