फ्रांस के राष्ट्रपति चुनाव के लिए रविवार को मतदान हुआ, जहां मौजूदा प्रेसिडेंट इमैनुएल मैक्रों और धुर दक्षिणपंथी नेता ली पेन के बीच सीधी टक्कर बताई जा रही थी. हालांकि इमैनुएल मैक्रों ने 57.6% और 58.2% वोटों के साथ फिर से फ्रांस के राष्ट्रपति का चुनाव जीत लिया है और इसके साथ उन्होंने मरीन ले पेन को हरा दिया है.
बता दें कि 20 अप्रैल को मैक्रों और ली पेन के बीच लाइव डिबेट हुई थी, जिसमें मैक्रों आगे दिखाई दिए. लेकिन विश्लेषकों का कहना था कि अगर मतदान कम रहता है तो जीत का पासा किसी भी ओर पलट सकता है. 44 साल के मैक्रों दोबारा राष्ट्रपति चुनाव जीतकर वर्ष 2002 में जैक शिराक के बाद ऐसा करने वाले पहली राजनीतिक शख्सियत बन गए हैं. अगर 53 साल की ली पेन जीतती तो वो फ्रांस की पहली महिला राष्ट्रपति बनतीं.
बता दें कि फ्रांस में चुनाव में महंगाई, रूस का यूक्रेन पर हमला और इस्लाम बड़ा मुद्दा बनकर उभरे हैं.
#UPDATE Voter participation in the French presidential run-off stood at 26.4% at midday on Sunday, nearly two percentage points lower than at the same time five years ago, with the choice between incumbent Emmanuel Macron and his challenger Marine Le Pen https://t.co/AWZwoDFNC3 pic.twitter.com/yQy38vZfmr
— AFP News Agency (@AFP) April 24, 2022
महंगाई-बेरोजगारी बड़ा मुद्दा
ली पेन : अपने पिता के मुक्त बाजार, ज्यादा सरकारी खर्च की बजाय संरक्षणवादी रुख रखती हैं, वो मुक्त व्यापार की और यूरोपीय संघ की नीतियों की विरोधी हैं. उन्होंने फ्रांस से खरीदो (Buy French) पॉलिसी के साथ, रिटायरमेंट की उम्र 60 साल करने और 30 साल से कम उम्र के युवाओं पर इनकम टैक्स माफ और तेल-गैस पर वैट को 20 से 5.5 फीसदी लाने जैसे बड़े वादे किए हैं. मध्य औऱ निम्न आय वाले परिवारों पर कोई विरासत टैक्स नहीं. 1 लाख यूरो के डोनेशन पर टैक्स नहीं
मैक्रों : पेंशन की उम्र को 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने जैसे वादों से लुभा रहे हैं. लेकिन तेल-गैस की बढ़ती महंगाई से वो मुश्किलों में हैं. बेरोजगारों को सामाजिक सुरक्षा लाभ का वादा भी उन्होंने किया है.
इस्लाम भी मुद्दा--
ली पेन : कट्टरपंथी इस्लामिक सोच वाले लोगों की फ्रांसीसी नागरिकता छीनी जाएगी. फ्रेंच संवैधानिक मूल्यों को न मानने वाली मस्जिदें व अन्य इस्लामिक संस्थान बंद होंगे. हिजाब और अन्य धार्मिक पोशाकों पर बैन.
मैक्रों : फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने कट्टरपंथ से लड़ने का आह्वान किया है, लेकिन देश के संविधान के दायरे में सभी धर्मों का आजादी का समर्थन भी किया है.
यूरोप (Europe) का मुद्दा-------
ली पेन : सत्ता में आने पर ब्रिटेन की तरह यूरोपीय संघ से अलग होने (Frexit) और एकल मुद्रा यूरो को छोड़ने का खुला ऐलान किया है. साथ ही यूरोप के बजट में फ्रांस का योगदान कम करेंगी. यूरोपीय कानूनों पर फ्रांसीसी कानूनों को प्राथमिकता.
मैक्रों : यूरोप की एकजुटता के प्रबल समर्थक, रक्षा, तकनीक, कृषि, ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में ईयू की दूसरे देशों पर निर्भरता कम करने का लक्ष्य. अमेरिकी टेक कंपनियों पर कठोर नियंत्रण के समर्थक. बेरोजगारी कम करने का फायदा मिल सकता है.
नाटो (Nato) गठबंधन...
ली पेन : ली पेन फ्रांस को ट्रांसअटलांटिक सैन्य गठबंधन नाटो से बाहर निकालना चाहती हैं. विरोधी उन्हें रूस समर्थक बताते हैं. उन्होंने रूसी हमले का विरोध किया, लेकिन रूस से फिर दोस्ती की उम्मीद जताई.
मैक्रों : फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने कहा है कि यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia Ukraine War) के बाद से नाटो की अहमियत फिर जिंदा हो गई है. लेकिन वो यूरोपीय संघ के अमेरिकी सैन्य शक्ति पर निर्भरता कम करना चाहते हैं.
ओपिनियन पोल में कड़ी टक्कर
ओपिनियन पोल के अनुसार, मैक्रों और ली पेन में कड़ी टक्कर थी. 2017 में मैक्रों ने ली पेन को 66 फीसदी वोट हासिल कर हराया था. अगर ली पेन जीतती हैं तो फ्रांस की घरेलू और विदेश नीति में बड़ा बदलाव दिखेगा. जो भी जीतेगा, उसे जून में संसदीय चुनाव में भी जीत हासिल करनी होगी.
प्रवासियों का मुद्दा
ली पेन -सिर्फ फ्रांसीसी नागरिकों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा, अप्रवासियों को परिवार से जुड़ने का लाभ नहीं मिलेगा. बिना दस्तावेज रह रहे अप्रवासी वापस भेजे जाएंगे. अप्रवासियों को जन्म से नागरिकता नहीं.मैक्रों ने ऐसी नीतियों का खुला विरोध किया है.
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