भारत (India) ने कहा है कि पाकिस्तान (Pakistan) अल्पसंख्यकों (Minorities) के लिए "किलिंग फील्ड" के रूप में जाना जाता है. भारत ने सोमवार को इस्लामाबाद को निशाना बनाते हुए कहा कि उसने "असंतोष और आलोचना के खिलाफ अधीनता" के एक उपकरण के रूप में "संस्थागत" को गायब कर दिया. यह देश आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित बंदरगाह बना हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (United Nations Human Rights Council) में पाकिस्तान द्वारा दिए गए बयान का जवाब देने के लिए अपने अधिकार का उपयोग करते हुए भारत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों के पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्सों में हर चार व्यक्तियों के लिए तीन बाहरी लोग हैं.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्सों में नागरिक, राजनीतिक और संवैधानिक अधिकार गैर-मौजूद हैं. जानबूझकर आर्थिक नीतियों के जरिए उन्हें अत्यधिक गरीबी का जीवन जीने के लिए मजबूर कर दिया गया है.
भारतीय राजनयिक पवन बाधे ने कहा कि "भारत के खिलाफ सीमा पार से आतंकवाद जारी रखने के लिए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों के पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्सों में आतंकवादियों के लिए बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण शिविर और लॉन्चपैड बनाए जा रहे हैं."
भारत ने कहा कि यह बिना कारण नहीं है कि पाकिस्तान आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित बंदरगाह बना हुआ है. जब दुनिया कोरोनो वायरस का मुकाबला करने में व्यस्त है तब पाकिस्तान ने अपने आतंकी इको सिस्टम को बनाए रखने के लिए 4000 से अधिक आतंकवादियों को सूची से हटाकर दुनिया को धोखा देना चाहता है.
अहमदी पाकिस्तान के तथाकथित संविधान में सबसे अधिक उत्पीड़ित समुदाय बना हुआ है. भारत ने मानवाधिकार परिषद के 45 वें सत्र में कहा कि पाकिस्तान में हर साल सैकड़ों ईसाइयों को सताया जाता है. उनमें से अधिकतर की हिंसक मौतें होती हैं.
बाधे ने कहा कि "पाकिस्तान में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के भाग्य को अच्छी तरह से समझा जा सकता है, जब धार्मिक स्वतंत्रता के बदले में वहां केवल एक ही विकल्प होता है. विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने पाकिस्तान को अल्पसंख्यकों के लिए किलिंग फील्ड कहा है.
बाधे ने कहा कि "यह परिषद के लिए एक चिंता का विषय होना चाहिए कि पाकिस्तान लगातार मेरे देश के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण प्रचार के लिए इस मंच का दुरुपयोग कर रहा है. भारत के खिलाफ पाकिस्तान के किसी भी तरह के आरोपों से अल्पसंख्यकों और लोगों की आवाज दब नहीं सकती है."
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