फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद साहब के कार्टून को लेकर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. साथ ही फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बयान पर मुस्लिम जगत में विरोध रहा है. इस बीच, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) ने कहा कि वह समझ सकते हैं कि पैगंबर मोहम्मद (Prophet Mohammed) के कार्टून से मुस्लिम समुदाय को धक्का या हैरानी हुई लेकिन हिंसा को स्वीकार नहीं किया जा सकता. वहीं, फ्रांस के अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि नीस के चर्च में तीन लोगों की चाकू से हत्या करने वाले शख्स को किसी बाहरी की मदद तो नहीं मिली थी.
सितंबर महीने की शुरुआत में चार्ली हैब्दो मैगजीन में मोहम्मद साहब के कार्टून को प्रकाशित करने और उसके बाद पत्रिका के दफ्तरों पर हुए हमलों, एक शिक्षक की हत्या और नीस में चर्च पर हमले को लेकर फ्रांस विवादों के केंद्र में बना हुआ है.
अक्टूबर महीने की शुरुआत में टीचर सैमुअल पैटी की हत्या के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति के बयान को लेकर मुस्लिम देशों में कड़ा विरोध हुआ. मैक्रों ने कहा था कि फ्रांस कैरीकेचर प्रकाशित करने के अधिकार को कभी समाप्त नहीं करेगा. हालांकि, मुस्लिम समुदाय तक अपनी बात पहुंचाने के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति ने कतर के टीवी चैनल अल-जजीरा को साक्षात्कार दिया.
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इमैनुएल मैक्रों ने कहा, "मैं समझ सकता हूं कि लोगों को कैरीकेचर से हैरानी हो सकती है, लेकिन मैं इसके लिए हिंसा को कभी उचित नहीं मानूंगा." उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि हमारे अधिकारों व आजादी की रक्षा करने मेरा कर्तव्य है.
उल्लेखनीय है कि यह विवाद तब शुरू हुआ जब फ्रांस में किसी क्लास में पैगंबर का कार्टून दिखाने पर एक फ्रांसीसी शिक्षक की हत्या कर दी थी. इस घटना को लेकर फ्रांस के लोगों में भारी आक्रोश था. फ्रांस नीस में हुए हमले से उबरने की कोशिश कर रहा है, इस हमले को फ्रांस के राष्ट्रपति 'इस्लामी' आतंक के रूप में वर्णित कर चुके हैं.
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