पेरिस हमलों का माकूल जवाब देते हुए फ्रांस ने आईएस आतंकियों के ठिकानों पर हवाई हमला किया है। फ्रांस की ओर से ये हमले सीरिया के रक्का शहर पर किए गए हैं। रक्का आईएस आतंकियों के कब्जे में है। यूएई और जॉर्डन से उड़ान भरने वाले फ्रांस के 10 विमानों ने रक्का पर 20 बम गिराए हैं।
आईएस के ठिकाने पर हमला
मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, हवाई हमले में जिस पहले ठिकाने को नष्ट किया गया, उसका इस्तेमाल दाएश (अरबी में आईएस का नाम) एक कमांड पोस्ट, जिहादियों की नियुक्ति के केंद्र और हथियारों एवं युद्ध सामग्री के डिपो के रूप में किया जाता था। दूसरा ठिकाना आतंकियों के प्रशिक्षण शिविर के रूप में प्रयोग किया जाता था। मंत्रालय ने कहा कि हवाई हमला बोलने के लिए विमान जॉर्डन और संयुक्त अरब अमीरात से रवाना हुए। ये हमले अमेरिकी बलों के साथ तालमेल करते हुए बोले गए। इस हमले में आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप और कमांड पोस्ट को निशाना बनाया गया है। फ्रांस के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इन हवाई हमलों में सेना की ओर से आईएस के हथियारों के गोदामों को भी निशाना बनाया गया है।
फ्रांस की कार्रवाई जारी रहेगी
फ्रांस की इस कार्रवाई को पेरिस हमलों की प्रतिक्रिया माना जा रहा है। आईएस आतंकियों की ओर से पेरिस में हुए हमलों में 129 लोगों की मौत हो गई थी और 350 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इन हमलों के बाद फ्रांस सरकार ने साफ किया था कि आईएस आतंकियों पर जारी उसकी कार्रवाई को रोका नहीं जाएगा और ये भविष्य में भी जारी रहेगी।
आईएस के खिलाफ ओबामा भी तेज कर सकते हैं कार्रवाई
पेरिस आतंकवादी हमलों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट समूह के खिलाफ सैन्य कार्रवाई बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं। लेकिन इसका यह मायने नहीं है कि अमेरिका या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस हिंसक चरमपंथ को रोकने के लिए उन पर हवाई बमबारी को तेज किया जाए। लंबे समय से पश्चिम एशिया के विशेषज्ञ रहे एंथनी कोरडेसमैन ने कहा, आईएसआईएस पर बमबारी करने के लिए आप पाषाण युग में नहीं जा सकते। कोरडेसमैन और अन्य अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि ओबामा इराकी बलों और सीरिया में आईएस विरोधी लड़ाकों के साथ अमेरिकी सैन्य सलाहकारों को अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर देश की भागीदारी को और गहरा कर सकते हैं. लेकिन स्थानीय बलों के लिए अमेरिकी समर्थन तेज करने को लेकर इस तरह के कदम का त्वरित नतीजा निकलने की संभावना नहीं है।
(इनपुट्स भाषा से भी)
आईएस के ठिकाने पर हमला
मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, हवाई हमले में जिस पहले ठिकाने को नष्ट किया गया, उसका इस्तेमाल दाएश (अरबी में आईएस का नाम) एक कमांड पोस्ट, जिहादियों की नियुक्ति के केंद्र और हथियारों एवं युद्ध सामग्री के डिपो के रूप में किया जाता था। दूसरा ठिकाना आतंकियों के प्रशिक्षण शिविर के रूप में प्रयोग किया जाता था। मंत्रालय ने कहा कि हवाई हमला बोलने के लिए विमान जॉर्डन और संयुक्त अरब अमीरात से रवाना हुए। ये हमले अमेरिकी बलों के साथ तालमेल करते हुए बोले गए। इस हमले में आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप और कमांड पोस्ट को निशाना बनाया गया है। फ्रांस के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इन हवाई हमलों में सेना की ओर से आईएस के हथियारों के गोदामों को भी निशाना बनाया गया है।
फ्रांस की कार्रवाई जारी रहेगी
फ्रांस की इस कार्रवाई को पेरिस हमलों की प्रतिक्रिया माना जा रहा है। आईएस आतंकियों की ओर से पेरिस में हुए हमलों में 129 लोगों की मौत हो गई थी और 350 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इन हमलों के बाद फ्रांस सरकार ने साफ किया था कि आईएस आतंकियों पर जारी उसकी कार्रवाई को रोका नहीं जाएगा और ये भविष्य में भी जारी रहेगी।
आईएस के खिलाफ ओबामा भी तेज कर सकते हैं कार्रवाई
पेरिस आतंकवादी हमलों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट समूह के खिलाफ सैन्य कार्रवाई बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं। लेकिन इसका यह मायने नहीं है कि अमेरिका या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस हिंसक चरमपंथ को रोकने के लिए उन पर हवाई बमबारी को तेज किया जाए। लंबे समय से पश्चिम एशिया के विशेषज्ञ रहे एंथनी कोरडेसमैन ने कहा, आईएसआईएस पर बमबारी करने के लिए आप पाषाण युग में नहीं जा सकते। कोरडेसमैन और अन्य अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि ओबामा इराकी बलों और सीरिया में आईएस विरोधी लड़ाकों के साथ अमेरिकी सैन्य सलाहकारों को अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर देश की भागीदारी को और गहरा कर सकते हैं. लेकिन स्थानीय बलों के लिए अमेरिकी समर्थन तेज करने को लेकर इस तरह के कदम का त्वरित नतीजा निकलने की संभावना नहीं है।
(इनपुट्स भाषा से भी)
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