ब्रिटेन के पूर्व पीएम डेविड कैमरून की सनसनीखेज तरीके से ब्रिटिश सरकार में विदेश मंत्री के रूप में वापसी हुई है. प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अगले साल होने वाले आम चुनाव को देखते हुए अपनी शीर्ष टीम में कई बदलाव किए हैं. सुनक ने दक्षिणपंथी फायरब्रांड सुएला ब्रेवरमैन को गृह मंत्री के पद से बर्खास्त कर दिया. आलोचकों ने उन पर ब्रिटेन में कई हफ्तों के विवादास्पद फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों और विरोधों के दौरान तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया था.
सुनक ने उनकी जगह पर जेम्स क्लेवरली को गृह मंत्री नियुक्त किया है, जो विदेश मंत्री थे. इसके बाद उन्होंने कैमरून को क्लेवरली के सरप्राइज रिप्लेसमेंट की घोषणा की.
57 साल के कैमरून ने ब्रेक्सिट जनमत संग्रह हारने के बाद 2016 में प्रधानमंत्री पद छोड़ दिया था. उसी साल वो सांसद पद से भी हट गए.
वित्त समूह ग्रीनसिल कैपिटल के लिए यूके सरकार की पैरवी करने के बाद, डेविड कैमरून 2021 में घोटाले में फंस गए. जो बाद में कोलैप्स हो गया. हालांकि इस प्रकरण को उनकी प्रतिष्ठा को बुरी तरह से धूमिल करने के रूप में देखा गया.
कैमरून ने कहा, "हालांकि मैं पिछले सात सालों से अग्रिम पंक्ति की राजनीति से बाहर हूं, मुझे उम्मीद है कि मेरा अनुभव 11 सालों तक कंजर्वेटिव नेता और छह सालों तक प्रधानमंत्री के रूप में, वर्तमान प्रधानमंत्री को इन महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा."
वहीं अपनी बर्खास्तगी के बाद ब्रेवरमैन ने कहा, "गृह मंत्री के रूप में सेवा करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य रहा है. आने वाले समय में मुझे और भी बहुत कुछ कहना होगा."
ये बदलाव पिछले साल अक्टूबर में देश के नेता बनने के बाद सुनक द्वारा अपने शीर्ष मंत्रियों में किए गए पहले बड़े फेरबदल का हिस्सा हैं.
ब्रेवरमैन की जगह 54 वर्षीय विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली को गृह मंत्री बनाया गया है. क्लेवरली को उस दिन विदेश मंत्री के पद से हटना पड़ा है जिस दिन उनकी बातचीत पांच दिन की ब्रिटेन यात्रा पर पहुंचे भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ होनी थी.
ये देखना बाकी है कि संबंधित द्विपक्षीय बैठकें अब किस तरह की होंगी, क्योंकि क्लेवरली की जगह पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन अब नए विदेश मंत्री हैं.
2010 से 2016 तक प्रधानमंत्री रहे कैमरून
कैमरून ‘हाउस ऑफ कॉमंस' के सदस्य नहीं हैं और उन्हें संसदीय प्रोटोकॉल के अनुसार ‘हाउस ऑफ लॉर्ड्स' का सदस्य बनना पड़ेगा. वह 2010 से 2016 तक प्रधानमंत्री और 2005 से 2016 तक कंजर्वेटिव पार्टी के नेता रह चुके हैं.
भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री सुनक पर ब्रेवरमैन की टिप्पणियों को लेकर उनकी कंजर्वेटिव पार्टी के कई सदस्यों का दबाव था और साथ में उन्हें विपक्ष के हमलों का भी सामना करना पड़ रहा था.
विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई थी हिंसा
ब्रेवरमैन ने सप्ताहांत में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद रविवार शाम एक बयान में कहा, ‘‘हमारे बहादुर पुलिस अधिकारी कल लंदन में प्रदर्शनकारियों की हिंसा और आक्रामकता तथा प्रदर्शनकारियों के विरोध में प्रदर्शन करने वालों से निपटने में अपनी पेशेवर क्षमता के लिए हर सभ्य नागरिक की ओर से धन्यवाद के पात्र हैं. अपने कर्तव्य निर्वहन के दौरान कई अधिकारियों के घायल होने से आक्रोश है.''
हालांकि, पुलिस के समर्थन में उनका ये बयान उनकी ओर से अपना पद बचाने के प्रयास के तौर पर नजर आया.
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