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मस्क के ईमेल को इग्नोर करो... ट्रंप प्रशासन ने जारी किया फरमान

अरबपति एलन मस्क की अगुवाई वाले DOGE की और से हाल ही में एक मेल अमेरिका के सभी संघीय कर्मचारियों को भेजा गया था और उनसे पूछा गया था कि आपने पिछले हफ्ते क्या काम किया है. इस मेल से खलबली मच गई थी. हालांकि अब ट्रंप प्रशासन ने कर्मचारियों से इस मेल को नजरअंदाज करने को कहा है.

मस्क के ईमेल को इग्नोर करो... ट्रंप प्रशासन ने जारी किया फरमान
ट्रंप प्रशासन ने सरकारी कर्मचारियों से कहा कि वो DOGE ईमेल को इग्नोर करें.
वॉशिंगटन:

अरबपति एलन मस्क के नेतृत्व वाले अमेरिकी सरकार कार्यदक्षता विभाग (DOGE) की और से हाल ही में अमेरिका के संघीय कर्मचारियों को एक मेल भेजा गया था. जिसमें उन्हें अपने पिछले हफ्ते के काम के बारे में बताने को कहा गया था. एलन मस्क के इस अल्टीमेटम ने अमेरिका के संघीय कर्मचारियों में खलबली मचा दी थी. हालांकि अब ट्रंप प्रशासन ने अपने कर्मचारियों से इस ईमेल को इग्नोर करने को कहा है. वाशिंगटन पोस्ट ने मामले से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया कि मस्क की समयसीमा समाप्त होने से पहले ही, कार्मिक प्रबंधन कार्यालय (ओपीएम), जो कि सरकार के मानव संसाधन विभाग के रूप में काम करने वाली एक संघीय एजेंसी है. उसने कर्मचारियों से इस ईमेल को नजरअंदाज करने को कहा है.  साथ में ये भी कहा गया है कि ईमेल का जवाब देना स्वैच्छिक था.

'ऐसा नहीं करने का मतलब इस्तीफ़ा'

एलन मस्क ने पोस्ट करते हुए लिखा था कि राष्ट्रपति ट्रंप के निर्देशों के मुताबिक़ सभी संघीय कर्मचारियों को जल्द ही एक ईमेल मिलेगा जिसमें उनसे अनुरोध होगा कि वे अपने पिछले हफ़्ते के काम के बारे में बताएं. ऐसा नहीं करना उनका इस्तीफ़ा माना जाएगा. इसके बाद शनिवार को अलग-अलग संघीय विभागों के कर्मचारियों को एक ईमेल भेजा गया था. जिसमें पूछा गया था कि  “आपने पिछले हफ़्ते क्या किया?” मेल में निर्देश दिया गया था कि “इस ईमेल का क़रीब 5 बुलेट प्वाइंट्स में जवाब दें कि पिछले हफ़्ते आपने क्या किया और इस जवाब में अपने मैनेजर को भी CC करें. कोई गोपनीय सूचना, लिंक या अटैचमेंट न भेजें. जवाब देने की अंतिम समय सीमा सोमवार रात 11 बज कर 59 मिनट तक है” मस्क के X पोस्ट की धमकी के विपरीत इस मेल में कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई या नौकरी से निकाले जाने की बात नहीं लिखी गई थी. 

काश पटेल की अध्यक्षता वाली संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) समेत कुछ एजेंसियों ने कर्मचारियों को इसका पालन न करने के लिए कहा था. रिपोर्ट के अनुसार, एजेंसियों को डर था कि कर्मचारी ओपीएम के कहने पर ऐसी जानकारी का खुलासा कर सकते हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील या महत्वपूर्ण है.

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