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गांववालों की आंखोंदेखी: बनाई ऐसी गजब जूती, अमेरिकी राष्ट्रपति कार्टर ने दे दिया प्लॉट, मकान और घर तक रोड!

ग्रामीणों ने बताया कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर की माता मुंबई के एक अस्पताल में नर्स थीं. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वह फौजियों की सेवा करने के लिए गुड़गांव के गांव दौलतपुर नसीराबाद आईं. यहां वह जेलदार की हवेली में ठहरीं, और यहीं पर जिमी कार्टर का जन्म हुआ.(साहिल मनचंदा की रिपोर्ट...)

गांववालों की आंखोंदेखी: बनाई ऐसी गजब जूती, अमेरिकी राष्ट्रपति कार्टर ने दे दिया प्लॉट, मकान और घर तक रोड!

गुरुग्राम के गांव दौलतपुर नसीराबाद में जन्मे और नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति जिमी कार्टर का निधन 100 वर्ष की आयु में हो गया. उनके निधन के बाद गुरुग्राम के कार्टरपुरी में रहने वाले लोगों ने उन्हें याद किया और अपनी खट्टी-मीठी यादें NDTV के साथ साझा की.

ग्रामीणों ने बताया कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर की माता मुंबई के एक अस्पताल में नर्स थीं. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वह फौजियों की सेवा करने के लिए गुड़गांव के गांव दौलतपुर नसीराबाद आईं. यहां वह जेलदार की हवेली में ठहरीं, और यहीं पर जिमी कार्टर का जन्म हुआ.

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गांव का नाम  'कार्टरपुरी' क्यों पड़ा?
कार्टरपुरी निवासी अतर सिंह ने बताया, "हमारे गांव में कार्टर साहब की मां आती थीं. वह यहां नर्स थीं और सरफराज खान के जेलदार की हवेली में रहती थीं. कार्टर साहब 3 जनवरी 1979 को हमारे गांव आए थे. उस समय गांव का नाम दौलतपुर नसीराबाद था. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने पंचायत में इस गांव का नाम 'कार्टरपुरी' रखने का प्रस्ताव दिया, जिसे गांव वालों ने स्वीकार किया. फिर गांव का नाम 'कार्टरपुरी' रख दिया गया. इस पर कार्टर साहब ने कहा कि वह इस गांव को गोद लेना चाहते हैं, लेकिन मोरारजी देसाई ने कहा कि हम इस गांव का विकास करेंगे."

जिमी कार्टर को याद करते हुए कार्टरपुरी के मोहन लाल ने बताया कि जब कार्टर साहब यहां आए थे, तो गांव में सफाई हुई और नई सड़कें बनीं. यहां के एक मोची ने बिना देखे उनके लिए जूते बना दिए, जो कार्टर साहब को बिल्कुल फिट आए. इसके बाद वह खुश होकर मोची को इनाम भी दिए.

राजीव कुमार ने बताया, "हमारे गांव का नाम पहले दौलतपुर नसीराबाद था, लेकिन जब जिमी कार्टर यहां आए, तो इसका नाम बदलकर 'कार्टरपुरी' रख दिया गया. उस समय मैं 6 साल का था. ऐसा लग रहा था जैसे गांव में शादी हो रही हो. गांव वालों ने उनका जोरदार स्वागत किया और उन्हें पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया. कार्टर साहब अपनी मां के कहने पर यहां आए थे."

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'वो दिन किसी त्यौहार से कम नहीं था...'
यहां के लोगों ने बताया कि जिमी कार्टर गुरुग्राम आए वह दिन कार्टरपुरी निवासियों के लिए किसी त्यौहार से कम नहीं था. उनके आने से पहले कच्ची सड़कें पक्की कर दी गई. गांव को दुल्हन की तरह सजा दिया गया उनका स्वागत ग्रामीणों ने पारंपरिक तरीके से किया.

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने 1977 से 1981 तक डेमोक्रेट पार्टी के तहत एक कार्यकाल पूरा किया. उनके राष्ट्रपति पद के दौरान, इजरायल और मिस्र के बीच कैंप डेविड समझौते जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धियां रही. राष्ट्रपति बनने के बाद भी, कार्टर ने असाधारण कार्य किए और 2002 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हुए.

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