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This Article is From Feb 19, 2023

Explainer: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर शेष जीवन Hospice care में गुजारेंगे, जानें-क्‍या है ये..

100 की उम्र से महज़ दो साल की दूरी पर खड़े जिमी कार्टर ने अब अपना बाकी का जीवन Hospice care में बिताने का फ़ैसला किया है.

अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति के तौर पर जिमी कार्टर का कार्यकाल वर्ष 1977 से 1981 तक रहा

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर 98 साल के हो चुके हैं. वे 1976 के चुनाव में राष्ट्रपति चुने गए और अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति के तौर पर उनका कार्यकाल वर्ष 1977 से 1981 तक रहा. कार्टर को अमेरिका के प्रभावशाली राष्ट्रपतियों में शुमार किया जाता है, उन्‍हें 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार से भी नवाज़ा गया. वे अमेरिका के सबसे अधिक उम्र के पूर्व राष्ट्रपति हैं और सबसे अधिक उम्र के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता भी. वे फिलहाल जार्जिया में अपनी पत्नी रोजलिन के साथ रहते हैं.

100 की उम्र से महज़ दो साल की दूरी पर खड़े जिमी कार्टर ने अब अपना बाकी का जीवन Hospice care में बिताने का फ़ैसला किया है. आइए जानते हैं,  क्या होता है ये Hospice care..

-दरअसल, लाइलाज बीमारी या फिर उम्रदराज लोग इस केयर को चुनते हैं जिसमें ज्‍यादा जोर हॉस्पिटल के ट्रीटमेंट की जगह मानसिक और आध्‍यात्‍मिक ट्रीटमेंट पर होता है, अपने परिजनों के बीच रहकर होता है. 

- बता दें, वर्ष 2015 में जिमी कार्टर के कैंसर की शिकायत हो चुकी है जो लिवर से ब्रेन तक फैल गया था. हालांकि बाद में उन्‍हें कैंसर मुक्‍त घोषित कर दिया गया था. कार्टर ऐलान कर चुके हैं कि अब उन्‍हें इसके इलाज़ की उनकी ज़रूरत नहीं.

-जीवन के अंतिम समय में लोग अपनों के बीच रहना चाहते हैं जबकि अस्पताल में पूरी तरह डाक्टर्स और नर्स के बूते रहना होता है

-Hospice care में डॉक्टरों की बजाय देखभाल की ज़िम्मेदारी मुख्यत: परिवार या नज़दीकी लोग निभाते हैं. इसमें मरीज की निजता भी बनी रहती है. कार्टर अपने घर पर ही ये केयर लेंगे.

-Hospice care में मेडिकल ट्रीटमेंट के अलावा मरीज़ की भावनात्मक और आध्यात्मिक ज़रूरतों का विशेष ख़्याल रखा जाता है. यहां उम्र के हिसाब से खानपान, ज़रूरत की दवाओं और फिज़ियोथेरैपी जैसे उपायों के ज़रिए शरीर को चुस्त दुरुस्त रखने की कोशिश होती है.

- दरअसल, उम्रदराज़ होने के चलते जिमी कार्टर को बार-बार अस्पताल की ज़रूरत पड़ती है. वे अपनों के बीच रहें और स्वास्थ्य का भी पूरा ख़्याल रख सकें इसलिए उन्होंने Hospice care में रहने का फ़ैसला किया है.

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