वियना में हुई बैठक की तस्वीर
नई दिल्ली:
ईरान और दुनिया की छह महाशक्तियों के बीच मंगलवार को हुई ऐतिहासिक परमाणु डील से तेहरान के उपर लगी आर्थिक पाबंदियों में कमी आने की उम्मीद है। इसके बदले में ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करना होगा।
इस समझौते के साथ ही मंगलवार को दुनियाभर में तेल की कीमत में गिरावट दर्ज की गई। इस परमाणु करार का असर भारत में भी पड़ सकता है, जानें विशेषज्ञों की कुछ प्रमुख़ राय।
1. भारत की 80 % ऊर्जा ज़रुरतें आयात के ज़रिये पूरी की जाती हैं, इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजा़र में तेल की कीमतें कम होने का सीधा फायदा इंडियन ऑयल, बीपीसीएल और एचपीसीएल जैसी भारतीय तेल कंपनियों को होगा। इन कंपनियों का भंडार कल 2 - 3.5 % तक बढ़ गया।
2. तेल की गिरती कीमतों से उन कंपनियों को नुकसान होगा जो तेल का उत्पादन करते हैं, इनमें CAIRN INDIA और ONGC जैसी कंपनियों के शेयर्स शामिल हैं
3. ईरान के इस समझौते का रिलायंस इंडस्ट्रीज़ पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ेगा। रिलायंस इंडस्ट्रीज़ जामनगर में दुनिया की सबसे बड़ी ऑयल रिफाईनरी चला रही है।
4. ऐबान ऑफ़शोर जो भारत का सबसे बड़ा ऑफ़शोर सर्विस प्रोवाईडर है, उसकी 35 % आमदनी ईरान से आती है। कल के फ़ैसले के बाद ऐबान के शेयर्स 16. 2 % की उछाल पर बंद हुए। विशेषज्ञों के अनुसार ईरान पर लगी पाबंदी कम होने के साथ ही कंपनी का वर्किंग कैपिटल बेहतर होगा।
5. तेल मंत्रालय को डर है कि ईरान अपने यहां के सबसे बड़े 'फरज़ाद-बी-गैस' क्षेत्र को विकसित करने का अधिकार यूरोपिये देशों को दे सकता है जो बदले में वहां नवीनतम तकनीक और अरबों-खरबों डॉलर निवेश कर ईरान के तेल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विस्तार का काम कर सकते हैं। फ़िलहाल भारतीय तेल कंपनी ओएनजीसी फरज़ाद-बी-क्षेत्र को विकसित करने का अधिकार पाने की रेस में शामिल है।
6. तेहरान पर पाबंदी हटने के साथ ही यह देश दुनिया के किसी भी देश के साथ बिज़नेस करने के लिए फ्री होगा, इससे भारत को तेहरान से कम कीमत मे मिलने वाला तेल पाने की गुंजाईश कम हो जाएगी। भारतीय तेल रिफाईनरीज़ को ईरान को बकाया 40 हज़ार करोड़ की राशि भी देनी होगी जो वो वे ईरान पर लगी पाबंदियों के कारण नहीं दे पाये थे।
7. व्यापार मंत्रालय के अनुसार ईरान पर लगे प्रतिबंध हटने के साथ ही वहां की घरेलू दवा, उत्पाद और आईटी कंपनियां को फायदा होगा। अब ये कंपनियां भी ईरान में बिज़नेस कॉन्ट्रैक्ट की रेस में शामिल हो जाएंगे।
8. ईरान भारत में पैदा होने वाले बासमती चावल, सोयामील, चीनी, बार्ली और मीट का बड़ा खरीदार है। आर्थिक प्रतिबंधों के दौरान ईरान ने भारत से इन चीज़ों को खरीदने के लिए अंतरराष्ट्रीय कीमत से 20 % ज्य़ादा ब्याज दिया था। मैकलियोड और कोहिनूर फूड्स जैसी भारतीय कंपनियों को इस प्रतिबंध से काफी फायदा हुआ था।
9. भारत ने ईरान के ख़िलाफ़ लगे आर्थिक प्रतिबंधों का समर्थन नहीं किया था जिसके कारण हज़ारों भारतीय निर्यातकों को तीन साल तक काफी फायदा हुआ था। साल 2013-14 में ईरान को भारत का निर्यात 5 बिलियन डॉलर से बढ़ गया था। इससे भारत का बाईलैटरल ट्रेड डेफिशिट आधा हो गया था। विशेषज्ञों की राय के अनुसार ताज़ा घटनाक्रम के बाद, ग्लोबल स्लोडाउन के कारण पहले ही हमारा निर्यात 20 % तक कम हो चुका है, अब इस नए नतीजे से भारत को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में मिलने वाली प्रतिस्पर्धा और तेज़ हो गई है।
10. भारतीय कंपनियों को अब कपड़ों से लेकर कार जैसी कंज्यूमर प्रोडक्ट्स से लेकर तेहरान मेट्रो जैसे बड़े व्यापारिक कॉन्टैक्ट्स के लिए दूसरी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ कड़ा मुक़ाबला करना होगा।
(रॉयटर्स के इनपुट के साथ)
इस समझौते के साथ ही मंगलवार को दुनियाभर में तेल की कीमत में गिरावट दर्ज की गई। इस परमाणु करार का असर भारत में भी पड़ सकता है, जानें विशेषज्ञों की कुछ प्रमुख़ राय।
1. भारत की 80 % ऊर्जा ज़रुरतें आयात के ज़रिये पूरी की जाती हैं, इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजा़र में तेल की कीमतें कम होने का सीधा फायदा इंडियन ऑयल, बीपीसीएल और एचपीसीएल जैसी भारतीय तेल कंपनियों को होगा। इन कंपनियों का भंडार कल 2 - 3.5 % तक बढ़ गया।
2. तेल की गिरती कीमतों से उन कंपनियों को नुकसान होगा जो तेल का उत्पादन करते हैं, इनमें CAIRN INDIA और ONGC जैसी कंपनियों के शेयर्स शामिल हैं
3. ईरान के इस समझौते का रिलायंस इंडस्ट्रीज़ पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ेगा। रिलायंस इंडस्ट्रीज़ जामनगर में दुनिया की सबसे बड़ी ऑयल रिफाईनरी चला रही है।
4. ऐबान ऑफ़शोर जो भारत का सबसे बड़ा ऑफ़शोर सर्विस प्रोवाईडर है, उसकी 35 % आमदनी ईरान से आती है। कल के फ़ैसले के बाद ऐबान के शेयर्स 16. 2 % की उछाल पर बंद हुए। विशेषज्ञों के अनुसार ईरान पर लगी पाबंदी कम होने के साथ ही कंपनी का वर्किंग कैपिटल बेहतर होगा।
5. तेल मंत्रालय को डर है कि ईरान अपने यहां के सबसे बड़े 'फरज़ाद-बी-गैस' क्षेत्र को विकसित करने का अधिकार यूरोपिये देशों को दे सकता है जो बदले में वहां नवीनतम तकनीक और अरबों-खरबों डॉलर निवेश कर ईरान के तेल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विस्तार का काम कर सकते हैं। फ़िलहाल भारतीय तेल कंपनी ओएनजीसी फरज़ाद-बी-क्षेत्र को विकसित करने का अधिकार पाने की रेस में शामिल है।
6. तेहरान पर पाबंदी हटने के साथ ही यह देश दुनिया के किसी भी देश के साथ बिज़नेस करने के लिए फ्री होगा, इससे भारत को तेहरान से कम कीमत मे मिलने वाला तेल पाने की गुंजाईश कम हो जाएगी। भारतीय तेल रिफाईनरीज़ को ईरान को बकाया 40 हज़ार करोड़ की राशि भी देनी होगी जो वो वे ईरान पर लगी पाबंदियों के कारण नहीं दे पाये थे।
7. व्यापार मंत्रालय के अनुसार ईरान पर लगे प्रतिबंध हटने के साथ ही वहां की घरेलू दवा, उत्पाद और आईटी कंपनियां को फायदा होगा। अब ये कंपनियां भी ईरान में बिज़नेस कॉन्ट्रैक्ट की रेस में शामिल हो जाएंगे।
8. ईरान भारत में पैदा होने वाले बासमती चावल, सोयामील, चीनी, बार्ली और मीट का बड़ा खरीदार है। आर्थिक प्रतिबंधों के दौरान ईरान ने भारत से इन चीज़ों को खरीदने के लिए अंतरराष्ट्रीय कीमत से 20 % ज्य़ादा ब्याज दिया था। मैकलियोड और कोहिनूर फूड्स जैसी भारतीय कंपनियों को इस प्रतिबंध से काफी फायदा हुआ था।
9. भारत ने ईरान के ख़िलाफ़ लगे आर्थिक प्रतिबंधों का समर्थन नहीं किया था जिसके कारण हज़ारों भारतीय निर्यातकों को तीन साल तक काफी फायदा हुआ था। साल 2013-14 में ईरान को भारत का निर्यात 5 बिलियन डॉलर से बढ़ गया था। इससे भारत का बाईलैटरल ट्रेड डेफिशिट आधा हो गया था। विशेषज्ञों की राय के अनुसार ताज़ा घटनाक्रम के बाद, ग्लोबल स्लोडाउन के कारण पहले ही हमारा निर्यात 20 % तक कम हो चुका है, अब इस नए नतीजे से भारत को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में मिलने वाली प्रतिस्पर्धा और तेज़ हो गई है।
10. भारतीय कंपनियों को अब कपड़ों से लेकर कार जैसी कंज्यूमर प्रोडक्ट्स से लेकर तेहरान मेट्रो जैसे बड़े व्यापारिक कॉन्टैक्ट्स के लिए दूसरी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ कड़ा मुक़ाबला करना होगा।
(रॉयटर्स के इनपुट के साथ)
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