
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नए H-1B वीजा आवेदकों के लिए एक लाख डॉलर की वन-टाइम फीस लागू की है.
- यह नया शुल्क केवल नए वीजा आवेदकों पर लागू होगा और वर्तमान धारकों पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा.
- इक्विरस की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय बड़ी आईटी कंपनियों के मुनाफे में फीस से केवल मामूली कमी आ सकती है.
नए अमेरिकी H-1B वीजा फीस से भारत में बड़ी और मझोले आकार की आईटी सर्विस कंपनियों पर कुछ खास असर पड़ने की संभावना नहीं है. सोमवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नए H-1B वीजा आवेदकों के लिए एक लाख डॉलर की फीस तय की है. हालांकि, यह वन-टाइम फीस और रिन्यूएबल आदि की व्यवस्था पहले जैसी ही रहेगी. फंड मैनेजमेंट फर्म इक्विरस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि इन प्रतिबंधों को लोकल लेवल पर नियुक्तियों, सब-कॉन्टैक्टिंग या ऑफशोरिंग में इजाफा करके दूर किया जा सकता है.
नहीं आएगा ज्यादा अंतर
इक्विरस के अनुसार यह प्रतिबंध, जब तक बढ़ाया नहीं जाता यानी 21 सितंबर, 2025 से 12 महीने तक प्रभावी रहेगा, जब तक कि इसे रिन्यू न किया जाए. साथ ही यह सिर्फ नए वीजा एप्लीकेंट्स पर ही लागू होगा. इक्विरस ने अनुमान लगाया है कि अगर यह फीस सिर्फ नए H-1B पर लागू होती है तो यह बड़ी-कैप आईटी कंपनियों का प्रॉफिट मार्जिन सिर्फ 7 से 14 प्वाइंट्स तक कम होगा. अगर इसमें अमेरिका के बाहर के नए और मौजूदा वीजा धारक शामिल हैं तो यह 26 से 49 बेस प्वाइंट तक कम होगा.
कर्मचारियों की संख्या भी कम
मिड-कैप फर्मों पर नए एप्लीकेंट्स के लिए 21 से 39 आधार प्वाइंट्स का और अमेरिका के बाहर नए और मौजूदा वीजा धारकों के लिए 60 से 109 बेस प्वाइंट्स का असर पड़ेगा. एनालिस्ट्स का कहना है कि भारतीय आईटी वेंडर्स ने पिछले छह से आठ सालों में अपने ऑन-साइट एच-1बी कर्मचारियों की संख्या कम कर दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे विचार से, ज्यादातर लार्ज-कैप कंपनियों के लिए ऐसे वीजा करीब 25 से 35 फीसदी और बाकी ज्यादातर के लिए 30 से 60 फीसदी है.
71 फीसदी भारतीय
रिपोर्ट में कंपनी ने कहा है, 'इसलिए हमारा मानना है कि स्थानीय लोगों, ग्रीन कार्ड होल्डर्स या सब-कॉन्ट्रैक्टर्स की भर्ती और ऑफशोरिंग करके उन प्रभावित आवेदकों की जगह लेने में समझदारी ही काम आएगी.' करीब 71 फीसदी H-1B वीजा होल्डर्स भारत से हैं, जो मुख्य तौर पर इंफोसिस, विप्रो, कॉग्निसेंट और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसी प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए काम करते हैं.
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