तुर्की के विनाशकारी भूकंप के बाद बुधवार को गजियांटेप के मुख्य कब्रिस्तान में एक साथ 10 मृतकों के शव हरे धातु के ताबूतों में पंक्तिबद्ध रखे गए. उनके जल्दबाजी में दफनाने से पहले प्रार्थना के लिए एक इमाम को बुलाया गया. येसिलकेंट कब्रिस्तान शोक में डूबे मृतकों के रिश्तेदारों से भर गया. वे लोग पूरे क्षेत्र से आए थे. दूसरी तरफ बचाव कर्मियों ने जीवित बचे लोगों को मलबे में खोजा. बाद में आए भूकंप के झटकों ने गज़ियांटेप को हिला डाला.
भूकंप का केंद्र गजियांटेप के पास था. भूकंप की तीव्रता 7.8 थी. भूकंप के बाद भी झटके आए. इस प्राकृतिक त्रासदी में 11,200 से अधिक लोग मारे गए.
गज़ियांटेप की मेयर फातमा साहिन ने मुस्लिम प्रचारकों से अधिक संख्या में आगे आकर कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार में मदद करने की अपील की है.
यसिलकेंट में सैकड़ों लोगों ने ताबूतों के सामने लाइनें बनाईं थीं. इमाम ने हेडसेट माइक्रोफोन से बात की और वे प्रत्येक मृतक के सामने प्रार्थना के लिए रुके.
वहां मौजूद महिलाएं भारी शोक में डूबी थीं. उनमें से कुछ दुख से बेकाबू हो गईं. एक महिला बेहोश हो गई तो उसे वहां से ले जाया गया.
गाज़ियांटेप के उत्तर में लगभग 100 किलोमीटर (60 मील) की दूरी पर बेसनी की महिलाओं ने हैटिस को सांत्वना दी, जिसने भूकंप में अपनी 17 वर्षीय बेटी रूवेदा को खो दिया. उसका 21 वर्षीय बेटा सेरहट अभी भी मलबे के नीचे लापता है.
उसका परिवार एक अपार्टमेंट ब्लॉक की छठी मंजिल पर रहता था. हैटिस ने कहा कि जब भूकंप आया तो उसने अपनी आठ साल की बेटी को पकड़ लिया. लेकिन भूकंप के झटकों से इमारत धराशायी हो गई. उनका बचना एक चमत्कार है. मां ने एएफपी को बताया कि रुवेदा ने शुरू में कहा कि वह "ठीक महसूस कर रही है."
कुछ घंटों बाद रूवेदा बीमार पड़ गई. उसको संभावित रूप से आंतरिक अंगों में चोटें लगी थीं. अस्पताल में जल्दी ही उसकी मौत हो गई. हैटिस अंतिम संस्कार से पहले अपनी बेटी का शव नहीं देखना चाहती थी. उसने रोते हुए कहा, "मैं उसे इस तरह नहीं देख सकती."
अयास सुंदर और होन की अपने अपार्टमेंट में मौत हो गई. उनके ताबूत भी कतार में ले जाए गए ताबूतों में शामिल थे. उनके भतीजे एमरे केंगिज़ ने कहा, "उन्हें खोजने में कई घंटे लग गए और अब उनकी मौत की जानकारी मिलने पर परिवार का दिल टूट गया है."
उन्होंने कहा कि, "सदमे के बाद हम सभी ने एक-दूसरे को फोन किया लेकिन कोई भी होन और अयास से संपर्क नहीं कर सका. फिर भूकंप का दूसरा झटका आया और यह बात फैल गई कि कई लोग मारे गए हैं. हमारा दिल बैठ गया था."
35 साल की आयसे कोलाक की भी अपने पति और सास-ससुर के साथ गाजियांटेप से 65 किमी पूर्व में नूर्दगी जिले में मौत हो गई. उसकी बिल्डिंग पूरी तरह से ढह गई. उसकी बहनें रो रही थीं. उन्होंने अविश्वास के साथ ताबूत को छुआ. अपना नाम जाहिर न करते हुए उसकी एक बहन ने कहा, "अब कोई नूर्दगी नहीं है. शहर पूरी तरह से खत्म हो गया है."
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