Google ने भारत में एक ट्रिब्यूनल को बताया है कि देश के एंटीट्रस्ट जांचकर्ताओं ने अपने एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम के बाजार प्रभुत्व का दुरुपयोग करने के लिए अमेरिकी फर्म के खिलाफ एक यूरोपीय शासन के कुछ हिस्सों की नकल की. गूगल ने कानूनी दस्तावेज दिखाते हुए सीसीआई के ऑर्डर को रद्द करने की अपील की है. ट्रिब्यूनल में इस मामले की सुनवाई बुधवार को होगी.
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने अक्टूबर में अल्फाबेट इंक की कंपनी गूगल पर ऑनलाइन सर्च और एंड्रॉइड ऐप स्टोर जैसे बाजारों में अपनी प्रमुख स्थिति का फायदा उठाने के लिए 161 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया था. सीसीआई ने गूगल से प्री-इंस्टॉलिंग ऐप्स से संबंधित स्मार्टफोन निर्माताओं पर लगाए गए प्रतिबंधों को बदलने के लिए भी कहा था.
सूत्रों ने अक्टूबर में न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि Google भारतीय निर्णय के बारे में चिंतित था, क्योंकि दिए गए उपायों को एंड्रॉइड मोबाइल डिवाइस निर्माताओं पर गैरकानूनी प्रतिबंध लगाने के यूरोपीय आयोग के ऐतिहासिक 2018 के फैसले की तुलना में अधिक व्यापक के रूप में देखा गया था. Google ने उस मामले में रिकॉर्ड 4.1 बिलियन यूरो (4.3 बिलियन डॉलर) के जुर्माने को ट्रिब्यूनल में चुनौती दी है.
Google की फाइलिंग सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन रॉयटर्स की जानकारी के मुताबिक, गूगल ने इसमें कहा, "कॉपी- पेस्टिंग के 50 से अधिक उदाहरण हैं. कुछ मामलों में तो शब्द-दर-शब्द कॉपी हुई है." रॉयटर्स के मुताबिक, गूगल ने आगे कहा, "आयोग एक निष्पक्ष, संतुलित, और कानूनी रूप से सुदृढ़ जांच करने में फेल रहा. Google की मोबाइल ऐप वितरण प्रथाएं प्रतिस्पर्धात्मक हैं और अनुचित/बहिष्कारकारी नहीं हैं."
गूगल ने एक बयान में कहा कि उसने सीसीआई के फैसले के खिलाफ अपील करने का फैसला किया, क्योंकि उसका मानना है कि "यह हमारे भारतीय यूजर्स और बिजनेस के लिए एक बड़ा झटका है." सीसीआई और यूरोपीय आयोग ने इस मामले में फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
गूगल लगातार सवालों में घिरी हुई है. भारत के अलावा यूरोप, अमेरिका और दक्षिण कोरिया में भी कंपनी को आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. यूरोप में उस पर आरोप हैं कि कंपनी सर्च में गूगल शॉपिंग को बढ़ावा दे रही है. वहीं अपने एप को प्राथमिकता देने और ऑनलाइन एड में कंपटीशन खत्म करने का आरोप है. वहीं, अमेरिका में कंपनी पर सर्च में खास नतीजों और गूगल पे सर्विस को को प्राथमिकता देने का आरोप है. इन मामलों में कंपनी पर अरबों डॉलर का जुर्मान लग चुका है.
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