मलाला यूसुफजई ने पुरस्कार ग्रहण करने के बाद अपने संबोधन में कहा, "मैं ज़िद की हद तक प्रतिबद्धता रखने वाली इंसान हूं, जो चाहती है कि हर बच्चे को शिक्षा हासिल हो..." मलाला ने अपने संबोधन की शुरुआत में ही यह भी कहा, "मैं अपने पिता को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मेरे पर नहीं कतरे, और मुझे उड़ान भरने दी... मैं अपनी मां को भी शुक्रिया कहती हूं कि उन्होंने मुझे सब्र रखने और हमेशा सच बोलने की प्रेरणा दी..."
मलाला यूसुफजई ने कहा, "मैं एक आवाज़ नहीं, कई आवाज़ें हूं... मैं उन छह करोड़ 60 लाख लड़कियों का रूप हूं, जिन्हें शिक्षा नहीं मिल रही है... बहुत-से बच्चों को शिक्षा गरीबी की वजह से नहीं मिल पाती... मैं अपनी कहानी इसलिए नहीं सुना रही हूं, क्योंकि ये सबसे अलग है, बल्कि इसलिए सुना रही हूं, क्योंकि यह अलग नहीं है... यही बहुत-सी लड़कियों की कहानी है..."
लड़कियों को शिक्षा दिए जाने की वकालत करने के कारण आतंकवादियों के कहर का शिकार हुई मलाला यूसुफजई ने अपने संबोधन में कहा, "न आतंकवादियों के इरादे जीत सकते हैं, न उनकी गोलियां... हम सलामत हैं, और हमारी आवाज़ दिन-ब-दिन बुलंद होती रही है..."
सारी दुनिया के महिलाओं के लिए समान अधिकार चाहती हूं और यह भी चाहती हूं कि दुनिया के हर कोने में शांति हो। उन्होंने नोबेल पुरस्कार
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