Russia Ukraine War: नाटो का सदस्य बनने की यूक्रेन (Ukraine and NATO) की इच्छा से रूस इतना नाराज हुआ कि हमला कर दिया. करीब ढाई साल से ज्यादा समय हो चुका है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है. यूक्रेन रूस का पड़ोसी मुल्क है और रूस यह नहीं चाहता था कि नाटो देशों में यूक्रेन शामिल हो. यूक्रेन के नाटो सदस्य होने के बाद रूस के लिए सुरक्षा बड़ी चिंता हो जाती. रूस ने लगातार यूक्रेन के नाटो सदस्यता की पहल का विरोध किया और आखिरकार हमला कर दिया. अब इस युद्ध को का कोई अंत नहीं दिख रहा है. यूक्रेन को अमेरिका और यूरोपियन देशों का साथ मिलकर रहा है और जहां पहले रूस की सेना लगातार आगे बढ़ती जा रही थीं वहीं अब रूसी सेना का यूक्रेन ठोस जवाब दे रहा है.
रूस को होने लगी दिक्कत
यूक्रेन के जवाब से रूस को अब दिक्कत होने लगी है. ऐसे में युद्ध के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि यह युद्ध किस दिशा में जा रहा है. कहीं ऐसा तो नहीं होगा कि रूस यूक्रेन पर परमाणु हथियारों से हमला कर दे. जानकारी के लिए बता दें कि यूक्रेन परमाणु संपन्न राष्ट्र नहीं है. ऐसे में किसी गैर परमाणु शक्ति पर हमला एक चिंता का कारण है.
रूस का भ्रम टूटा
युद्ध के आरंभ से रूस यह मान रहा था कि वह आसानी से यूक्रेन पर जीत हासिल कर लेगा. उसका मानना था कि रूसी सेना यूक्रेन की राजधानी कीव में घुस जाएंगी और यूक्रेन की सरकार का आत्मसमर्पण करवा लेंगे और जीत दर्ज करेंगी. लेकिन ऐसा नहीं हो सका है. यूक्रेन की सेना काफी मजबूती के साथ रूसी सेना का सामना कर रही हैं.
मुश्किलों में घिरते जा रहे पुतिन
अब, जैसे-जैसे रूस के मोर्चे ध्वस्त हो रहे हैं और यूक्रेनी सेनाएं रूस के कब्जे वाले क्षेत्रों को अपने कब्जे में वापस ले रही हैं, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन अपना चेहरा बचाने के लिए बेताब हैं. सवाल उठ रहा है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन क्या कर सकते हैं? क्या परमाणु हथियार का विकल्प चुनेंगे.
परमाणु हथियार की पुतिन की धमकी
व्लादिमिर पुतिन ने परमाणु हथियार के इस्तेमाल की धमकी देकर पूरी दुनिया को लगातार चौंकाया है. पुतिन कह चुके हैं कि रूस अपनी "क्षेत्रीय अखंडता" की रक्षा के लिए अपने पास उपलब्ध सभी उपकरणों का उपयोग कर सकता है.
कई विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि इसकी संभावना नहीं है कि पुतिन परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेंगे. लेकिन सभी सहमत हैं कि खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
पुतिन का होने लगा विरोध
लेकिन जिस प्रकार से युद्ध इतना लंबा खिंच गया है उससे पुतिन का विरोध होना भी शुरू हो गया है. इससे तय है कि पुतिन पर युद्ध को समाप्त करने का दबाव बढ़ता जा रहा है. कुछ जानकारों का मानना है कि युद्ध में बदलती परिस्थिति में पुतिन चारों ओर से घिर रहे हैं उनके भीषण कदम उठाने की संभावना बनती जा रही है.
एबीसी.नेट की खबर के अनुसार जानकारों का मानना है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने रूसी लोगों के सामने खुद की और देश की काफी मजबूत स्थिति दिखाई है और ऐसे में युद्ध में रूसी सेना का ऐसा हाल उनसे ज्यादा दिन तक देखा नहीं जा सकेगा.
क्या कहते है ंजानकार
फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंध व्याख्याता जेसिका जेनॉयर ने कहा कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की संभावना हाल के हफ्तों में काफी बढ़ गई है क्योंकि कई रूसी युद्ध के इतने लंबे समय तक लड़ने पर अपनी आपत्तियां व्यक्त कर रहे हैं. डॉ जेनॉयर का कहना है कि पुतिन अब एक अनिश्चित घरेलू स्थिति का सामना कर रहे हैं क्योंकि युद्ध के मैदान में रूस के लिए आगामी सैन्य सफलता की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है.
जेनॉयर का कहना है कि जब हम इसे क्रीमिया पुल पर हाल के सफल हमले के साथ ध्यान में रखते हैं, तो लगता है कि दुर्भाग्य से पुतिन द्वारा परमाणु हथियार का उपयोग करने की संभावना बढ़ गई है.पुतिन समझते हैं कि उन्हें रूसी शक्ति का सबूत दिखाने के लिए कुछ करना चाहिए जिसका वह अपने लोगों से वादा करते रहे हैं.
जो बाइडेन का रुख
उधर, अमेरिका यह कहता आ रहा है कि उसे यह नहीं लगता कि रूस यूक्रेन पर परमाणु हमला करेगा. हाल ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन के लोगों से कहा था कि वे इस युद्ध को जीतेंगे.
यूक्रेन का मामला अलग होता जा रहा है
आस्ट्रेलिया नेशनल यूनिवर्सिटी के स्टीफन फ्रूलिंग का कहना है कि इतिहास से पता चलता है कि परमाणु शक्तियों ने पहले दूसरे विकल्पों को चुना है. लेकिन उनका कहना है कि यूक्रेन का मामला अलग होता जा रहा है. इनका मानना है जिस प्रकार से संकट लगाता बना हुआ है उससे बचने के लिए पुतिन कहीं इस पर विचार न लें.
पुतिन की दिक्कत
डॉ जेनॉयर का मानना है कि पुतिन यह भी समझते हैं कि रूस के पास लंबे समय तक इस युद्ध को जारी रखने के लिए सैन्य या आर्थिक क्षमता नहीं है.
प्रोफ़ेसर फ्रूहलिंग का कहना है कि पुतिन दो तरीकों से संघर्ष को समाप्त करने के लिए परमाणु हथियारों का उपयोग कर सकते हैं, या तो यूक्रेनी बलों की आगे बढ़ने की गति को रोकने के लिए, या अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने के लिए ताकि वापसी को उचित ठहराया जा सके जिससे रूस में उन्हें कहने को कुछ मिल सके.
ऐसा भी देखा जा रहा है कि रूस अभी से यह कहने लग गया है कि यूक्रेन नहीं, रूस नाटो के साथ युद्ध लड़ रहा है. और ऐसे में नाटो युद्ध में कहीं से भी आगे आता है तो रूस को अपने को सही साबित करने का मौका मिल जाएगा.
लामबंदी में जुटा रूस
इधर रूस को सैनिकों का संकट भी झेलना पड़ रहा है. ऐसे में रूस की ओर से लामबंदी के प्रयास चालू हो गए हैं. रूस ने उत्तर कोरिया और चीन के साथ खुलकर अपनी दोस्ती का इजहार किया है. दोनों ही देश नाटो और खासकर के अमेरिका का धुर विरोधी हैं.
रूस की सबसे बड़ी समस्या
गौरतलब है कि रूस के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार है. यहां तक की अमेरिका से भी ज्यादा. रूस के पास लंबी दूरी से लेकर छोटी दूरी तक मार करने वाली परमाणु मिसाइल हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि इन हथियारों को यूक्रेन के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
कैसे जीत सकते हैं पुतिन
इसलिए जानकारों का मानना है कि केवल कीव को निशाना बनाकर हमला किया जा सकता है और सरकार का समर्पण करवा कर रूस जीत का दावा करे.
पूर्व सीआईए प्रमुख दावा
अब अगर रूस कीव पर परमाणु हमला कर देता है तो पश्चिमी देश क्या रुख अख्तियार करेंगे. इस सवाल का जवाब इस बात से समझा जा सकता है. सीआईए के पूर्व निदेशक डेविट पेट्राइस का कहना है कि आगर ऐसा हुआ तो अमेरिका और उसके सहयोगी देश यूक्रेन में रूसी सेना और काला सागर में मौजूद फ्लीट को तबाह कर देंगे. पेट्राइस का कहना है कि यह परमाणु के लिए परमाणु का जवाब नहीं है, आप परमाणु तनाव में नहीं पड़ना चाहते, लेकिन आपको यह दिखाना होगा कि इसे किसी भी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
क्या अमेरिका भी कूदेगा जंग में
प्रोफेसर फ्रूहलिंग का कहना है कि कुछ संकेत मिले हैं कि अमेरिकियों ने रूस को धमकी दी है कि अगर वे परमाणु हथियार का इस्तेमाल करते हैं, तो अमेरिका सीधे संघर्ष में प्रवेश करेगा और यूक्रेन में रूसी सेना पर हमला करेगा और यह सबसे संभावित परिदृश्य बनता है. ऐसा भी हो सकता है कि ब्रिटेन, फ़्रांस और अमेरिका यूक्रेन में संघर्ष में शामिल होंगे और वह भी केवल हवाई शक्ति के साथ.
डॉ जेनॉयर का मानना है कि पुतिन हार स्वीकार करने के बजाय नियंत्रण हासिल करने के प्रयास में यूक्रेन के शहरों और कस्बों को नष्ट करना बेहतर समझेंगे.
कुल मिलाकर यह समझा जा सकता है कि रूस अपने को एक बार फिर विश्व की महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के प्रयास में हैं. लेकिन बदले हुए परिदृश्य में संगठन के रूप में दुनिया के सामने पश्चिमी देशों की बादशाहत को खत्म करने का प्रयास भी है.
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