
जनरल कमर बाजवा (फाइल फोटो)
Quick Take
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सैन्य विशेषज्ञ होने के साथ-साथ लोकतंत्र समर्थक छवि
सुर्खियों से दूर रहना पसंद करते हैं
चार शीर्ष जनरलों को दरकिनार कर बनाया गया
पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र 'द न्यूज' ने लिखा है, ''जनरल बाजवा के परिचय की सहज समीक्षा से स्पष्ट रूप से यह बात प्रदर्शित होती है कि उनकी लोकतंत्र समर्थक साख ने उन्हें सेना प्रमुख का पद दिलवाया.'' मीडिया के अनुसार प्रधानमंत्री ऐसा सेना प्रमुख नियुक्त करना चाहते थे जो सैन्य विशेषज्ञ होने के साथ-साथ पाकिस्तान में लोकतंत्र का हिमायती भी हो.
पाकिस्तान की स्थापना के बाद से 70 वर्षों की अवधि में आधे से अधिक समय तक सेना ने शासन किया है. 'द न्यूज' ने कहा, ''सेना प्रमुख पद के लिए जिन चार जनरल के नाम पर विचार हो रहा था वे सैन्य अकादमी से एक ही दिन निकले थे, लेकिन जनरल बाजवा का अनुभव अन्य से कहीं ज्यादा विविध है. जनरल बाजवा की क्षमता, साख, अनुभव और सबसे बड़े कोर को संभालना भी उनको हक में रहा.''
एक अन्य प्रमुख अखबार 'डॉन' ने लिखा है, ''असैन्य सरकार के साथ संबंध को लेकर जनरल बाजवा का तुलनात्मक रूप से अधिक उदारवादी रुख रहा है. कहा जाता है कि यह बात प्रधानमंत्री शरीफ के फैसले में निर्णायक साबित हुई.'' जनरल बाजवा के एक पूर्व कमांडिंग ऑफिसर ने बताया कि नवनियुक्त सेना प्रमुख 'असैन्य दायरे में सेना के दखल नहीं देने के धुर पक्षधर हैं.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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