
Parle-G बिस्किट का नाम जब ही जहन में आता है तो गांव में बिताए बचपन के वो दिन ताजा हो जाते हैं, जब कोई मेहमान घर में आता था तो पारले जी बिस्किट से उसकी खातिदारी की जाती ही. वक्त बदला, लेकिन नहीं बदला तो इसका स्वाद. आज भी 5 रुपए में बिकने वाला ये बिस्किट (Parle-G Biscuit) गांव और शहरों में सबसे ज्यादा खरीदा जाता है. इस महंगाई में भी सिर्फ 5 रुपए में बिकने वाला ये पैकेट बच्चों के चेहरे पर मुस्कराहट ले आता है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि भारत में सस्ता मिलने वाला ये बिस्किट भुखमरी से जूझ रहे गाजा में 500 गुना ज्यादा कीमत पर बेचा जा रहा है.
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After a long wait, I finally got Ravif her favorite biscuits today. Even though the price jumped from €1.5 to over €24, I just couldn't deny Rafif her favorite treat. pic.twitter.com/O1dbfWHVTF
— Mohammed jawad 🇵🇸 (@Mo7ammed_jawad6) June 1, 2025
भुखमरी से जूझ रहे गाजा में Parle-G महंगा
इजरायल के हाथों बर्बाद हो चुके गाजा में इन दिनों खाने की भयंकर कमी है. लोग दाने-दाने को तरस रहे हैं. दूसरे देश गाजा को मानवीय मदद भेज रहे हैं. ऐसे में गाजा का एक पोस्ट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. इसमें एक शख्स मने दावा किया है कि पारले जी बिस्किट गाजा में 24 यूरो (2,342 रुपये) से ज्यादा में बेचे जा रहे हैं. सोशल मीडिया पर कई लोग बिस्किट की ये कीमत देखकर हैरान रह गए.
गाजा में महंगाई छू रही आसमान
गाजा में अक्टूबर 2023 से चीजें महंगी हो गई हैं. इजरायल के हमलों के बाद गाजा में खाने की कमी हो गई है.खाने-पीने की चीजें गजा तक सही से पहुंच ही नहीं पा रही हैं. इस साल 2 मार्च से 19 मई के बीच इस फिलिस्तीनी इलाके को लगभग पूरी तरह से नाकाबंदी का सामना करना पड़ा था. सीमित संख्या में मानवीय ट्रक वहां जा रहे थे. अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद उनको गे जाने दिया गया.
कालाबाजारी की सच्चाई
गाजा में इतनी ज्यादा कीमतें सिर्फ पारले-जी तक ही सीमित नहीं हैं, जिसे करीब 4,300 किमी. दूर भारत से निर्यात किया जाता है. गाजा सिटी में रहने वाले 31 साल के सर्जन डॉ. खालिद अलशवा ने NDTV को बताया, "समस्या मूल सप्लायर्स और टैक्सेशन से संबंधित नहीं है. ये सामान आमतौर पर मानवीय सहायता के रूप में गाजा में निःशुल्क आते हैं. लेकिन कुछ लोगों को ही ये मिल पाता है. कमी की वजह से इनकी कालाबाजारी होने लगी है.'
अलशवा को ये पसंदीदा बिस्किट आखिरकार मिल ही गया. इसके लिए उनको करीब 240 रुपए चुकने पड़े. कहा जा रहा है कि अलग-अलग जगहों पर कीमतें अलग-अलग होती हैं.

डॉ. अलशवा ने एनडीटीवी से कहा कि 3 महीने से ज़्यादा समय से बॉर्डर बंद होने की वजह से 20 लाख लोगों की बहुत कम बुनियादी ज़रूरतें ही पूरी हो पा रही हैं. कुछ लोग ही कुछ सामान खरीदते हैं या लूटपाट होती है, तो ये चीजें महंगी बेची जाती हैं.

ऐसा लगता है कि पारले -जी बिस्किट शायद हेल्प शिपमेंट के जरिए गाजा में पहुंचा हो और कुछ विक्रेताओं के हाथों में चला गया, जिन्होंने इसे गाजा के लोगों की पहुंच से बाहर की कीमतों पर बेचा.
6 जून, 2025 तक उत्तरी गाजा में कुछ जरूरी प्रोडक्ट्स की कीमतों (भारतीय रुपये में) का ब्यौरा:
- 1 किलो चीनी: 4,914 रुपये
- 1 लीटर खाना पकाने का तेल: 4,177 रुपये
- 1 किलो आलू: 1,965 रुपये
- 1 किलो प्याज: 4,423 रुपये
- 1 कॉफी कप: 1,800 रुपये
NDTV को मिली लिस्ट के मुताबिक, गाजा में बुनियादी चीजों और किराने का सामान बहुत ही मोटी कीमतों पर बेचा जा रहा है.
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