मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
मालदीव के राजनीति तूफान ने भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. मौजूदा राष्ट्रपति अबदुल्ला यमीन ने न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के राजनीतिक बंदियों को रिहा करने के आदेश को मानने से इंकार कर दिया है, बल्कि चीफ जस्टिस को भी जेल में ठूंस दिया है. वहां के विपक्ष और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भारत से राजदूत और सैन्य सहायता भेजने की गुहार लगाई है. दूसरी तरफ चीन ने कहा है कि भारत को मालदीव के अंदरूनी मामले में दखल नहीं देना चाहिए. मालदीव में चीन का 70 फीसदी निवेश है.
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इस बीच भारत ने बयान जारी कर मालदीव स्थिति पर चिंता जताई है. कहा है कि वो हालात पर नज़र रखे हुए है. उधर अबदुल्ला यमीन ने कुछ दोस्त देशों को मालदीव के मौजूदा हालात की पूरी जानकारी देने के लिए अपने मंत्री भेजे हैं. ये दोस्त देश चीन, पाकिस्तान और सउदी अरब हैं.
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भारत में मालदीव के राजदूत अहमद मोहम्मद ने बयान दिया है कि मालदीव के विशेष प्रतिनिधि के लिए भारत पहला पड़ाव था, लेकिन उन्हें जानकारी दी गई न तो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उपलब्ध हैं और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. जैसे ही तारीख मिलेगी वैसे ही मुलाकात की जाएगी.
VIDEO : क्या भारत-मालदीव के रिश्ते सहज और बेहतर होंगे?
भारत ने इस पर अब तक कोई जवाब नही दिया है. भारत के लिए सुरक्षा, समुद्री व्यापार और क्षेत्र में शक्ति संतुलन के लिए अहम है.
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इस बीच भारत ने बयान जारी कर मालदीव स्थिति पर चिंता जताई है. कहा है कि वो हालात पर नज़र रखे हुए है. उधर अबदुल्ला यमीन ने कुछ दोस्त देशों को मालदीव के मौजूदा हालात की पूरी जानकारी देने के लिए अपने मंत्री भेजे हैं. ये दोस्त देश चीन, पाकिस्तान और सउदी अरब हैं.
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भारत में मालदीव के राजदूत अहमद मोहम्मद ने बयान दिया है कि मालदीव के विशेष प्रतिनिधि के लिए भारत पहला पड़ाव था, लेकिन उन्हें जानकारी दी गई न तो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उपलब्ध हैं और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. जैसे ही तारीख मिलेगी वैसे ही मुलाकात की जाएगी.
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भारत ने इस पर अब तक कोई जवाब नही दिया है. भारत के लिए सुरक्षा, समुद्री व्यापार और क्षेत्र में शक्ति संतुलन के लिए अहम है.
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