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This Article is From Jun 12, 2012

'हक्कानी ने ही लिखा था अमेरिका को गुप्त संदेश'

इस्लामाबाद: पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने अमेरिका भेजे गए जिस गुप्त संदेश में अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद तख्तापलट की आशंका जाहिर की थी, वह संदेश वाकई में भेजा गया था और उसे हुसैन हक्कानी ने ही लिखा था। यह खुलासा इस मामले की जांच में हुआ है। जांच रपट मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय को सौंपी गई।

रपट में इस बात का खुलासा होने के तत्काल बाद अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हक्कानी ने ट्विटर पर लिखा "मेरे वकील इसे चुनौती देंगे"।

जियो न्यूज के अनुसार, जांच आयोग ने इस गुप्त संदेश की जांच रपट सर्वोच्च न्यायालय की नौ सदस्यीय पीठ को सौंपी।

रपट में यह भी कहा गया है कि हक्कानी जब विदेश में रह रहे थे, उस समय अपने देश के प्रति वफादार नहीं थे।

जांच आयोग की रपट सामने आने के चंद मिनट बाद हक्कानी ने ट्विटर पर लिखा, "जिस आयोग ने मेरा पक्ष सुनने से इनकार कर दिया, उसकी एकतरफा कार्यवाहियों को मेरे वकील चुनौती देंगे।"

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त जांच आयोग ने पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी व्यापारी मंसूर एजाज के उस दावे की जांच की है, जिसमें उसने पिछले वर्ष कहा था कि अमेरिका के जॉइंट्स चीफ्स ऑफ स्टाफ के चेयरमैन एडमिरल माइक मुलेन के पास हक्कानी और पाकिस्तान सरकार की ओर से उसने एक गुप्त संदेश पहुंचाया था।

संदेश में कहा गया था कि पिछले वर्ष मई में अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के एबटाबाद में अमेरिकी कमांडो द्वारा मारे जाने के बाद राष्ट्रपति जरदारी ने तख्तापलट की आशंका जाहिर की थी।

इस गुप्त संदेश को लेकर एक बड़ा स्कैंडल खड़ा हुआ था, जिसके कारण हक्कानी को राजदूत पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी की अध्यक्षता में सोमवार को नौ सदस्यीय पीठ गठित की गई थी, जिसे आयोग ने अपनी रपट मुहरबंद लिफाफे में सौंपी।

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