आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के आतंकियों की फाइल फोटो (एपी)
न्यूयॉर्क:
एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2014 में आतंक की सबसे ज्यादा मार झेलने वाले 10 देशों में भारत भी शामिल है। इसमें यह भी कहा गया है कि दुनिया में आतंकी हमलों से होने वाली मौतों में से आधी से ज्यादा के लिए अब आईएसआईएस और बोको हराम संयुक्त रूप से जिम्मेदार हैं।
ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2015 (जीटीआई) के अनुसार 2014 में आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित 162 देशों में भारत का छठा स्थान रहा। भारत में आतंकवाद से जुड़ी मौतों में 1.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और मरने वालों की संख्या 416 रही। यह संख्या 2010 में हुई आतंकी घटनाओं और मौतों के बाद से सबसे ज्यादा है।
भारत में सक्रिय हैं दो खूंखार आतंकी समूह
वाशिंगटन आधारित इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 763 घटनाएं हुईं। यह आंकड़ा 2013 के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा है। भारत में 2014 में दो खूंखार आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा तथा हिज्बुल मुजाहिदीन सक्रिय रहे। पाकिस्तान आधारित लश्कर 2014 में 24 मौतों के लिए जिम्मेदार रहा, जबकि हिज्बुल मुजाहिदीन इस अवधि में 11 मौतों के लिए जिम्मेदार रहा। इस रिपोर्ट में कहा गया कि 2013 में हिज्बुल मुजाहिदीन भारत में आत्मघाती रणनीति का इस्तेमाल करने वाला एकमात्र समूह था, लेकिन 2014 में भारत में कोई आत्मघाती हमला नहीं हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया भर में आतंकवाद से मौतों की दर में 2014 में 80 फीसदी का इजाफा हुआ और यह 32 हजार 658 के आंकड़े पर पहुंच गई जो अब तक सर्वाधिक है। साल 2013 में आतंकवाद से मरने वालों की संख्या 18 हजार 111 थी। आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में पाकिस्तान चौथे स्थान पर है, जबकि अमेरिका 35वें स्थान पर है।
आतंकी हमलों में 51% मौतों का जिम्मेदार ISIS और बोको हराम
इस रिपोर्ट में कहा गया कि अब केवल दो आतंकी समूह आईएसआईएस और बोको हराम ही आतंकी हमलों में दुनिया भर में होने वाली मौतों में से 51 फीसदी के लिए जिम्मेदार हैं। इसमें कहा गया, 'बोको हराम, जिसने मार्च 2015 में इस्लामिक स्टेट के पश्चिम अफ्रीका क्षेत्र के रूप में आईएसआईएल के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की थी, विश्व का सबसे खूंखार आतंकी समूह बन चुका है, जिसने 6,644 लोगों की हत्या की, जबकि आईएसआईएल द्वारा 6,073 हत्याएं की गईं।'
वर्ष 2010 से 2014 के बीच आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित दस देशों में भारत का नाम 14 बार आया है। हालांकि भारत का नाम आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित देशों की सूची में लगातार शामिल रहा है, लेकिन 2000 के बाद से 2014 ऐसा पहला साल है जब भारत का नाम आतंकवाद में सबसे ज्यादा जान गंवाने वाले दस देशों की सूची में शामिल नहीं है।
ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2015 (जीटीआई) के अनुसार 2014 में आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित 162 देशों में भारत का छठा स्थान रहा। भारत में आतंकवाद से जुड़ी मौतों में 1.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और मरने वालों की संख्या 416 रही। यह संख्या 2010 में हुई आतंकी घटनाओं और मौतों के बाद से सबसे ज्यादा है।
भारत में सक्रिय हैं दो खूंखार आतंकी समूह
वाशिंगटन आधारित इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 763 घटनाएं हुईं। यह आंकड़ा 2013 के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा है। भारत में 2014 में दो खूंखार आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा तथा हिज्बुल मुजाहिदीन सक्रिय रहे। पाकिस्तान आधारित लश्कर 2014 में 24 मौतों के लिए जिम्मेदार रहा, जबकि हिज्बुल मुजाहिदीन इस अवधि में 11 मौतों के लिए जिम्मेदार रहा। इस रिपोर्ट में कहा गया कि 2013 में हिज्बुल मुजाहिदीन भारत में आत्मघाती रणनीति का इस्तेमाल करने वाला एकमात्र समूह था, लेकिन 2014 में भारत में कोई आत्मघाती हमला नहीं हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया भर में आतंकवाद से मौतों की दर में 2014 में 80 फीसदी का इजाफा हुआ और यह 32 हजार 658 के आंकड़े पर पहुंच गई जो अब तक सर्वाधिक है। साल 2013 में आतंकवाद से मरने वालों की संख्या 18 हजार 111 थी। आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में पाकिस्तान चौथे स्थान पर है, जबकि अमेरिका 35वें स्थान पर है।
आतंकी हमलों में 51% मौतों का जिम्मेदार ISIS और बोको हराम
इस रिपोर्ट में कहा गया कि अब केवल दो आतंकी समूह आईएसआईएस और बोको हराम ही आतंकी हमलों में दुनिया भर में होने वाली मौतों में से 51 फीसदी के लिए जिम्मेदार हैं। इसमें कहा गया, 'बोको हराम, जिसने मार्च 2015 में इस्लामिक स्टेट के पश्चिम अफ्रीका क्षेत्र के रूप में आईएसआईएल के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की थी, विश्व का सबसे खूंखार आतंकी समूह बन चुका है, जिसने 6,644 लोगों की हत्या की, जबकि आईएसआईएल द्वारा 6,073 हत्याएं की गईं।'
वर्ष 2010 से 2014 के बीच आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित दस देशों में भारत का नाम 14 बार आया है। हालांकि भारत का नाम आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित देशों की सूची में लगातार शामिल रहा है, लेकिन 2000 के बाद से 2014 ऐसा पहला साल है जब भारत का नाम आतंकवाद में सबसे ज्यादा जान गंवाने वाले दस देशों की सूची में शामिल नहीं है।
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