नई दिल्ली:
नार्वे में भारतीय दम्पत्ति से अलग किए गए बच्चों को उनके परिजनों को सौंपने के लिए भारत ने बुधवार को जहां ओस्लो पर दबाव बनाया वहीं, बच्चों को अपनी देखभाल में लेने के लिए उनके चाचा नार्वे के लिए रवाना होने वाले हैं, जहां वह अधिकारियों के समक्ष अपना बयान दर्ज कराएंगे।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन और विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) एम. गणपति ने अलग-अलग बैठकों में नार्वे के अपने समकक्षों के साथ बैठकें की और द्विपक्षीय सम्बंधों में मुद्दा बन चुके इस मामले का हल अति शीघ्र निकालने की जरूरत पर बल दिया।
ज्ञात हो कि विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने पिछले महीने इस मसले को अपने नार्वे के समकक्ष के साथ उठाया था और उन्होंने कहा था कि बच्चों को उनके परिचित माहौल के बीच लाने की जरूरत है। इसके बाद नटराजन और गणपति की बैठकें हुईं।
गणपति ने यह मसला अपने नार्वे के समकक्ष जो इस समय दिल्ली सतत विकास सम्मेलन (डीएसडीएस) के लिए भारत में हैं, उनके साथ उठाया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने संवाददाताओं से कहा कि इस मुलाकात में गणपति ने बच्चों के परिचित माहौल में पालन-पोषण पर जोर दिया।
प्रवक्ता ने बताया कि बच्चों को सौंपे जाने को लेकर नार्वे को कोई समयसीमा नहीं दी गई है क्योंकि मामले में कुछ कानूनी अड़चनें हो सकती हैं लेकिन उम्मीद जताई कि मामले का जितना जल्दी हो सके हल निकाल लिया जाएगा।
प्रवक्ता ने बताया कि विदेश मंत्रालय के अनुरोध पर नटराजन ने नार्वे के पर्यावरण एवं अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री इरिक सोल्हेम से मुलाकात की और मसले के जल्द निस्तारण पर जोर दिया।
नटराजन के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि नार्वे के अधिकारियों ने नटराजन को भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार मामले पर पूरा ध्यान दे रहा है।
उल्लेखनीय है कि इन बच्चों को लेकर पिछले सप्ताह भारत और नार्वे के बीच एक संधि हुई थी, जिसमें तीन वर्ष के अभिज्ञान एवं एक साल की ऐश्वर्य के माता-पिता (अनुरूप एवं सागरिका भट्टाचार्य) ने दोनों बच्चों के मुख्य देखभालकर्ता के रूप में अनुरूप के भाई अरुणाभाष भट्टाचार्य का नाम दिया।
अरुणाभाष गुरुवार को नार्वे पहुंचेंगे और वहां स्थानीय अधिकारियों से मुलाकात कर बच्चों को अपने पास लेने की प्रक्रिया पर बातचीत करेंगे।
दोनों बच्चों को नार्वे की बाल कल्याण सेवा पिछले साल मई में उनके अनिवासी अभिभावकों के पास से इस आधार पर ले गई थी कि वे उनकी उचित देखभाल नहीं कर रहे हैं।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन और विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) एम. गणपति ने अलग-अलग बैठकों में नार्वे के अपने समकक्षों के साथ बैठकें की और द्विपक्षीय सम्बंधों में मुद्दा बन चुके इस मामले का हल अति शीघ्र निकालने की जरूरत पर बल दिया।
ज्ञात हो कि विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने पिछले महीने इस मसले को अपने नार्वे के समकक्ष के साथ उठाया था और उन्होंने कहा था कि बच्चों को उनके परिचित माहौल के बीच लाने की जरूरत है। इसके बाद नटराजन और गणपति की बैठकें हुईं।
गणपति ने यह मसला अपने नार्वे के समकक्ष जो इस समय दिल्ली सतत विकास सम्मेलन (डीएसडीएस) के लिए भारत में हैं, उनके साथ उठाया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने संवाददाताओं से कहा कि इस मुलाकात में गणपति ने बच्चों के परिचित माहौल में पालन-पोषण पर जोर दिया।
प्रवक्ता ने बताया कि बच्चों को सौंपे जाने को लेकर नार्वे को कोई समयसीमा नहीं दी गई है क्योंकि मामले में कुछ कानूनी अड़चनें हो सकती हैं लेकिन उम्मीद जताई कि मामले का जितना जल्दी हो सके हल निकाल लिया जाएगा।
प्रवक्ता ने बताया कि विदेश मंत्रालय के अनुरोध पर नटराजन ने नार्वे के पर्यावरण एवं अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री इरिक सोल्हेम से मुलाकात की और मसले के जल्द निस्तारण पर जोर दिया।
नटराजन के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि नार्वे के अधिकारियों ने नटराजन को भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार मामले पर पूरा ध्यान दे रहा है।
उल्लेखनीय है कि इन बच्चों को लेकर पिछले सप्ताह भारत और नार्वे के बीच एक संधि हुई थी, जिसमें तीन वर्ष के अभिज्ञान एवं एक साल की ऐश्वर्य के माता-पिता (अनुरूप एवं सागरिका भट्टाचार्य) ने दोनों बच्चों के मुख्य देखभालकर्ता के रूप में अनुरूप के भाई अरुणाभाष भट्टाचार्य का नाम दिया।
अरुणाभाष गुरुवार को नार्वे पहुंचेंगे और वहां स्थानीय अधिकारियों से मुलाकात कर बच्चों को अपने पास लेने की प्रक्रिया पर बातचीत करेंगे।
दोनों बच्चों को नार्वे की बाल कल्याण सेवा पिछले साल मई में उनके अनिवासी अभिभावकों के पास से इस आधार पर ले गई थी कि वे उनकी उचित देखभाल नहीं कर रहे हैं।