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This Article is From Apr 15, 2020

हॉर्वर्ड के वैज्ञानिकों ने चेताया, केवल एक बार के लॉकडाउन से पूरी तरह नहीं रुकेगा कोरोना का प्रकोप, करना होगा यह उपाय..

साइंस जर्नल में प्रकाशित एक पेपर में हार्वर्ड टीम के कंप्यूटर सिमुलेशन ने माना है कि COVID-19 मौसमी हो जाएगा. यह ठीक वैसे ही होगा जैसे सर्दियों के मौसम में लोगों को वायरल होता है. लेकिन अभी इस वायरस के बारे में बहुत सारी चीजें रहस्यमयी हैं, जिसमें पिछले संक्रमण के बाद इम्यूनिटी लेवल और यह इसके शरीर में मौजूद रहने का समय शामिल है.

हॉर्वर्ड के वैज्ञानिकों ने चेताया, केवल एक बार के लॉकडाउन से पूरी तरह नहीं रुकेगा कोरोना का प्रकोप, करना होगा यह उपाय..
कोरोना वायरस के असर को लेकर हॉर्वर्ड के वैज्ञानिकों ने खास स्‍टडी की है
वॉशिंगटन:

Coronavirus Pandemic: हॉर्वर्ड के वैज्ञानिकों (Harvard scientists) ने चेताया है कि एक बार के लॉकडाउन (One-Off Lockdown) से कोरोना वायरस (Coronavirus) की महामारी को पूरी तरह से नहीं रोका जा सकता. इस खतरनाक वायरस से निपटने और हॉस्पिटलों को 'ओवरलोड' होने से बचाने के लिए दुनिया को 2022 तक सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) का पालन करना होगा. गौरतलब है कि हॉर्वर्ड की यह स्टडी उस समय आई है, जब अमेरिका में COVID-19 के मामले उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं और वहां सख्त लॉकडाउन के उपायों पर नरमी अख्तियार करने के बारे में विचार किया जा रहा है.

साइंस जर्नल में प्रकाशित एक पेपर में हार्वर्ड टीम के कंप्यूटर सिमुलेशन ने माना है कि COVID-19 मौसमी हो जाएगा. यह ठीक वैसे ही होगा जैसे सर्दियों के मौसम में लोगों को वायरल होता है. लेकिन अभी इस वायरस के बारे में बहुत सारी चीजें रहस्यमयी हैं, जिसमें पिछले संक्रमण के बाद इम्यूनिटी लेवल और यह इसके शरीर में मौजूद रहने का समय शामिल है.स्टडी के प्रमुख लेखक स्टीफन किस्लर पत्रकारों से कहा कि 'हमने पाया है कि सामाजिक दूरी बनाए रखना एक उपाय है' उन्होंने कहा, 'वायरस के अन्य उपचारों की गैरमौजूदगी में जो बात आवश्यक है, वह सोशल डिस्टेंसिंग ही है.'

स्टडी के एक अन्य लेखक मार्क लिप्सच ने कहा, 'एक साथ ज्यादा लोगों की मौजूदगी के दौरान वायरस के फैलने की आशंका ज्यादा है.' लेखकों ने कहा कि इस वायरस का मुकाबला करने के लिए टेस्टिंग की भी जरूरत है. उपचार और टीके उपलब्धता के बाद लॉकडाउन की अवधि और सख्ती को कम किया जा सकता है लेकिन ऐसा जब तक नहीं होता तब तक सोशल डिस्टेंसिंग अस्पतालों को उनकी क्षमता बढ़ाने के लिए समय देगा. लेखकों ने स्वीकार किया कि उनके मॉडल में एक बड़ी कमी यह है कि वर्तमान में हम नहीं जानते हैं कि पहले से संक्रमित व्यक्ति की इम्यूनिटी कितनी मजबूत है और यह कितने समय तक चलती है.

हालांकि एक बात लगभग तय मानी जा रही है कि यह वायरस लंबे समय तक दुनिया में रहेगा. टीम ने कहा कि इसकी बहुत संभावना नहीं है कि इम्यूनिटी पर्याप्त रूप से मजबूत होगी और लंबे समय तक पर्याप्त होगी. उन्होंने इन संभावनाओं से भी इनकार किया कि Covid-19 साल 2002-2003 के SAARS की तरह एक लहर की तरह खत्म हो जाएगा.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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