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फ्रांस में 12 महीने में ही फिर गिरी सरकार, राष्‍ट्रपति मैक्रों को चौथी बार नए पीएम की तलाश 

577 सीटों वाली फ्रांस की नेशनल असेंबली ने अपने ग्रीष्मकालीन अवकाश को बीच में ही रोककर इस असाधारण राजनीतिक नाटकीय सत्र की शुरुआत की.

फ्रांस में 12 महीने में ही फिर गिरी सरकार, राष्‍ट्रपति मैक्रों को चौथी बार नए पीएम की तलाश 
  • फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू संसद में विश्वास मत हारने के कारण अपनी सरकार को गिरा चुके हैं.
  • राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को अगले बारह महीनों में चौथी बार नया प्रधानमंत्री नियुक्त करना होगा.
  • बायरू ने बढ़ते सार्वजनिक कर्ज को देश के भविष्य के लिए खतरा बताया और कर्ज नियंत्रण की जरूरत जताई.
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पेरिस:

फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू सोमवार को संसद में विश्वास मत हासिल करने में नाकाम रहे और इसके साथ ही उनकी सरकार गिर गई. अब राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को 12 महीने में चौथी बार नया प्रधानमंत्री तलाश करना होगा. बायरू की सरकार के पक्ष में 194 जबकि विरोध में 364 वोट पड़े. मैक्रों ने पिछले साल दिसंबर में बायरू (74) को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. सरकार गिरने के बाद बायरू को संवैधानिक रूप से बाध्य होकर मैक्रों को इस्तीफा सौंपना होगा. 

बायरू ने कर्ज को बताया खतरा 

इससे पहले बायरू ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए काफी कोशिश की. उन्होंने सोमवार को मतदान से पहले, उन्हें सत्ता से बेदखल करने की उम्मीद कर रहे सांसदों से फ्रांस के कर्जों पर लगाम लगाने की उनकी योजना का समर्थन करने का आग्रह किया. उन्होंने इस कर्ज के बारे में कहा, 'यह हमें डुबो रहा है.' नेशनल असेंबली में दिए गए एक जोशीले भाषण में बायरू इस बात पर अड़े रहे कि फ्रांस का बढ़ता सार्वजनिक घाटा और बढ़ता कर्ज इसके भविष्य के लिए खतरा है. 

उन्होंने कहा कि सरकारी कर्ज आने वाली पीढ़ियों पर भारी पड़ेगा, फ्रांस को विदेशी कर्जदाताओं के प्रति कमजोर बना देगा. अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो यह देश की बहुमूल्य सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगा.  प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमारे देश के लोग काम करते हैं और सोचते हैं कि यह समृद्ध होता जा रहा है, लेकिन असल में देश गरीब होता जा रहा है.' 

ले पेन की ख्‍वाहिश नया चुनाव 

577 सीटों वाली फ्रांस की नेशनल असेंबली ने अपने ग्रीष्मकालीन अवकाश को बीच में ही रोककर इस असाधारण राजनीतिक नाटकीय सत्र की शुरुआत की. मैक्रों के विरोधियों ने इस संकट का फायदा उठाकर नए विधान सभा चुनाव कराने, मैक्रों के इस्तीफे का दबाव बनाने या अगली सरकार में पदों के लिए होड़ लगाने की कोशिश की.

दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन ने मैक्रों से नेशनल असेंबली को फिर से भंग करने की अपील की थी. उन्हें पूरा विश्वास था कि उनकी नेशनल रैली पार्टी और उसके सहयोगी एक और अचानक होने वाले एसेंबली चुनाव में बहुमत हासिल कर लेंगे और नई सरकार बनाने की स्थिति में होंगे. उन्होंने नेशनल असेंबली में कहा, 'फ्रांस जैसा बड़ा देश खासकर इस संकटग्रस्त और खतरनाक दुनिया में, एक कागजी सरकार के साथ नहीं रह सकता.' 

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