बीजिंग:
भारत को अपने प्रतिद्वंद्वी के स्थान पर सहयोगी बताते हुए चीन ने बुधवार को कहा कि वर्ष 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के बाद दुनिया में काफी गंभीर बदलाव हुए हैं।
चीन ने नई दिल्ली के साथ काम करने के लिए तैयार होने की बात कहते हुए दोनों देशों के बीच सामरिक-सहयोगी साझेदारी को बढ़ाने की भी बात कही।
भारत-चीन युद्ध की 50वीं बरसी और नई दिल्ली में युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में आयोजित श्रद्धांजलि सभा पर पहली बार टिप्पणी करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग लेई ने कहा कि चीन ने इस बारे में भारत की मीडिया में आई खबरों और आयोजित समारोहों के बारे में नोट बनाया है।
भारतीय मीडिया में आई खबरों और श्रद्धांजलि सभा के आयोजन पर किए गए सवाल के जवाब में होंग ने कहा, ‘‘वर्तमान विश्व गंभीर और जटिल बदलावों से गुजरा है। सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले और विकासशील देश होने के नाते दोनों चीन और भारत को विकास के महत्वपूर्ण अवसर मिलने हैं।’’ हाल के वर्षों में द्विपक्षीय संबंधों में हुए सुधार का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देश प्रतिद्वंद्वी होने के बजाए सहयोगी साझेदार हैं। उनकी समान पृष्ठभूमि विवादों को परे हटाती है और समान हित मतभेदों को दूर कर देते हैं।’’
होंग ने कहा कि दोनों देशों के नेताओं ने कई बार कहा है कि दुनिया में भारत और चीन के बीच सहयोग के लिए बहुत स्थान है और बहुत सारे क्षेत्र हैं जहां दोनों सहयोग कर सकते हैं।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग लेई ने कहा कि चीन भारत के साथ काम करने को तैयार है, वह विश्वास बढ़ाने, संचार सुधारने, सहयोग को विस्तारित करने और दोनों देशों और उनके लोगों के लिए चीन-भारत के बीच सामरिक सहयोगी साझेदारी मजबूत करने की इच्छा रखता है। चीन के सरकारी मीडिया ने आज कहा था कि भारत और साम्यवादी देश के बीच वर्ष 1962 में हुए युद्ध के 50 बरस पूरे हो चुके हैं और इस युद्ध से मिले घावों को भुला कर उन्हें ‘अभिन्न रणनीतिक साझेदार’ बनना चाहिए तथा द्विपक्षीय सहयोग के लिए एक नई शुरुआत करनी चाहिए।
ग्लोबल टाइम्स ने भारत चीन युद्ध के 50 साल पूरे होने पर प्रकाशित एक लेख में कहा है ‘‘प्रख्यात भारतीय कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर चीन को ‘ब्रदर कंट्री’ कहते थे। (जवाहरलाल) नेहरू ने लोगों को ‘हिन्दी चीनी भाई-भाई’ गाने को प्रेरित किया था।’’ आगे ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है ‘‘सीमा विवाद, ऐतिहासिक समस्याएं और व्यापार संबंधी टकराव तो चीन-भारत संबंध के बहुत ही छोटे हिस्से हैं।’’ अखबार ने लिखा है कि 1962 के युद्ध के 50 बरस पूरे हो चुके हैं और इस मौके को दोनों देशों के बीच सहयोग के लिए ‘शुरुआती बिन्दु’ मानना चाहिए।
चीन ने नई दिल्ली के साथ काम करने के लिए तैयार होने की बात कहते हुए दोनों देशों के बीच सामरिक-सहयोगी साझेदारी को बढ़ाने की भी बात कही।
भारत-चीन युद्ध की 50वीं बरसी और नई दिल्ली में युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में आयोजित श्रद्धांजलि सभा पर पहली बार टिप्पणी करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग लेई ने कहा कि चीन ने इस बारे में भारत की मीडिया में आई खबरों और आयोजित समारोहों के बारे में नोट बनाया है।
भारतीय मीडिया में आई खबरों और श्रद्धांजलि सभा के आयोजन पर किए गए सवाल के जवाब में होंग ने कहा, ‘‘वर्तमान विश्व गंभीर और जटिल बदलावों से गुजरा है। सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले और विकासशील देश होने के नाते दोनों चीन और भारत को विकास के महत्वपूर्ण अवसर मिलने हैं।’’ हाल के वर्षों में द्विपक्षीय संबंधों में हुए सुधार का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देश प्रतिद्वंद्वी होने के बजाए सहयोगी साझेदार हैं। उनकी समान पृष्ठभूमि विवादों को परे हटाती है और समान हित मतभेदों को दूर कर देते हैं।’’
होंग ने कहा कि दोनों देशों के नेताओं ने कई बार कहा है कि दुनिया में भारत और चीन के बीच सहयोग के लिए बहुत स्थान है और बहुत सारे क्षेत्र हैं जहां दोनों सहयोग कर सकते हैं।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग लेई ने कहा कि चीन भारत के साथ काम करने को तैयार है, वह विश्वास बढ़ाने, संचार सुधारने, सहयोग को विस्तारित करने और दोनों देशों और उनके लोगों के लिए चीन-भारत के बीच सामरिक सहयोगी साझेदारी मजबूत करने की इच्छा रखता है। चीन के सरकारी मीडिया ने आज कहा था कि भारत और साम्यवादी देश के बीच वर्ष 1962 में हुए युद्ध के 50 बरस पूरे हो चुके हैं और इस युद्ध से मिले घावों को भुला कर उन्हें ‘अभिन्न रणनीतिक साझेदार’ बनना चाहिए तथा द्विपक्षीय सहयोग के लिए एक नई शुरुआत करनी चाहिए।
ग्लोबल टाइम्स ने भारत चीन युद्ध के 50 साल पूरे होने पर प्रकाशित एक लेख में कहा है ‘‘प्रख्यात भारतीय कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर चीन को ‘ब्रदर कंट्री’ कहते थे। (जवाहरलाल) नेहरू ने लोगों को ‘हिन्दी चीनी भाई-भाई’ गाने को प्रेरित किया था।’’ आगे ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है ‘‘सीमा विवाद, ऐतिहासिक समस्याएं और व्यापार संबंधी टकराव तो चीन-भारत संबंध के बहुत ही छोटे हिस्से हैं।’’ अखबार ने लिखा है कि 1962 के युद्ध के 50 बरस पूरे हो चुके हैं और इस मौके को दोनों देशों के बीच सहयोग के लिए ‘शुरुआती बिन्दु’ मानना चाहिए।
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