
मुंबई आतंकी हमले शामिल आंतकी तहव्वुर राणा को भारत लाने की प्रक्रिया अब लगभग पूरी हो गई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तहव्वुर राणा को भारत के हवाले करने को लेकर जितनी भी कागजी कार्रवाई है वो आखिरी दौर में है. भारतीय सुरक्षा एजेंसियां राणा के प्रत्यर्पण को लेकर अमेरिकी प्रशासन से संपर्क में हैं. सूत्रों के अनुसार अब किसी भी समय राणा को भारत भेजने की प्रक्रिया को शुरू किया जा सकता है. भारतीय सुक्षा एजेंसियों के कई वरिष्ठ अधिकारी इस प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका में मौजूद हैं. आपको बता दें कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को 26/11 में हुए हमलों को लेकर तहव्वुर राणा की तलाश है.
तहव्वुर राणा मामले में अब तक क्या-क्या
- 7 मार्च 2025 अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से भारत प्रत्यर्पण पर आतंकी तहव्वुर राणा की याचिका खारिज कर दी.
- 13 नवंबर 2024 को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका दायर की थी.
- 16 दिसंबर 2024 को, अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल एलिजाबेथ बी. प्रीलोगर ने सुप्रीम कोर्ट से राणा की याचिका खारिज करने का अनुरोध किया.
- 21 जनवरी 2025 को, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिका खारिज कर दी, जिससे भारत में उनके प्रत्यर्पण का मार्ग प्रशस्त हुआ.
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, अमेरिकी विदेश विभाग ने राणा के प्रत्यर्पण के संबंध में अगले कदमों का मूल्यांकन करने की घोषणा की.
- राणा के भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है, जिससे 26/11 हमले के पीड़ितों को न्याय मिलना अब तय है.
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था. आतंकी राणा ने अपनी इस याचिका में प्रत्यर्पण के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी. तहव्वुर राणा ने बिगड़े स्वास्थ्य और यातना का हवाला दिया था, लेकिन कोई पैंतरा काम नहीं आया था. अपनी याचिका की सुनवाई के दौरान राणा कोर्ट में भारत न भेजे जाने को लेकर गिड़गिड़ाता भी नजर आया था. उसने कोर्ट को यहां तक कह दिया था कि अगर उसे भारत भेजा जाता है को उसे वहां टॉर्चर किया जाएगा.

राणा ने अपनी याचिका में कई बेतुके तर्क भी दिए थे, उसने कहा था कि वह पाकिस्तानी मूल का मुसलमान है, ऐसे में उसे अगर भारत के हवाले किया गया तो उसके साथ वहां प्रताड़ना का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही उसने अपनी बीमारी को भी एक ढाल की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश की. उसने कोर्ट को बताया था कि उसकी सेहत अब ठीक नहीं है और वह कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित है. उसे ये भी नहीं पता कि वह और कितने दिनों तक जिंदा है. लेकिन उसके ये पैतरें कोर्ट में किसी काम नहीं आए. कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया था.
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