
लाहौर उच्च न्यायालय ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान सरकार यदि मुंबई आतंकी हमले के सरगना हाफिज सईद के खिलाफ कोई ठोस सबूत दाखिल नहीं करती है तो उसकी नजरबंदी रद्द कर दी जाएगी. जमात उद-दावा प्रमुख सईद और उसके सहयोगी 30 जनवरी से ही आतंकवाद निरोधक कानून, 1997 के तहत लाहौर में घर में नजरबंद हैं.
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लाहौर उच्च न्यायालय ने उसकी हिरासत के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई की. माना जा रहा था कि इस सुनवाई में गृह सचिव उसकी और चार अन्य की हिरासत से संबंधित मामले के पूरे रेकॉर्ड के साथ अदालत में पेश होंगे. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. कार्यवाही के दौरान गृह सचिव की गैर मौजूदगी से नाराज अदालत ने कहा कि 'महज प्रेस क्लिपिंग की बुनियाद पर किसी नागरिक को किसी विस्तारित काल तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता.'
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न्यायाधीश सैयद मजहर अली अकबर नकवी ने कहा, 'सरकार का बर्ताव दिखाता है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ सरकार के पास कोई ठोस सबूत नहीं है. अदालत के सामने अगर कोई ठोस सबूत नहीं पेश किया गया तो याचिकाकर्ताओं की हिरासत रद्द कर दी जाएगी.' डिप्टी अटॉर्नी जनरल के साथ आए गृह मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने अदालत को बताया कि इस्लामाबाद में अपरिहार्य सरकारी जिम्मेदारी के चलते गृह सचिव पेश नहीं हो पाए. डिप्टी अटॉर्नी जनरल ने याचिका का जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा. जस्टिस नकवी ने अफसोस जताया कि एक सरकारी शख्सियत के बचाव के लिए अफसरों की फौज दी गई है, लेकिन अदालत की मदद के लिए एक भी अधिकारी उपलब्ध नहीं है.
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सुनवाई स्थगित करने के बार-बार के अनुरोधों पर अफसोस जताते हुए न्यायाधीश ने कहा कि विधि अधिकारी चाहते हैं कि अदालतें काम करना बंद कर दें. न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई 13 अक्तूबर तक स्थगित कर दी. सईद के वकील एके डोगर ने दलील दी कि सरकार ने जमात उद-दावा के नेताओं को अंदेशों और सुनी सुनाई चीजों के बुनियाद पर नजरबंद किया है. किसी कानून के तहत बिना किसी सबूत के किसी कयास और कल्पना से कोई अंदेशा नहीं बनता.
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