
H-1B Visa Impact on Indians: अगर आप अमेरिका में पढ़ाई और करियर बनाना चाहते हैं तो अब यह और भी मुश्किल हो गया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा की फीस को सीधे 1 लाख डॉलर यानी करीब 88 लाख रुपए कर दिया है. यह फैसला भारतीय छात्रों और IT प्रोफेशनल्स के लिए करियर की राह में बड़ी बाधा साबित हो सकता है. इस आर्टिकल में जानिए इसका क्या असर होगा और क्या-क्या ऑप्शन अब आपके पास हैं...
H-1B वीजा क्या है
H-1B वीजा स्पेशलाइज्ड ऑक्युपेशन वाले प्रोफेशनल्स को दिया जाता है. इसमें बायोटेक, IT, इंजीनियरिंग, मैथ्स और एजुकेशन सेक्टर के लोग शामिल होते हैं. इसके लिए कम से कम बैचलर डिग्री और कंपनी की स्पॉन्सरशिप जरूरी होती है. खासतौर पर H-1B3 वीजा फैशन मॉडल्स के लिए होता है, जिनके पास कोई खास टैलेंट और अचीवमेंट्स हों.
H-1B वीजा की फीस क्यों बढ़ी
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह कदम इमीग्रेशन को कम करने और सिर्फ हाईली-स्किल्ड टैलेंट को अमेरिका लाने के लिए उठाया गया है. H-1B वीजा वैसे भी सबसे ज्यादा मांग वाला वीजा है, लेकिन अब इसकी भारी-भरकम फीस चुकाना हर किसी के बस की बात नहीं होगी. इसका सीधा असर उन लाखों भारतीयों पर पड़ेगा, जो STEM (Science, Technology, Engineering, Maths) सेक्टर में काम करना चाहते हैं.
H-1B वीजा का भारतीयों पर कितना असर
1. H-1B वीजा होल्डर्स में 71% भारतीय होते हैं.
2. अब हर बार वीजा रिन्यू कराने पर भी 88 लाख रुपए चुकाने होंगे.
3. बड़ी संख्या में टेक वर्कर्स अमेरिका छोड़कर भारत लौट सकते हैं.
4. स्टूडेंट्स के लिए अमेरिका में पढ़ाई और नौकरी का सपना और महंगा हो जाएगा.
H-1B वीजा की फीस बढ़ने से टेक कंपनियों पर क्या होगा असर
फीस हाइक से अमेरिकी टेक दिग्गज कंपनियां भी परेशान हैं. मेटा और माइक्रोसॉफ्ट ने अपने कर्मचारियों को अलर्ट किया है. कंपनियों ने 14 दिनों तक अमेरिका न छोड़ने को कहा है. जो कर्मचारी बाहर हैं, उन्हें 24 घंटे में अमेरिका लौटने की सलाह दी गई है. इसका मतलब है कि कॉर्पोरेट सेक्टर भी असमंजस में है और उनके ग्लोबल ऑपरेशंस प्रभावित हो सकते हैं.
H-1B के विकल्प क्या हैं
1. O-1 वीजा उन लोगों के लिए जो अपने क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियां रखते हैं.
2. L-1 वीजा से इंट्रा कंपनी ट्रांसफर से मैनेजर्स और एग्जिक्यूटिव्स US भेजे जा सकते हैं.
USCIS का क्या कहना है
यूएस सिटिजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (USCIS) ने बताया है कि FY 2026 के लिए 65,000 रेगुलर और 20,000 मास्टर्स H-1B कैप पहले ही भर चुके हैं. इसका मतलब है कि डिमांड तो अभी भी बहुत ज्यादा है, लेकिन नई फीस से आवेदन संख्या घट सकती है.
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